प्रकाशित - 24 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गार्डनिंग का शौक पहले विदेशों में ही देखने को मिलता था, लेकिन अब यह भारत में दिखाई देने लगा है। शहरी लोग अपने घरों की छतों पर जरूरत की सब्जियां उगाने लगे हैं। छत पर बागवानी करने से किचन की जरूरतें भी पूरी हो जाती हैं। सब्जियों की गार्डेनिंग अब एक शौक के साथ व्यवसाय बन चुका है। इससे घर की छतों के बेहतर इस्तेमाल के साथ ही परिजनों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखने में आसानी होती है। टैरेंस पर सब्जियों के अलावा छोटे फलों व फूलों को भी लगाया जाता है। टैरेस गार्डनिंग घर व वातावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाए रखने में मददगार साबित होता है।
घर की छतों पर गार्डनिंग करने वाले शौकीनों की सबसे पहली पसंद फूल होते हैं, लेकिन अगर हम बात करें सब्जियों की तो इसमें सबसे पहला नाम टमाटर का आता है। टैरेस पर उगाई जाने वाली मुख्य सब्जियों में टमाटर, हरी मिर्च, करेला, कद्दू, लौकी, खीरा आदि शामिल है। अक्सर हम सोचते हैं कि पेड़-पौधे उगाने और उनके बड़े होने के लिए खाद, मिट्टी, पानी और सूर्य का प्रकाश जरूरी है। लेकिन असलियत यह है कि फसल उत्पादन के लिए सिर्फ तीन चीजों – पानी, पोषक तत्व और मिट्टी की जरूरत होती है। इन सभी जरूरत की चीजों को आसानी से छोटे-छोटे गमलों में इक्ट्ठा किया जा सकता है। सब्जियों की जरूरत के हिसाब से गमले या किसी पुराने पॉट में मिट्टी भरी जा सकती है। छतों पर उगने वाली सब्जियों में ज्यादा पानी व अधिक मात्रा में जैविक पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती है।
अक्सर किसी घर में खूबसूरत गार्डन देखने पर कई लोग अपने घर में भी गार्डन बनाने की सोचने लगते हैं। लेकिन फिर एक सवाल उनके मन में जरूर उठता है कि इसके लिए किन चीजों की जरूरत पड़ेगी। टैरेस गार्डन में फल और फूल के पौधे उगाने के लिए पॉट्स और ग्रो बैग्स का इस्तेमाल किया जाता है। टैरेस गार्डन में सब्जियों के बढ़ते इस्तेमाल को देखकर ज्यादातर लोग टमाटर उगाना पसंद करते हैं। टमाटर की गार्डनिंग में मुख्यत: जिन औजारों की आवश्यकता होती है, वे इस प्रकार से हैं-
पौधे तैयार करने के लिए सीडलिंग ट्रे
मिट्टी
गमला या ग्रो बैग
कम जगह में पौधे उगाने के लिए हैंगिंग पोट्स
खाद व उर्वरक
गार्डन टूल्स
हाथों की सुरक्षा के लिए हैंड ग्लव्स
मिट्टी की खुदाई के लिए हैंड ट्रॉवेल
कटिंग लेने के लिए हैंड प्रूनर
बगीचे की मिट्टी तैयार करने के लिए गार्डन फोर्क
बेल वाले पौधों के लिए क्रीपर नेट
कीटनाशकों के छिड़काव के लिए हाई प्रेशर स्प्रे पंप
पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन
ऑटोमेटिक पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई किट
गमलों को रखने के लिए ड्रेनेज मैट
सब्जियों में आलू के बाद अगर कोई एक सब्जी है जिसकी घर-परिवार व बाजार में सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह है टमाटर। टमाटर का इस्तेमाल हमेशा किचन में होता है। इस सब्जी की खेती करते समय कई सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे अधिक फल प्राप्त किए जा सकें। सिंगल और दूसरी सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए टमाटर का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा टमाटर का इस्तेमाल त्वचा की देखभाल के लिए भी किया जाता है। टमाटर में कैरोटीन नामक वर्णक होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन, पोटेशियम और विभिन्न खनिज तत्व होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
