प्रकाशित - 15 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गन्ने की खेती (sugar cane field) करने वाले किसानों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशखबर निकलकर सामने आ रही है। खासकर छोटे किसानों के लिए यह खबर बहुत ही मायने रखती है जिनके पास गन्ने की बुवाई (sugarcane sowing) का कम क्षेत्र होता है और उत्पादन भी कम होता है। ऐसे किसानों को गन्ना बेचने में भी परेशानी आती है। इन किसानों को गन्ना बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। देर से गन्ना पर्ची मिलने के कारण चीनी मिल द्वारा इनके गन्ने की खरीद भी देरी होती है। अब ऐसा नहीं होगा। सरकार ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए राज्य के छोटे किसानों से सबसे पहले गन्ने की खरीद करने के निर्देश दिए है ताकि गन्ना बेचने पर सबसे पहले पैसा छोटे किसानों को मिल सके ताकि वे अगली फसल की बुवाई समय पर कर सकें।
यूपी के गन्ना विकास विभाग द्वारा पेराई सत्र 2023-24 में पंजीकृत छोटे गन्ना किसानों के हित में गन्ना सट्टा एवं आपूर्ति नीति में परिर्वतन किया गया है। राज्य में करीब 10.74 लाख पंजीकृत छोटे गन्ना किसान है जिन्हें गन्ना पर्चियां जारी की गई हैं। छोटे किसानों की संख्या अधिक होने से राज्य सरकार ने सबसे पहले इन्हीं किसानों से गन्ने की खरीद करने का निर्णय लिया है। इसी के साथ 60 क्विंटल की जगह 72 क्विंटल के सट्टा धारकों को छोटे किसान का दर्जा दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले से छोटे किसानों को सबसे पहले गन्ने की आपूर्ति करने का मौका मिलेगा।
पेराई सत्र 2023-24 के तहत अब तक राज्य के 46 लाख गन्ना किसानों को 2.75 करोड़ रुपए की गन्ना पर्चियां जारी की गई हैं। इनमें से 10.74 लाख छोटे गन्ना किसानों को 19.20 लाख एसएमएस गन्ना पर्चियां भेजी गई हैं। स्मार्ट गन्ना किसान व्यवस्था के जरिये किसानों के गन्ने की आपूर्ति चीनी मिलों को सही समय पर हो रही है। इस व्यवस्था से गन्ना किसानों और चीनी मिल दोनों को लाभ हो रहा है। वहीं डिजिटलीकरण के अंतर्गत शुरू हुए स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट से सहकारी समितियों के कार्यों में भी पारदर्शिता आएगी।
किसानों को गन्ने बेचने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आए इसके लिए राज्य सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। स्मार्ट गन्ना किसान (एस.जी.के) प्रोजक्ट के तहत किसानों को मिलने वाली सुविधाओं और विभागीय कार्यों का अनुश्रवण करते हुए आयोजित साप्ताहिक समीक्षा बैठक में सभी परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्तों एवं जिला गन्ना अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के किसानों को मिलने वाली एस.एम.एस. पर्ची एवं गन्ना आपूर्ति में कोई कठिनाई नहीं आने पाए। इसके लिए विभागीय समस्याओं का तत्काल निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। बता दें कि वर्तमान सट्टा नीति के अनुसार छोटे गन्ना किसानों को चीनी मिल चलने के 45 दिन के अंदर पेड़ी गन्ना और एक फरवरी से 45 दिन के भीतर पौधा गन्ना के लिए पर्ची देने का प्रावधान भी किया गया है।
कई बार किसानों को तकनीक समस्या के कारण गन्ना पर्ची एसएमएस नहीं मिल पाता है तो इसके कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में किसान को कुछ निर्देशों का पालन करना चाहिए ताकि विभाग की ओर से भेजी जा रही गन्ना पर्ची किसानों को सही समय पर प्राप्त हो सकें। किसान नीचे दिए गए कुछ निर्देशों का पालन करके बिना रूकावट एसएमएस द्वारा गन्ना पर्ची प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को डिजिटल तकनीक से जोड़कर उनके काम को आसान बनाने के लिए स्मार्ट गन्ना किसान प्रोजेक्ट (Smart Sugarcane Farmer Project) चलाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत गन्ने की खेती के लिए आईटी प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। इससे किसान गन्ना सर्वे, सट्टा कैलेंडर और पर्ची से जुड़ी सारी जानकारियां उन्हें घर बैठे फोन पर ही उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब किसानों को गन्ना पर्ची के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है, उन्हें अब फोन पर ही गन्ना पर्ची का एसएमएस (sugarcane slip sms) भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं स्मार्ट गन्ना किसान एप की सहायता से गन्ना खरीद के भुगतान की प्रक्रिया भी अब पहले से आसान हो गई। इससे किसानों को गन्ने का समय पर भुगतान करना संभव हो रहा है।
गन्ना उत्पादन में यूपी का देश भर में प्रथम स्थान है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2022-23 के दौरान कुल 29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। यदि छोटे किसानों से संबंधित आंकड़ों को देखें तो प्रदेश में 45 गन्ना उत्पादक जिले हैं। इसमें सीतापुर, कुशीनगर और लखीमपुर जिलों में सबसे अधिक छोटे किसान हैं जो गन्ने की आपूर्ति करते हैं। वहीं कासगंज, बंदायु एवं देवरिया में सबसे कम आपूर्तिकर्ता छोटे किसान हैं।
अलग-अलग राज्य सरकार ने अपने यहां अलग-अलग गन्ने का मूल्य निर्धारित किया हुआ है। उत्तर प्रदेश में इस पेराई सत्र के लिए गन्ने का रेट 350 रुपए प्रति क्विंटल है। वहीं हरियाणा में गन्ने का मूल्य 372 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। पंजाब में गन्ने का मूल्य 380 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। उत्तराखंड में गन्ने का मूल्य 355 रुपए प्रति क्विंटल है और बिहार में गन्ने का मूल्य 355 रुपए प्रति क्विंटल है।
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