प्रकाशित - 09 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मार्च का महीना शुरू हो चुका है और कई राज्यों में तेज गर्मी ने अपना दिखाना शुरू कर दिया है तो कई राज्यों में बारिश व ओलावृष्टि के कारण सर्दी एक बार फिर लौट आई है। इस बीच अल नीलो को लेकर एक अपडेट सामने आया है। जिसके अनुसार अल नीनो की विदाई इस साल संभव है। अगर ऐसा होता है तो भारत में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बारिश होगी। यहां आपको बता दें कि अल नीनो के कारण साल 2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। इसी के प्रभाव से भारत में 2023 का मानसून सामान्य से कम रहा है।
दरअसल, अल नीनो के प्रभाव से मौसम गर्म रहता है और बारिश घटने से पैदावार गिरने की संभावना बनी रहती है। अगर इस बार अल नीनो चला जाता है तो फसलों की पैदावार गिरने की आशंका खत्म हो जाएगा। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2024 के अंत तक अल नीनो के जाने की संभावना 79 प्रतिशत तक है। अप्रैल से जून तक अल नीनो के न्यूट्रल होने की पूरी संभावना है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जून से नवंबर तक ला नीनो की संभावना अधिक है। अगर ऐसा होता है तो वातावरण में गर्मी कम होगी और इसके प्रभाव से ज्यादा बारिश संभव है।
वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने एक स्टडी में कहा है कि मार्च-मई तक अल नीनो के बने रहने की संभावना 60 फीसदी है जबकि अप्रैल-जून तक इसके न्यूट्रल रहने की संभावना 80 प्रतिशत है। स्टडी के अनुसार, इस साल के अंत तक ला नीना का असर देखने को मिल सकता है, लेकिन अभी इस संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं है। भारत पर अब अल नीनो का असर रहेगा या ला नीना का, इस संदर्भ में भारतीय वैज्ञानिकों का रिसर्च जारी है। अगर जून-अगस्त तक ला नीना का असर रहता है तो इस साल मानसून सीजन में बेहतर बारिश होगी।
भारत पर अल नीनो का प्रभाव होगा या ला नीना का, इसका जवाब देते हुए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने बताया कि देश में इस साल गर्मी अधिक पड़ सकती है क्योंकि मई अंत तक अल नीनो का प्रभाव रह सकता है। वैज्ञानिकों ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर आंतरिक कर्नाटक, महाराष्ट्र और ओडिशा के कई हिस्सों में अधिक गर्मी की संभावना जताई है। आईएमडी ने यह भी कहा है कि मार्च में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। अल नीनो का प्रभाव उत्तर भारत के कई राज्यों में देखने को मिल सकता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। खेती पर भी बुरा असर पड़ सकता है। फसलों को सूखने से बचाने के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में मार्च से मई के दौरान में अधिकांश हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। मार्च में उत्तर और मध्य भारत में लू (हीटवेव) की स्थिति की उम्मीद नहीं है।
अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) का एक हिस्सा है, जो मौसम और समुद्र से संबंधित एक प्राकृतिक जलवायु घटना को बताता है। भारत में पिछले 70 साल में से 15 बार अल नीनो मौसम की घटनाएं हुई हैं। इस दौरान भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश केवल छह बार हुई है। भारत में देखा गया है कि जिस साल अल नीनो का प्रभाव रहता है उस साल मानसून कमजोर हो जाता है। पिछले चार अल नीनो वर्षों के आंकड़े देखें तो देश ने लगातार सूखे और बारिश की कमी का सामना किया है। लेकिन अल नीनो घटनाओं के आधार पर मानसून की बारिश कमजोर, मध्यम और मजबूत भी हो सकती है। साल 1997 में एक मजबूत अल नीनो के प्रभाव से भारत में सामान्य वर्षा का 102 प्रतिशत रिकॉर्ड किया था।
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