प्रकाशित - 30 Jan 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए कई प्रकार की फसलों की खेती करते हैं। हर फसल का अपना एक निश्चित समय होता है और उसी समय पर उसकी बुवाई की जाती है। हालांकि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से अब हर ऋतु में हर तरह फसल बोई जा सकती है, लेकिन इससे उसके स्वाद और क्वालिटी में अंतर आ जाता है। जिस फसल की बुवाई का जो समय है, उसी के अनुरूप यदि फसल की बुवाई की जाए तो अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। साथ ही स्वाद और उसकी क्वालिटी अच्छी होती है।
हमारे देश में खेती के मौसम को तीन भागों में विभक्त किया गया है। इसमें एक रबी सीजन, दूसरा खरीफ सीजन और तीसरा जायद सीजन है। खेती के इन सीजनों में अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है। वहीं महीनों के हिसाब से भी फसलों की बुवाई का समय निर्धारित किया गया है। यदि आपको यह पता हो कि किस माह में किस फसल की खेती करने से अधिक लाभ होता है तो आप खेती से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।
इस समय फरवरी का महीना चल रहा है। फरवरी का महीना सब्जियों की खेती के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस महीने में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। इस मौसम में किसान भिंडी, करेला, खीरा, ककड़ी, लौकी, पत्ता गोभी, टमाटर, पालक, अरबी व मिर्च आदि सब्जियों की खेती कर सकते है। इनमें से कई सब्जियां ऐसी है जो कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली होती है। इनमें सबसे ऊपर नाम आता है भिंडी की खेती (Okra Cultivation) का। यह एक ऐसी सब्जी है जो कम समय में आधिक मुनाफा दे सकती है। खास बात यह है कि इसके बाजार में भाव भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं। इस फसल की खेती में नुकसान की गुंजाइश कम रहती है।
फरवरी महीने में आप भिंडी की अगेती खेती (early cultivation of okra) कर सकते हैं। यदि आप भिंडी की खेती से बेहतर कमाई करना चाहते हैं तो आपको भिंडी की अगेती खेती ही करनी चाहिए जिससे मार्केट में सही समय पर भिंडी की फसल पहुंच जाए और इसके बेहतर भाव मिल सके। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि कई किसान भिंडी की बुवाई देरी से करते हैं जिससे फसल भी देरी से तैयार होती है और फसल को मार्केट पहुंचने में देर हो जाती है। ऐसे में किसान को भिंडी की फसल का बेहतर दाम नहीं मिल पाता है। किसान को मजबूरन कम भाव पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए किसान हमेशा भिंडी की अगेती फसल ही लें ताकि उन्हें अधिक लाभ मिल सके।
भिंडी के अच्छे अंकुरण के लिए फरवरी का महीना काफी अच्छा रहता है। इस महीने में भिंडी की बुवाई करके किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इस महीने भिंडी की बुवाई करने पर अंकुरण अच्छा होता है जिससे काफी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा भिंडी के बेहतर उत्पादन के लिए इसकी उन्नत किस्म का चयन करना भी आवश्यक है। यदि आप भिंडी की खेती का मन बना रहे हैं तो उन्हें इस माह इसकी बुवाई का काम निपटा लेना चाहिए ताकि गर्मी का सीजन आते ही आपकी भिंडी की फसल बाजार में बिक सके। गर्मियों में भिंडी की मांग काफी रहती है। ऐसे में आप सही समय पर भिंडी की फसल बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।
भिंडी की कई उन्नत किस्में है जो कम समय में अधिक पैदावार दे सकती है। यह किस्में 50 से लेकर 65 दिन की अवधि में तैयार हो जाती हैं। भिंडी की किस्मों में पूसा सावनी, परभनी क्रांति, अर्का अनामिका, पंजाब पद्मिनी, अर्का अभय आदि आती है। किसान अपने क्षेत्र के अनुसार भिंडी की किस्म का चयन कर सकते हैं। इसके लिए किसान अपने राज्य के लिए अनुसंशित की गई किस्म काे बुवाई के लिए इस्तेमाल करें। इस संबंध में आप अपने जिले के कृषि विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकते है।
कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक भिंडी की बुवाई (sowing of okra) से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद दो बार कल्टीवेटर (Cultivator) से हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। यदि आपने फसल बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाई है तो आप उन खाद व उर्वरकों का ही इस्तेमाल करें जिसकी अनुसंशा मिट्टी की जांच में की गई है।
यदि आपने खेत की मिट्टी की जांच नहीं करवाई है तो आपको बुवाई से पूर्व खेत में 90 किलो यूरिया और 50 किलो डीएपी और 30 किलो एमओपी की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करनी चाहिए। इसमें से आधा भाग यूरिया और पूरा भाग डीएपी और पूरा भाग एमओपी की मात्रा खेत की जुताई के समय डालनी चाहिए। शेष बची हुई मात्रा को खड़ी फसल में इस्तेमाल करना चाहिए।
किसानों को भिंडी खेती के लिए हमेशा उन्नत बीज का चयन करना चाहिए। फसल को कीट, रोग के प्रकोप से बचाने बीजों को बोने से पहले उन्हें उपचारित कर लेना चाहिए। जायद भिंडी (Zaid Bhindi) के बीजों को बोने से पहले उन्हें 12 से लेकर 24 घंटे तक पानी में भिगाने के बाद उसे उपचारित करना चाहिए। बीजों को उपचारित करने के बाद उन्हें छाया में सुखाकर बोना चाहिए। भिंडी के बीजों को उपचारित करने के लिए बीज को 3 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से लेकर उपचारित करना चाहिए। यदि बीज की मात्रा की बात करें तो भिंडी की उन्नत बीज की मात्रा प्रति एकड़ 6 किलोग्राम और संकर किस्मों के लिए 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से लेना पर्याप्त होता है।
भिंडी की बुवाई हमेशा सीधी कतार में ही करनी चाहिए। इसकी बुवाई उठी हुई क्यारियों में करनी चाहिए। इसमें कम से कम 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची बेड बनाकर इसकी बुवाई करनी चाहिए। ऐसा करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पौधों को पोषक तत्वों की उचित मात्रा मिलती रहती है और फसल उत्पादन भी बेतहर होता है। जायद और गर्मी की बुवाई के लिए भिंडी की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
यदि खेत में नमी नहीं हो तो भिंडी की फसल की बुवाई करने से पहले खेत की एक सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके बाद 8 से 10 दिन के अंतराल में सिंचाई की जा सकती है। सिंचाई के लिए फव्वारे या ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए।
भिंडी की फसल 45 से 50 दिन के बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। जब भिंडी का आकार 4 से 5 इंच हो जाए और इसका रंग बिलकुल हरा हो तब इसकी तुड़ाई करनी चाहिए। तुड़ाई के बाद भिंडी की छंटाई करके अलग-अलग केटेगरी बनाकर बाजार में बेचना चाहिए जिससे उचित भाव मिल सके। इस तरह आप कम समय में भिंडी की खेती से बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
भिंडी की खेती (Okra Cultivation) में प्रति हैक्टेयर लागत 50 से 60 हजार रुपए तक आती है। वहीं भिंडी की खेती से प्रति हैक्टेयर 70 से 80 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। सामान्य तौर पर भिंडी का बाजार भाव (Market Price of Okra) 30 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहता हैं। ऐसे में किसान एक हैक्टेयर में भिंडी की खेती से करीब 3,20,000 रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
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