कम लागत में आम की खेती (Mango cultivation) कैसे करें?, जानें, आम की खेती की पूरी जानकारी
आम को फलों का राजा कहा जाता है। इसकी मांग भारतीय फल मार्केट में काफी ज्यादा है। माना जाता है कि भारत में किसानों की आय दोगुनी कर पाने के लिए अधिक से अधिक बागवानी की खेती को प्रोत्साहन देना होगा। क्योंकि बागवानी की खेती से किसानों को काफी लाभ होगा, क्योंकि बाजार में बागवानी उत्पाद की व्यापक मांग देखी जाती है। फल, फूल सब्जियों की मांग तो हमेशा बाजार में बनी रहती है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से आपको आम के फलों की खेती के बारे में बताएंगे। कि कैसे बहुत ही कम लागत में आप आम की खेती कर पाएंगे और इतना ही नहीं आम की खेती से कमाई भी काफी कर पाएंगे।
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आम की बागवानी : भारत में फलों की खेती की अपार संभावना
आम अपने देश में देश में सर्वाधिक पसंद किए जाने वाला फल है। खासकर छत्तीसगढ़ राज्य की मिट्टी, जलवायु सभी आम के पक्ष में है। लेकिन अन्य राज्यों में भी इसकी खेती की व्यापक संभावनाएं हैं। उत्तर भारत की बात करें तो अन्य जगहों के मुकाबले 20 से 25 दिन पहले ही आम फल जाता है। यही वजह है कि मार्केट में आम पहले ही चला आता है। इसीलिए छत्तीसगढ़ जैसे भारतीय राज्यों में आम की बागवानी के अपार संभावनाएं हैं।
क्यों करनी चाहिए आम की खेती?
आम की बागवानी करने के कई कारण हैं, इसे जल की आवश्यकता भी कम पड़ती है। यही वजह है कि आम की खेती शुष्क भूमि पर भी सिंचाई संसाधन विकसित करके आसानी से किए जा सकते हैं। आम की खेती के और भी व्यापक लाभ हैं। आम की समस्त भाग जैसे लकड़ियां, पत्ते आदि हिंदू धर्म में पूजा पाठ सामग्री के रूप में काम आते हैं। इसके अतिरिक्त यह स्वादिष्ट फल तो प्रदान करता ही है, इसकी लकड़ियां भी काफी महंगी बिकती है। लकड़ियों से काफी मजबूत अवसंरचनाएं या फर्नीचर बनाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं यदि आम का बगीचा लगाया जाता है तो अगले 10 वर्षों तक इन्हीं बगीचे में अन्य फसलों की खेती की जा सकती है जब तक कि वे फलने फूलने ना लगे। प्रारंभिक 8 से 10 वर्षों तक अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है। उसके बाद आम के बगीचे से ही व्यापक आय प्राप्त होंगे।
आम की खेती (Mango cultivation) : एक पर्यावरण हितैषी फसल
आम की खेती का विचार एक उत्तम विचार है, इससे ना सिर्फ आप अपनी आय बढ़ा पाएंगे। बल्कि पर्यावरण के लिए भी आपका महत्वपूर्ण योगदान जा रहा है। साथ ही आम की खेती से आसपास की हवा स्वच्छ होगी। और वह एक बेहतरीन रहने योग्य स्थान भी होगा। इसके अतिरिक्त आप जलसंरक्षण के क्षेत्र में भी अपनी महती भूमिका दे रहे हैं। क्योंकि पेड़ पौधे लगाने से आस पास तक भू जल स्तर में सुधार देखने को मिलता है। आम की खेती कैसे करें इसकी चर्चा भी हम क्रमबद्ध तरीके से करते वाले हैं। बने रहे हमारे साथ.।
आम की खेती कैसे करें?
आम की खेती (Mango cultivation) के बारे में जानकारी इस ब्लॉग में दी गई हैं, आम की खेती के इस प्रक्रिया के माध्यम से करें।
- उपयुक्त बेहतरीन किस्मों का चयन करें क्योंकि आम की खेती बार बार फसल काटने और लगाने वाली खेती तो है नहीं। इसलिए मार्केट में मौजूद सबसे अच्छी आम की उन्नत किस्मों से बगानी शुरू करें।
- उचित गुणवत्ता वाले आम की उन्नत किस्मों एवं स्वस्थ पौधों का चयन करें।
- भूमि का चयन करके वहां सिंचाई की सुविधा को भी विकसित कर लें।
- इसके अतिरिक्त जानवरों से बचाव हेतु अच्छी तरह से भूमि की घेराव का प्रबंध कर लें। इससे जानवरों से बचाव तो होगा ही साथ ही चोरों से भी आपका फसल काफी हद तक सुरक्षित रहेगा। कंटीली तारों से पूरे अच्छी तरह से घेरना उत्तम रहेगा।
आम की खेती के लिए कौनसी मिट्टी उपयुक्त होगी?