जनवरी में टमाटर के पौधे की रोपाई के लिए नवंबर माह के अंत तक टमाटर की नर्सरी तैयार की जाती हैं। पौधों की रोपाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करनी चाहिए। यदि आप सितंबर माह में इसकी रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी जुलाई के अंत तक तैयार कर सकते हैं। पौधे की बुवाई अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में की जाती है। मई में इसकी रोपाई के लिए मार्च और अप्रैल माह में नर्सरी तैयार करनी चाहिए। वहीं पौधे की रोपाई अप्रैल और मई माह में की जा सकती है।
टमाटर को टैरेस गार्डन या बालकनी में भी उगाया जा सकता है। हालांकि, टमाटर उगाने में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि आपको ज्यादा से ज्यादा मात्रा में फल मिल सके। छत पर आप स्वर्ण लालिमा, पूसा एवरग्रीन, स्वर्ण नवीन, स्वर्ण समृद्धि और स्वर्ण संपदा जैसी किस्में लगा सकते हैं। जिसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
सबसे पहले बीजों को पानी से धो लें। अंकुरण के लिए बीजों को 24 घंटे तक भिगोकर रखना चाहिए। अब एक बर्तन या पात्र लें, जिसका व्यास कम से कम 20 इंच और गहराई 18-24 इंच हो। गमले की तली में एक छेद कर दें, ताकि पेड़ को सड़ने से बचाया जा सके। इसके बाद बर्तन को 40% मिट्टी, 30% बालू और 30% जैविक खाद से भरकर एक दिन के लिए धूप में रख दें। अगले दिन अंकुरित बीजों को गमले में फैला दें। अब ऊपर से मिट्टी डालें और स्प्रेयर से हल्का पानी डालें। एक छोटा पौधा अपने बीज से निकलने में 10 दिन का समय लेता है।
सबसे पहले सब्जी के बीजों को पानी से धोकर बीजों को अंकुरण के लिए 24 घंटे के लिए भिगो दें।
अच्छी उपज देने वाली टमाटर की किस्मों में स्वर्ण लालिमा, पूसा सदाबहार, स्वर्ण नवीन, स्वर्ण समृद्धि और स्वर्ण संपदा आदि शामिल हैं।
इसके बाद एक गमला या कंटेनर लें, जिसका व्यास कम से कम 20 इंच और गहराई 18-24 इंच हो।
पौधे को सड़ांध और बीमारी से बचाने के लिए, बर्तन को सुखा दें और बर्तन के तल में एक छेद करें।
इस गमले में 40% बगीचे की मिट्टी, 30% रेत और 30% जैविक खाद भरकर एक दिन के लिये धूप में रख दें।
बता दें कि जैविक खाद पौधों की वृद्धि में मदद करेगी और रेत जल निकासी में मदद करेगी।
अगले दिन अंकुरित बीजों को गमलों में लगा दें और ऊपर से मिट्टी डालें और स्प्रेयर से हल्का पानी डालें।
अंकुरित टमाटर के बीज से छोटा पौधा बनने में 5-10 दिन का समय लगता है।
बता दें कि गमले को अपनी बालकनी और छत पर रखें जहां उसे उचित धूप मिले। बर्तन को नम रखने के लिए दिन में एक बार पानी डालें। पौधों को कीटों से बचाने के लिए प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग करें। कुछ महीनों में जब फल निकलने लगे तो आप उन्हें काटकर अपने किचन के काम में इस्तेमाल कर सकते हैं।
बीजों के साथ तैयार गमले को छत के किसी ऐसे कोने में रख दें जहां उसे 6-8 घंटे की धूप मिल सके, इससे पौधे को बढ़ने में काफी मदद मिलती है। गमले में नमी बनाए रखने के लिए मिट्टी को दिन में एक बार पानी दें। गमले में लगे पौधों को कीड़ों से बचाने के लिए 20-25 दिन में एक बार निंबोली कीटनाशक का छिड़काव करें। आप चाहें तो नीम के तेल का इस्तेमाल बीमारियों में भी कर सकते हैं। याद रखें कि छिड़काव के 7 दिनों तक पेड़ से फल नहीं तोड़ना चाहिए। स्वर्ण समृद्धि और स्वर्ण संपदा जैसी किस्में लगा सकते हैं। जिसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
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