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अंतरिम बजट 2024 : किसानों पर इनकम टैक्स लगाने के लिए विचार कर सकती है सरकार

प्रकाशित - 26 Jan 2024

किन किसानों पर आयकर लगाने का दिया गया है सुझाव और इससे क्या होगा लाभ और नुकसान

अंतरिम बजट 2024, एक फरवरी को पेश किया जाना है। इससे पहले किसानों के संदर्भ में इस पर मंथन किया जाना है। इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की ओर से देश के किसानों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर निकलकर सामने आ रही है। इस खबर में कहा जा रहा है कि सरकार किसानों को भी इनकम टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है। हालांकि यह टैक्स अमीर किसानों पर लगाया जा सकता है जो कृषि से भारी आय प्राप्त कर रहे हैं।

इस संबंध में आरबीआई एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि सरकार एक ओर छोटे व गरीब किसानो के खातों में धनराशि भेज रही है। वहीं दूसरी ओर टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए खेती से ज्यादा आय प्राप्त करने वाले किसानों को टैक्स के दायरे में लाने का विचार कर रही है।

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन एक फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करेंगी। इससे पहले आशिमा गोयल ने मीडिया को कहा कि किसानों को सरकारी भुगतान, एक नकारात्मक रिटर्न की तरह है। इसके साथ ही सरकार कम दरों और न्यूनतम छूट के साथ अमीर किसानों के लिए एक सकारात्मक आयकर लागू कर सकती है। यह बात आशिमा गोयल ने भारत में कृषि आय पर टैक्स लगाए जाने के बारे में पूछे गए सवाल के जबाव देते हुए कही। ऐसे में खबर है कि सरकार बड़े किसानों पर खेती से प्राप्त होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने पर विचार कर सकती है। हालांकि यह विचार कोई नया नहीं है इससे पहले सन 1980 के दशक में भी भारत में इस पर चर्चा हुई थी कि खेती को आयकर के दायरे में कैसे लाया जाए, क्योंकि कई किसान, गैर किसानों की तुलना में खेती से अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं।  

अभी किसानों को खेती से हुई कमाई पर नहीं देना होता है इनकम टैक्स

अभी किसानों को खेती से हुई कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। उन्हें आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार कृषि आय पर टैक्स छूट मिलती है। वर्तमान में आयकर कानून की धारा 10 के अनुसार खेती की आय पर टैक्स नहीं लगता है। ऐसे में किसानों को अपनी आय का कोई रिटर्न फाइल करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में किसानों को खेत से प्राप्त होने वाली आय पर टैक्स देना होगा। यदि कोई किसान खेती से प्राप्त हुई धनराशि से कोई बिजनेस करता है तो उसे कमाई पर टैक्स देना होगा।

सरकार क्यों लगा सकती है अधिक कमाई करने वाले किसानों पर टैक्स

अमीर किसानों पर आयकर लगाने के सुझाव पर सरकार इसलिए भी विचार कर सकती है, क्योंकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का हर चौथा लाभार्थी महिला किसान है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के 15 नंवबर, 2023 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस योजना में कुल लाभार्थी किसान 8.12 करोड़ हैं। इसमें से 6.27 करोड़ यानी 77.33 प्रतिशत पुरुष और 1.83 करोड़ यानी 22.64 प्रतिशत महिला किसान थीं। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 29.22 लाख महिला लाभार्थी थीं। वहीं बिहार में 22.48 लाख लाभार्थी, महाराष्ट्र में 15.62 लाख, मध्यप्रदेश में 14.84 लाख और राजस्थान में 14.75 लाख लाभार्थी थीं।

दिसंबर-मार्च 2018-19 में जब सरकार ने पहली किस्त जारी की थी तब कुल लाभार्थी महिला किसानों की संख्या 3.03 करोड़ थी। ऐसे में पुरुषों के साथ-साथ पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ महिलाएं ले रही हैं। ऐसे में किसान परिवार की आय में भी बढ़ोतरी हुई है। इस तरह से देखा जाए तो सरकार अमीर किसानों को कुछ प्रतिशत टैक्स वसूल करने का इरादा रख सकती है। हालांकि भारत जैसे विशाल देश में यह काम उतना आसान नहीं है, जैसा जापान, चीन और सोवियत संघ का उदाहरण देकर कहा जाता है कि वहां तो ऐसा है, हमारे यहां क्यूं नहीं। इसके पीछे कई कारण हैं।

किसानों को टैक्स दायरे में लाने में क्या है चुनौतियां

खेती को टैक्स के दायरे में लाने पर सरकार के आगे कई चुनौतियां हैं। एक तो भारत जैसे विशाल देश में किसान वोट बैंक एक अपना अलग ही महत्व रखता है। ऐसे में कोई भी सरकार किसानों की आय पर टैक्स लगाने की गलती कम से कम अभी तो नहीं कर सकती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव सिर पर है और सरकार के लिए किसान वोट बैंक बहुत महत्व रखता है। ऐसे में सरकार किसानों की नाराजगी नहीं झेलना चाहती है। चाहे बात अमीर किसानों पर टैक्स लगाने को लेकर ही क्यों न हो। इसके अलावा भी खेती से प्राप्त इनकम को टैक्स के दायरे में नहीं लाने को लेकर अन्य कई कारण भी है।

भारत में खेती की लागत और उससे प्राप्त आय का किसान के पास कोई व्यवस्थित ब्योरा नहीं होता है। भारतीय खेती में पारिवारिक श्रम का आकलन करना काफी कठिन होता है। कहीं-कहीं पूरा परिवार ही खेती के काम में लगा हुआ है और अच्छा पैसा कमा रहा है। वहीं मौसम के कारण फसल खराब होने पर किसान को नुकसान भी झेलना पड़ता है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किए गए बीमे पर मुआवजा 33 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान पर दिया जाता है। वहीं मुआवजे के रूप में मिलने वाली राशि बहुत कम होती है। ऐसे में किसान को ही फसल नुकसान को काफी हद तक खुद को ही झेलना पड़ता है। इसके अलावा खेती में फसल बर्बाद होने पर कई किसानों द्वारा आत्महत्या खबरें सामने आईं हैं। ऐसे में किसानों पर टैक्स लगाने से पहले इस सुझाव पर गहरा मंथन करना अति आवश्यक है।

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