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राज्य सरकार किसानों को देगी 7,000 रुपए की इनपुट सब्सिडी

प्रकाशित - 25 Jun 2022

जानें, क्या है योजना और इससे कैसे मिलेगा किसानों को लाभ

धरती के गिरते जल स्तर का असर आम जनजीवन के अलावा खेती पर दिखाई दे रहा है। आज कई राज्यों में लोगों को पानी की समस्या से जुझना पड़ रहा है, विशेषकर गर्मियों में तो पानी की समस्या काफी जटिल हो गई है। इसका असर खेती पर भी पड़ा है। सिंचाई के लिए पानी की कमी के कारण आज कई किसान धान की खेती करना छोड़ रहे हैं, क्योंकि धान की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में कई राज्य सरकारें किसानों को धान की खेती नहीं करने की सलाह देने के साथ ही उन्हें इसे छोडऩे के लिए इनपुट अनुदान राशि भी प्रदान कर रही है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार की ओर से किसानों को धान की खेती नहीं करने पर 7 हजार रुपए का इनपुट अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा जिन्होंने पिछली बार धान की खेती की है और इस बार वे खेत खाली छोड़ देते हैं तो भी उन्हें 7 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा।

किसानों को ऐसे मिलेगा इनपुट अनुदान का लाभ

हरियाणा सरकार ने धान की खेती छोडऩे या खेत खाली छोडऩे पर किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ से प्रोत्साहन राशि यानि अनुदान दे रही है। यह अनुदान किसानों को सीधा उनके बैंक खाते में प्रदान किया जाएगा। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा और कृषि विभाग को बताना होगा की वे धान की खेती नहीं कर रहा है। विभाग द्वारा इस बात की पुष्टि होने के बाद ही अनुदान राशि किसानों को दी जाएगी। अनुदान की अधिकतम सीमा को भी खत्म कर दिया गया है। बता दें कि पहले ये अनुदान अधिकतम 2 हैक्टेयर तक दिया जाता था। 

दलहन और तिलहन की खेती पर मिलेगा 4 हजार रुपए प्रति एकड़ अनुदान

मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर हरियाणा सरकार की ओर से प्रदेश में दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को दलहन और तिलहन की खेती करने पर 4 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जा रहा है। इसमें शर्त ये हैं कि जिन जिलों में पहले बाजरे की खेती होती थी, वहां के किसान अब दलहन और तिलहन की खेती करते हैं तो उन्हें सरकार से 4 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान प्रदान किया जाएगा। बता दें कि भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, हिसार और नूंह में बाजरे की खेती होती है। ऐसे में राज्य सरकार चाहती है कि यहां के किसान बाजरे की खेती को छोडक़र दलहन और तिलहन फसल की खेती करें ताकि उन्हें अच्छा मुनाफा मिले और भूमि की सेहत में भी सुधार हो। इसके लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों के दलहन और तिलहन उत्पादन की आधुनिक तकनीक की जानकारी किसानों को दी जाएगी और उन्नत किस्मों के बारे में भी बताया जाएगा ताकि इस खरीफ सीजन में किसान अच्छा मुनाफा कमा सकें। 

दलहन फसलों का क्या है महत्व

दलहनी फसलों की जड़ ग्रंथियों में राइजोबियम बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जो इन फसलों की जड़ों में सहजीवी संबंध बनाकर वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मृदा में स्थिरीकरण करते हैं। इससे मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है। इसलिए इन फसलों को कम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। इन फसलों की कटाई के बाद इनके अवशेष मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बनाए रखने में सहायक होते हैं। ये अग्रिम फसल के उत्पादन में नाइट्रोजन उर्वरकों की मात्रा के प्रयोग को कम कर देते हैं। इन फसलों को हरी खाद के विकल्प के तौर पर उगाया जा सकता है। दहलनी फसलों के उत्पादन से मिट्टी की सेहत में सुधार होता है और मृदा उपजाऊ बनी रहती है।

दलहन फसलों के उत्पादन से क्या होगा लाभ

दलहन फसलें बोने से खेत की भूमि में सुधार होता है। उसकी सेहत अच्छी बनी रहती है। इसके अलावा और भी बहुत से लाभ होते हैं जिनमें से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं-

  • दलहन फसलों उगाने से खेत की उर्वराशक्ति बढ़ती है।  
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढऩे से फसल की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है।
  • भूमि की नाइट्रोजन शक्ति बढ़ती है जो फसलों के लिए आवश्यक है। इससे अधिक उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है। 
  • दलहन फसलों की खेती से मिट्टी की जल धारण शक्ति भी बढ़ती है जिससे सिंचाई के बाद अधिक समय तक भूमि में नमी बनी रहती है। 
  • दलहन व तिलहन की फसल को धान और बाजरे की तुलना में अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता पड़ती है। 

इनपुट अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान कहां करें आवेदन

जो किसान इनपुट अनुदान राशि प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट https://fasal.haryana.gov.in/farmer/farmerhome पर किया जा सकता है। इसके अलावा किसान अपने क्षेत्र के खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में संपर्क करके मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम में अपने नाम को पंजीकृत करवाकर सकते हैं।

हरियाणा में इनपुट अनुदान के लिए आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

हरियाणा में इनपुट अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए आपको मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर आवेदन करना होगा। इसके लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी- 

  • आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड
  • आवेदन करने वाले का पहचान पत्र
  • आवेदक का निवास प्रमाण-पत्र
  • मोबाइल नंबर जो आधार से लिंक हो।
  • खेती की जमीन के कागजात
  • किसान का पासपोर्ट साइज फोटो। 
  • बैंक खाता विवरण हेतु पासबुक की कॉपी।

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