- आम की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी है लेकिन सभी प्रकार की मिट्टियों में इसकी खेती संभव है। थोड़ी शुष्क या कड़ी मिट्टी हो तो उसमे भी आम का बगीचा लगाया जा सकता है।
- वर्षा के मौसम में पानी इकट्ठा न हो इसका खास ख्याल रखा जाना चाहिए। साथ ही बेहतर जल निकास का प्रबंध भी होना चाहिए।
- आंशिक रूप से सिंचाई का प्रबंध होना चाहिए। यदि संभव तो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को ही बगीचे में इंस्टॉल करें। ताकि पेड़ की अधिक प्रभावी सिंचाई हो सके। बूंदा बांदी से की गई सिंचाई पेड़ को अधिक फायदा देती है।
- ऐसे क्षेत्र का चयन करें जहां पुष्पन यानी मंजर के समय पानी बरसने की संभावना न्यूनतम हो, अन्यथा फसल पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
- प्रदूषित वातावरण में आम की खेती प्रभावी नहीं है, यदि जमीन ईंट भट्टों या चिमनियों के पास है तो ऐसे में वहां खेती न करें। इससे फसल प्रभावित होंगी।
आम की बुआई कब करें?
- आम की बुआई जून माह में करना सर्वोत्तम रहता है। हूं में 4 से 6 इंच वर्षा हो जाने के बाद गड्ढे तैयार कर लें। गड्ढे तैयार करने के बाद आम का रोपण करें।
- 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त के बीच आम का रोपण कभी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह संपूर्ण वर्षा का मौसम है। हमेशा संपूर्ण वर्षा के अवधि में आम की रोपाई को टालें।
- यदि पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध हों, तो ऐसे में फरवरी मार्च के महीने में आप आम का रोपण कर सकते हैं। यह समय आप की रोपाई हेतु उपयुक्त है।
आम की बागवानी कैसे करें?
- आम की बागवानी में ध्यान रहे रोपाई के बाद भी निम्न प्रक्रिया अनुसार खाद और उर्वरक पौधों में डालते रहें। हर वर्ष एक तय क्वांटिटी में पौधों को पोषक तत्व व उर्वरक पड़ना आवश्यक है।
- आम के बाग लगाने हेतु रोपण प्रक्रिया से पूर्व ही जमीन की सफाई समुचित तरीके से करें। और जिस जिस जगहों पर पेड़ लगाने हैं। तय दूरी के अनुसार उसे रेखांकित कर लें।
- आम के फलोद्यान में पौधों से पौधों की दूरी न्यूनतम 10 से 12 मीटर होना तो आवश्यक है।
- हालांकि सघन तकनीक में आम फलोद्यान लगाया जाता है, जिसमे मात्र 2.5 मीटर की दूरी पर ही गड्ढे खोद कर रोपाई कर ली जाती है।
- रोपाई के लिए हमेशा 1×1×1 मीटर आकार के गड्ढे खोदें।
- वर्षा ऋतु के पूर्व जून माह में प्रति गड्ढा 50 किलोग्राम गोबर खाद या जैविक खाद डालें। इसके अतिरिक्त 500 ग्राम सुपर फॉस्फेट एवं 750 ग्राम पोटाश और 50 ग्राम क्लोरोपायरीफ्रांस मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर भर देना चाहिए।
- उपयुक्त समय आने पर ही गड्ढे में एक बेहतरीन किस्म के स्वस्थ आम के पेड़ का रोपण उस गड्ढे में करें।
- वर्षा ऋतु समाप्त होने के 7 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। यदि संभव हो तो बूंदाबांदी से सिंचाई हेतु ड्रिप सिंचाई उपकरण को जरूर लें। ड्रिप सिंचाई उपकरण पर सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है।
- जैविक खाद या जैविक खाद उपलब्ध ना हो तो गोबर खाद का उपयोग हर 6 महीने पर करते रहें। इसके साथ ही जून एवं अक्टूबर माह में रिंग बना कर इन खाद एवं उर्वरकों को देते रहें।
आम की उन्नत किस्में / आम की किस्में
- आम की किस्मों को तीन भाग में बांटा जा सकता है। पहला शीघ्रफलन किस्म जो काफी तेजी से विकसित होकर फल देने योग्य बनता है। बैगनफली, तोतापरी, गुलाबखस, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन, दशहरी आदि।
