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गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद : किसानों से अब दागी गेहूं भी खरीदेगी सरकार, आदेश जारी

प्रकाशित - 10 Apr 2024

केंद्रीय पूल खरीद के लिए गेहूं की विशिष्टताओं में दी छूट, किसानों को होगा लाभ

गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की जा रही है। इसी के साथ ही बाजार में किसान व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं जिससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा हो रहा है। गेहूं की बाजार कीमत एमएसपी से ऊंचे होने से बहुत ही कम किसान एमएसपी पर अपने गेहूं की उपज लेकर आ रहे हैं। इसके बाद भी अब एमएसपी (MSP) विक्रय के लिए किसानों का गेहूं मंडी आना शुरू हो गया है। सरकारी खरीद भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इसी बीच सरकार ने किसानों से कम चमक वाला जिसे दागी गेहूं कहते उसकी खरीद की अनुमति भी दे दी है जिससे किसानों को लाभ होगा। अब किसान एमएसपी पर अपना दागी गेहूं भी बेच सकेंगे। ऐसे में अब किसानों से कम चमक वाला गेहूं भी एमएसपी पर खरीदा जाएगा।

किसानों को क्यों दी दागी गेहूं बेचने की छूट

राज्य में पहले सहकारी समितियों द्वारा दागी गेहूं खरीदने से इंकार किया जा रहा था। इतना ही नहीं जिन समितियों ने दागी गेहूं खरीदा था उसे भारतीय खाद्य निगम ने वापस लौटा दिया था। इससे किसानों में रोष व्याप्त था। इस बात को लेकर किसान संगठनों ने राज्य सरकार से चमकविहीन मामूली दागी गेहूं को भी खरीदने की मांग की थी। किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, नई दिल्ली के संयुक्त आयुक्त (एस एंड आर) द्वारा जारी आदेश में केंद्रीय पूल खरीद के लिए गेहूं की विशिष्टताओं में छूट प्रदान की है।

किस रेट पर होगी चमक विहीन गेहूं की खरीद

विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार मध्यप्रदेश में बैमोसमी बारिश और ओलावृष्टि से रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए सरकार द्वारा खरीदे जा रहे गेहूं की समान विशिष्टताओं में चमक हानि में छूट के साथ किसानों से गेहूं की खरीद करने का निर्णय लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि पूरे मध्यप्रदेश में 30 प्रतिशत तक प्रभावित दानों वाला चमकविहीन गेहूं किसानों से बिना किसी मूल्य कटौती के खरीदा जाएगा। खरीदे गए गेहूं को ढेर में रखा जाएगा और उसका हिसाब अलग से लगाया जाएगा। भंडारण के दौरान शिथिल मापदंडों के तहत खरीदे गए गेहूं के स्टॉक की क्वालिटी में किसी भी प्रकार की गिरावट पाई जाती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश राज्य सरकार की होगी। इसके अलावा खरीदे गए गेहूं के स्टॉक को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा। इस छूट के कारण किसी भी वित्तीय या परिचालन प्रभाव की जिम्मेदारी राज्य सरकार की रहेगी। केंद्र सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों किसानों को राहत मिल गई है। अब वे अपना चमकविहीन गेहूं भी सहकारी समितियों को बेच सकेंगे।  

गेहूं खरीद के लिए पहले क्या दिए गए थे निर्देश

बता दें कि रबी सीजन 2024-25 में समिति स्तर और गोदाम स्तर पर भारतीय खाद्य निगम के निर्देशानुसार गेहूं खरीदी में मापदंड और गुणवत्ता में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन निरीक्षण के दौरान उपार्जित स्टॉक के नमूनों का विश्लेषण करने पर इसे मानदंडों के अनुरूप नहीं पाए जाने पर भारतीय खाद्य निगम ने इस स्टॉक को वापस भेज दिया था यानी रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने इसकी पूरी जबावदेही समिति की बताई जिस पर समिति प्रबंधकों ने उपार्जन केंद्रों पर माल तुलाई बंद कर दी थी जिससे किसान काफी परेशान थे। ऐसे में किसानों की परेशानी को समझते हुए सरकार ने अपने निर्देशों में छूट देकर किसानों को राहत प्रदान की है।

क्या है इस समय एमएसपी पर गेहूं की खरीद का हाल

गेहूं उत्पादक 10 राज्यों में से अभी तक सिर्फ पांच राज्यों में ही गेहूं की खरीद हो रही है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 9 अप्रैल तक देशभर में मात्र पौने आठ लाख मीट्रिक टन यानी 7,74,759 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो सकती है। इसमें से 92 प्रतिशत से अधिक गेहूं मध्यप्रदेश में खरीदा गया है। बता दें गेहूं उत्पादक राज्यों में मध्यप्रदेश का दूसरा नंबर आता है। पहले नंबर पर पंजाब है जहां अभी तक गेहूं की खरीद शुरू नहीं हो पाई है। यही हाल हरियाणा में हो रहा है, यहां सरकारी केंद्र सूने पड़े हैं। यहां कागजों में तो गेहूं की खरीद शुरू हो गई है लेकिन किसान गेहूं को एमएसपी पर बेचने के लिए मंडी नहीं आ रहे हैं। इसका प्रमुख कारण बाजार में किसानों को गेहूं का एमएसपी से अधिक रेट मिलना है। वहीं दूसरा कारण गेहूं की नमी को बताया जा रहा है, जो किसान मंडी में गेहूं लेकर आ रहा है तो उसे सरकारी खरीद केंद्र वाले नमी का हवाला देते हुए वापस लौटा रहे हैं। बता दें कि एमएसपी पर गेहूं के लिए नमी मात्रा 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

इस वर्ष के लिए कितना है गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य

इस साल के लिए केंद्र सरकार की ओर से गेहूं का एमएसपी 2275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो पिछले साल 2125 रुपए प्रति क्विंटल था। ऐसे में इस साल किसानों को पिछले साल के मुकाबले गेहूं बेचने से 150 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मुनाफा मिलेगा।

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