यूजर प्रोफाइल

नया उपयोगकर्ता

ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़ें

धान की खेती में डालें ये जैविक उर्वरक, होगी बंपर पैदावार और कमाई

प्रकाशित - 28 May 2023

धान की खेती में पैदावार बढ़ाने के टिप्स, जानें कितना बढ़ेगा उत्पादन

देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार एक तरफ नई-नई एग्रो टेक्नोलॉजी पर ध्यान दे रही है, वहीं खेती की लागत को कम करने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को कृषि में प्रशिक्षित कर खेती की  लागत को कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि आज के दौर में खेती के लिए उर्वरक, ईंधन आदि की लागत काफी बढ़ गई है। इसलिए जरूरी है कि खेती में लागत को कम किया जाए ताकि प्रॉफिट बढ़ सके और खेती से किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। इसी क्रम में ट्रैक्टर जंक्शन पर हम किसानों के लिए एक ऐसी जैविक तकनीक की जानकारी लेकर आए हैं। जिससे किसान बहुत हद तक यूरिया का उपयोग कम कर खेती की लागत को भी कम कर सकते हैं, साथ ही स्वास्थ्यवर्धक चावल की भी तैयारी कर सकते हैं। किसानों को इस कार्य में मदद करने वाली है, नील हरित शैवाल। नील हरित शैवाल से खेतों में जैविक नाइट्रोजन पैदा करने की लागत मात्र 50 रुपए से 100 रुपए तक होगी। यूरिया पर किसान हज़ारों रुपए खर्च कर देते हैं लेकिन नील हरित शैवाल बेहद आसान और सस्ता तरीका है।

ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम नील हरित शैवाल से खेतों में नाइट्रोजन की कमी पूरा करने का तरीका, धान की खेती में उत्पादन बढ़ाने के संबंध में जानकारी दे रहे हैं।

क्या होता है नील हरित शैवाल

नील हरित शैवाल एक जीवाणु होता है जो पौधों की तरह ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर जीवित रहता है। इसे साइनो बैक्टीरिया भी कहा जाता है। वायुमंडल से नाइट्रोजन की यौगिकीकरण कर पाने की क्षमता की वजह से किसान इसका उपयोग फसलों के लिए करते हैं। ये फसलों को नाइट्रोजन प्रदान कर, यूरिया की लागत को कम कर देता है। खास कर धान की खेती में शैवाल का विशेष उपयोग होता है।

कितनी यूरिया की होगी बचत

नील हरित शैवाल के उपयोग से सिर्फ यूरिया की ही बचत नहीं होती बल्कि इससे होने वाली पैदावार भी बहुत हद तक रसायन मुक्त होती है। रसायन मुक्त खाद्य पदार्थों की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है, लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क हो रहे हैं। इस तरह यूरिया की अच्छी बचत हो सकेगी। आईएआरआई के सूक्ष्म जैव वैज्ञानिक डॉ सुनील पब्बी ने बताया कि खेतों में अगर इस जीवाणु को डाला जाए तो प्रति हेक्टेयर 40 से 45 किलो यूरिया की बचत करेगा। इससे यूरिया की बचत के साथ भूमि का भी सुधार हो सकेगा। जिससे मिट्टी की उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी और चूंकि यह मिट्टी की कार्बनिक शक्ति के अलावा मिट्टी की जल अवरोधक क्षमता में भी वृद्धि करती है, इसलिए फसल के उत्पादन में भी वृद्धि होगी। साथ ही किसान इस जैविक यूरिया के उपयोग से पैदा होने वाले चावल को मार्केट में ज्यादा रेट में बिक्री कर पाएंगे।

कितनी बढ़ेगी पैदावार

धान की पैदावार बढ़ाने में नील हरित शैवाल का एक बड़ा रोल देखने को मिलता है। जो किसान इस जैविक नाइट्रोजन का उपयोग धान की खेती में करते हैं, उनकी मिट्टी की उपज में बढ़ोतरी होती है। इस तरह किसान 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन ले सकते हैं। अगर किसान प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल तक की पैदावार कर पा रहे हैं तो नील हरित शैवाल के उपयोग से 65 से 70 क्विंटल प्रति एकड़ चावल की पैदावार हो सकती है। इस तरह कुल 5 से 10 क्विंटल चावल का अधिक उत्पादन हो सकता है। अच्छी बात ये है कि किसान खेत में ही इन शैवालों को बना सकते हैं और इनकी संख्या में भी वृद्धि कर सकते हैं।

कैसे बनाएं नील हरित शैवाल

नील हरित शैवाल बनाने की प्रक्रिया बेहद सरल है। इसे बनाने के लिए खेतों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। कृपया इन तरीकों को फॉलो करें।

  • ऐसी खुली जगह जहां दिन भर धूप आती है, वहां गड्ढा बना लें। गड्ढे की लंबाई दो मीटर, चौड़ाई एक मीटर और गहराई 8 से 10 इंच रख लें। 
  • गड्ढे में पॉलीथीन की शीट बिछा दें और खेत के तीन से 4 किलो छनी हुई मिट्टी लें और उस पानी में मिलाएं।
  • अब गड्ढे साफ पानी डाल दें। पॉलीथिन इसलिए बिछाई जाती है ताकि पानी मिट्टी के अंदर न जाए।
  • अब 100 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट मिला दें। 
  • इसके बाद 5 मिली ग्राम मेलाथियान को पानी में मिलाएं। इस रसायन को इसलिए मिलाया जाता है ताकि गड्ढे में पानी जमने की वजह से मच्छर न पनपे।
  • ये प्रक्रिया जब पूरी हो जाए तो अगले दिन इसमें 100 ग्राम नील हरित शैवाल छिड़क कर छोड़ दें।
  • पानी कम हो तो पानी देते रहें।
  • लगभग 6 से 7 दिनों में नील हरित शैवाल की मोटी परत बनने लगेगी।
  • अब पानी सूखने दें, जब पानी सूख जाए तो शैवाल को पॉलीथीन में रखें। और उन्हें यूरिया के रूप में खेतों में उपयोग करें।
  • एक बार नील हरित शैवाल की तैयारी के बाद, और उत्पादन के लिए गड्ढे में पानी दुबारा डाल दें। इस तरह 6 से 7 बार इस शैवाल का उत्पादन लिया जा सकता है।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों स्टैंडर्ड ट्रैक्टर, एस्कॉर्ट्स ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

सर्टिफाइड पुराने ट्रैक्टर्स

स्वराज 744 एफई
₹1.40 लाख का कुल बचत

स्वराज 744 एफई

48 एचपी | 2021 Model | अहमदनगर, महाराष्ट्र

₹ 6,00,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
महिंद्रा 475 डीआई
₹2.25 लाख का कुल बचत

महिंद्रा 475 डीआई

44 एचपी | 2019 Model | सीकर, राजस्थान

₹ 4,50,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
सोनालिका डीआई 50 आरएक्स
₹1.47 लाख का कुल बचत

सोनालिका डीआई 50 आरएक्स

52 एचपी | 2020 Model | राजगढ़, मध्यप्रदेश

₹ 5,70,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
पॉवर ट्रैक 434 प्लस
₹2.08 लाख का कुल बचत

पॉवर ट्रैक 434 प्लस

37 एचपी | 2023 Model | चितौड़गढ़, राजस्थान

₹ 3,32,500
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

सभी देखें