- आम की दूसरी बेहतरीन किस्म मध्यम फलन किस्म है। जैसे मल्लिका, हिमसागर, आम्रपाली, केशर सुंदरजा, अल्फांजो आदि
- प्रसंस्करण वाली किस्मों में बैगनफली, अल्फांजो, तोतापरी, आदि हैं।
- इसके अतिरिक्त देर से फलने वाली किस्में चैंसा और फजली है।
हालांकि इन सभी बेहतरीन किस्मों की अलग अलग विशेषताएं हैं।
आम में लगने वाले रोग ( आम पौध संरक्षण)
आम में कई प्रकार के रोग भी लगते हैं, जिसका प्रभावी इलाज समय पर होना जरूरी है। अन्यथा यह फसल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। आइए इसके कुछ रोगों की भी चर्चा कर लेते हैं।
- चूर्णी फफूंदी - छोटी टहनियों, फल फूल और पत्तियों पर सफेद भूरे रंग का फफूंद उसे खोखला कर देता है। आम का प्रभावित भाग भूरा होकर सूख जाता है। 0.2% गंधक का 15 दिन के अंतर पर छिड़काव होना चाहिए।
- एंथेक्नोज - पेड़ पर कभी कभी चकत्ते जैसा गहरा रंग बन जाता है। छिद्र भी हो जाता है। इस समस्या से निजात के लिए 3:3:50 का बोर्डो मिक्चर का हर 15 दिन पर छिड़काव जरूरी है।
- बंधा रोग जिसमें पत्तियां छोटी होकर गुच्छे का रूप ले लेती है। इस स्थिति में प्रभावित भाग की छटाई करते हुए एन. ए. ऐ का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी घोल का छिड़काव करते रहें।
- मैंगो हॉपर या तेला रोग भी आम का ही रोग है, जिसमे भूरे कीट पेड़ को चूस चूस कर खोखला कर देते हैं। इस स्थिति में मोनोक्रोटोफ्रांस का छिड़काव हर 7 दिन में दो या तीन बार छिड़काव करें।
- मीलीबग ये रोग फसल में झुंड की तरह रस चूसते और फसल को नुकसान पहुंचा देते हैं। 0.03 प्रतिशत पेराथियॉन का छिड़काव कर लें।
फलों की तुड़ाई और रखरखाव
- फलों के साथ थोड़े डंठल सहित तोड़ने का कार्य करें।
- फलों की तुड़ाई के बाद फलों को अच्छे से सफाई कर लें।
- फलों को हमेशा हवादार जगहों पर रखें। प्लास्टिक की जगह लकड़ी के बक्से का इस्तेमाल स्टोरेज के लिए किया जा सकता है।
- फलों को उसकी आकार के अनुसार अलग अलग रखें। उसका ग्रेड बनाएं।
- आम की तुड़ाई में इस बात का ध्यान रखें कि फल कभी धरती पर ना गिरने पाए।
- हवादार कार्टून में हमेशा भूसे अथवा सुखी पत्तियां डालकर ही आम को बंद करें। इससे उत्पाद खराब नहीं होगा।
आम की खेती से संबंधित सवाल जवाब
प्रश्न - आम की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
उत्तर - आम की सबसे अच्छी किस्म तोतापुरी, अल्फांसो, बैगनफली मानी जाती है। हालांकि अलग अलग किस्मों की अलग अलग विशेषताएं हैं।
प्रश्न - आम की खेती के सब्सिडी कैसे प्राप्त करें?
उत्तर - केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार आम की खेती के लिए ही नहीं कई बागवानी उत्पादों की खेती जैसे फल फूल सब्जियों आदि के लिए व्यापक सब्सिडी प्रदान करती है। 50 से 80% तक की सब्सिडी बागवानी करने पर दिया जाता है। सब्सिडी की विशेष जानकारी के लिए ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़े रहें। यहां किसानों से संबंधित सभी सब्सिडी योजनाओं को कवर किया जाता है। बागवानी की सब्सिडी से सम्बन्धित राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की योजनाओं को कवर किया गया है।
प्रश्न - बागवानी के लिए लोन कैसे लें?
उत्तर - बागवानी के लिए लोन के प्रावधान सिर्फ केंद्र सरकार ने ही नहीं बल्कि अलग अलग राज्य सरकारें भी बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को लोन प्रदान कर रही है। बैंक से बागवानी के लिए काफी सस्ते दर पर लोन उपलब्ध करवाया जाता है, साथ ही उन्हें ब्याज पर छूट भी प्रदान की जाती है।
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