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फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा सम्मान निधि योजना का लाभ

प्रकाशित - 30 Mar 2023

जानें, क्या है फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार की योजना और इसके लाभ

पीएम किसान योजना के तहत किसानों को 6000 रुपए हर साल दिए जाते हैं, लेकिन किसान इस योजना के तहत मिलने वाले लाभ से पूरी तरह वंचित हो सकते हैं, अगर किसान अपने खेत में पराली या फसल अवशेष (Crop Residue) जलाते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि फसल अवशेष को जलने की जगह फसल अवशेष को सही तरीके से प्रबंधित करें ताकि किसान पीएम योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित न हों। बता दें कि पीएम किसान योजना के तहत किसानों को हर साल तीन किश्तों में 6000 रुपए दिए जाते हैं। प्रत्येक किस्त में 2000 रुपए की राशि दी जाती है जो सीधा किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाती है। 

जैसा कि सरकार द्वारा पराली या फसल अवशेष का जलाना दंडनीय अपराध माना गया है, पराली जलने की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक दंड का प्रावधान दिया गया है। यदि कोई किसान पराली जलाता है तो न सिर्फ पीएम किसान सम्मान निधि योजना की राशि रोकी जाएगी बल्कि किसान पर 2500 रुपए से लेकर 15000 रुपए तक जुर्माना भी लगाया जाएगा। 

सैटेलाइट से रखी जा रही नजर

सरकार ने इस मामले को संज्ञान में लेकर फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया है। इसके लिए लगातार सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है। ट्रैक्टर जंक्शन की रिपोर्ट के अनुसार अब तक सैकड़ों किसानों पर कार्रवाई की जा चुकी है। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर एक्शन लिए जा रहे हैं। पिछले साल करीब 23 मामले संज्ञान में आए थे। हालांकि पहले की अपेक्षा पराली जलने के मामले कम आ रहे हैं। अगर उत्तरप्रदेश की बात करें तो उत्तरप्रदेश में पराली जलने के कुल 38 फीसदी कम मामले आने की रिपोर्ट आई है।  

क्यों जलती है हर साल पराली 

धान की फसल कटाई के बाद अक्सर ऐसे मामले देखने को मिलते हैं।  हालांकि पराली का उपयोग बहुत सारे पशुपालक किसान पशुओं को चारा देने के लिए लाते हैं लेकिन बहुत सारे किसान जिनके पास कोई पशु नहीं है वे पराली को जला देते हैं। सरकार की ओर से पराली जलने पर दंड का प्रावधान है, लेकिन उचित तकनीक के आभाव में किसान इसे जलना ही सही समझते हैं। 

करनाल में पराली जलने के 6 मामले सामने आए 

इटीवी भारत की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा में पराली जलने के मामले अभी भी आ रहे हैं। करनाल में अक्टूबर 2022 में करीब 6 मामले पराली जलने के सामने आए। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए जरूरी है कि पराली का उचित प्रबंधन किया जाए। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे अवशेष जलाने के बजाय अवशेष का उपयोग दूसरी आर्थिक गतिविधियों में लें। बता दें कि पराली जलाने के बजाय किसान अगर इसे अपने उपयोग में लें तो इसका बहुत सारा लाभ किसान उठा सकते हैं। 

पराली न जलाने पर मिल रहा है कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ

करनाल के कृषि उपनिदेशक आदित्य प्रताप सिंह ने कहा है, जो किसान पराली जलाने के बजाय पराली या अवशेष का प्रबंधन करेंगे उन्हें 1000 रुपए प्रति एकड़ पुरस्कार स्वरूप दिए जाएंगे। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार किसानों को कृषि संयंत्र भी दे रही है, उसके बाद भी अगर किसान नहीं मानते हैं तो उन पर जुर्माने की प्रक्रिया की जाती है। पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा जिला लेवल पर कमेटी का गठन किया गया है। ये टीम पराली जलाने के आए मामलों पर संज्ञान लेती है। 

कई किसानों का सवाल होता है कि फसल अवशेष प्रबंधन कैसे करें?, फसल अवशेष (Crop Residue) या पराली से खाद कैसे बनाएं, या फसल अवशेष जलाने के नुकसान क्या-क्या हैं? और किसान इन नुकसान से कैसे बच सकते हैं? फसल अवशेष या अपशिष्ट को खाद बनने में कितना समय लगता है?, पराली से खाद बनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है ? आदि।

आगे दी गई जानकारी में किसानों के इन्हीं सभी समस्या का समाधान दिया गया है। 

फसल अवशेष (Crop Residue) प्रबंधन के क्या-क्या उपाय हैं ? 

