नलकूपों के लिए किसानों को मिलेंगे 4 लाख से ज्यादा विद्युत कनेक्शन

Share Product प्रकाशित - 15 Apr 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

नलकूपों के लिए किसानों को मिलेंगे 4 लाख से ज्यादा विद्युत कनेक्शन

जानें क्या है सरकार की योजना, इससे कैसे मिलेगा किसानों को लाभ

देश में किसानों के लिए सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि में लागत घटाने के लिए सिंचाई को इलेक्ट्रीफाई करने में देश की राज्य सरकारें किसानों की काफी मदद कर रही है। बिहार के किसानों के लिए बड़ी खुशखबर निकल कर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना के तहत आगे बिहार के किसानों के 3 लाख और नलकूपों को विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह लक्ष्य बढ़ाया भी जा सकता है, जो करीब 4 लाख तक पहुंच सकता है। बता दें कि पिछले साल 2022 से अब तक बिहार में नलकूपों के लिए 96000 नए विद्युत कनेक्शन दिया जा चुके है। समय-समय पर नलकूप विद्युत कनेक्शन के लिए किसानों से आवेदन लिए जाते हैं।

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ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना के बारे में, बोरिंग के लिए विद्युत कनेक्शन लेने की प्रक्रिया, लाभ लेने का तरीका आदि के बारे में जानकारी देंगे।

राज्य में कुल 3 लाख से ज्यादा पंप को दिया जाएगा विद्युत कनेक्शन

बिहार में कुल 7 लाख निजी मोटर पंप हैं जिसका संचालन किया जा रहा है। लेकिन अभी तक 3 लाख 62 हजार निजी मोटरपंप को विद्युत कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। निजी पंप को विद्युत कनेक्शन प्रदान किए जाने से किसान बेहद कम कीमत पर खेत की सिंचाई कर पा रहे हैं। डीजल का उपयोग कर सिंचाई करने से किसानों को सिंचाई के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है। यही कारण है कि प्रदेश में किसानों को इलेक्ट्रिक नलकूप की सुविधा दिया जाना जरूरी है। 

291 पावर सब-स्टेशन बन कर हुआ तैयार

साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार के निश्चय-2 के तहत राज्य के हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और अभी तक राज्य में 291 पावर सब-स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं। किसानों की मांग को देखते हुए उन्हें नलकूपों के लिए बिजली का कनेक्शन दिए जा रहे हैं। पॉवर सब स्टेशन को सपोर्ट करने के लिए राज्य में 1354 कृषि डेडीकेटेड फीडर का निर्माण कार्य भी पूरा किया जा चुका है। 

क्या है मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना

बिहार में हर खेत तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस योजना का शुभारंभ 2020 में किया गया। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने और नए विद्युत का कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है। गौरतलब है कि बिजली चालित पंप की मदद से राज्य में किसानों को सिंचाई लागत में कमी आएगी और राज्य के किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। 

किन किसानों काे होगा लाभ

प्रदेश में कुल 7 लाख निजी मोटर पंप है। 3 लाख 62 हजार पंप को सिंचाई के लिए विद्युत कनेक्शन प्रदान किया गया है। अतः सरकार के द्वारा 3 लाख 38 हजार पंप के लिए विद्युत कनेक्शन प्रदान किए जाएंगे। वैसे किसान जो निजी मोटर पंप के माध्यम से सिंचाई का कार्य करते हैं, फिलहाल उनके पंप के लिए विद्युत कनेक्शन नहीं है उन्हें बिहार सरकार की इस योजना का लाभ मिलेगा। इस तरह कुल 3 लाख 38 हजार किसान इस योजना से लाभान्वित होने वाले हैं।

किसानों को कितना होगा फायदा 

नलकूपों को बिजली कनेक्शन दिए जाने से किसानों को काफ़ी फायदा होने वाला है। बता दें कि बिहार में नलकूपों से सिंचाई के लिए बिजली का दर मात्र 75 पैसे प्रति यूनिट है। किसानों को इतनी कम रेट पर बिजली मिलने से, आसान और टिकाऊ सिंचाई सुविधा मिलने से काफी लाभ होने वाला है। इससे न सिर्फ किसानों की फसलों की लागत कम होने वाली है बल्कि अच्छी सिंचाई सुविधा होने से किसान समय पर सिंचाई कर पाएंगे और फसल का उत्पादन भी बढ़ा पाएंगे।

कैसे मिलेगा किसानों को लाभ ( आवेदन की प्रक्रिया )

राज्य में 3 लाख से ज्यादा विद्युत कनेक्शन दिए जाने बाकी हैं। इसके लिए समय-समय पर शिविर लगाकर मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना का आवेदन लिया जाता है। अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से जुड़े रहें जब आपके क्षेत्र में शिविर लगाया जाएगा तब ऑफलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किसान इस योजना में आवेदन कर पाएंगे। किसान के पास निजी मोटर पंप और नलकूप होने चाहिए। साथ ही आवश्यक दस्तावेज के तौर पर किसान का आधार कार्ड, किसान का आवासीय या निवास प्रमाण-पत्र, किसान के जमीन का विवरण एवं दस्तावेज, मोबाइल नंबर आदि होने चाहिए। 

बिजली की क्षति को कम करने की भी हुई पहल

कई जगह पर ग्रामीण क्षेत्रों में बांस और बल्ले के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही थी। जिसे विभाग ने तुरंत प्रभाव से बदलने के निर्देश दिए हैं। ताकि किसानों तक गुणवत्तापूर्ण बिजली पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके और बिजली की क्षति को भी कम किया जा सके। 

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