किसान भाई पराली को जलाने के बजाय इन 3 तरीकों से अपने उपयोग में ले सकते हैं फसल अवशेष प्रबंधन के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं

उर्वरक के रूप में उपयोग : किसान भाई पराली को छांट कर उसे मिट्टी में मिलाकर कम्पोस्टिंग कर सकते हैं। जब खाद तैयार हो जाए तो उसे खेत में डाल कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं।  

पराली या फसल अवशेष को मिट्टी में दबा कर : किसान भाई खेत में ही पराली को दबा सकते हैं इसके लिए अवशेष प्रबंधन यंत्र की आवश्यकता होगी जो पराली को गहराई में लेकर जाए और मिट्टी के अंदर छोड़ दे, इस प्रकार किसान ऊपर दूसरी फसल की बुआई कर सकते हैं। जब नीचे दबा हुआ पराली खाद बन जाएगा तब किसान को फसल की पैदावार में मदद मिलेगी।  

पराली का उपयोग फ्यूल के रूप में : फ्यूल या ऊर्जा स्रोत के रूप में भी पराली का उपयोग किया जाता है, इस फसल अवशेष (Crop Residue) से बायोमास एनर्जी तैयार किया जा सकता है।  

जानवरों के चारा के रूप में : धान की फसल (Paddy Crop) के बाद किसान पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटवा कर इसका उपयोग गेहूं के भूसे के सप्लीमेंट्री के तौर पर किया जा सकता है। इसे हरे चारे के साथ जानवरों को खिलाया जा सकता है।  

धान के पुआल के उपयोग से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर :

1) धान के पुआल का प्रबंधन क्या है ?

किसान भाई समय पर नई फसल की बुआई (Crop Sowing) कर पाएं इसके लिए जरूरी है कि धान के पुआल का उचित प्रबंधन हो सकें। किसान भाई धान के पुआल का उपयोग कम्पोस्ट के तौर पर कर सकते हैं। कैल्शियम हाइड्रोऑक्साइड से अभिक्रिया कर देने के बाद इसे मशरूम की खेती के लिए किसानों द्वारा उपयोग में लाया जाता है।  

2) पराली जलाने पर कौन सी धारा लगती है ?

पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है। इस कार्य के लिए जेल तक हो सकती है। भारतीय दंड संहिता की धरा 188  के तहत ये कार्य गैरकानूनी है। अतः पराली जलाने के बजाय पराली को उपयोग में लाएं। सरकार, पराली को प्रबंधित करने वाले किसानों को 1000 रुपए प्रति एकड़ पुरस्कार भी देती है।  

3) क्या पराली जलाना मिट्टी के लिए अच्छा है ?

पराली जलाना मिटटी के लिए नुकसानदायक है। पराली न सिर्फ वायु प्रदुषण पैदा करती है बल्कि पराली जलाने की वजह भूमि की उर्वरा शक्ति (Fertility) में भी कमी आती है। अतः किसान पराली को सही तरीके से प्रबंधित करें। पराली को मिटटी में ही छोड़ने से ये खाद बन कर मिटटी की उर्वरा शक्ति में सुधार करती है। 

4) क्या भारत में पराली जलाने पर प्रतिबन्ध है ?

हां भारत में पराली जलाना एक दंडनीय अपराध है, सही तरीके से फसल प्रबंधित न करने पर और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए भारतीय दंड संहिता धारा 188 के तहत इस कार्य को गैरकानूनी माना गया है। 

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों करतार ट्रैक्टर, फोर्स ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

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