प्रकाशित - 23 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
पानी की कमी को देखते हुए, पिछले 15 साल से देश में धान की ऐसी किस्म पर अनुसंधान चल रहा था। जो न सिर्फ कम पानी में उगे, बल्कि कम पानी में भी किसानों को अच्छी पैदावार दे। अंततः 15 साल बाद इस किस्म को विकसित करने में देश के कृषि वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई। इस किस्म को विकसित करने में बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों व अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस के कुछ वैज्ञानिकों का सहयोग रहा है। इस किस्म के आ जाने से देश में चावल के उत्पादन पर काफी सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद की जा रही है। इस किस्म की कई खासियत है जैसे ये मात्र 115 से 118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। सामान्य किस्मों की अपेक्षा ज्यादा उत्पादन देती है। इसके अलावा भी इस किस्म की कई खासियत हैं।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम धान की अब तक की सबसे उन्नत किस्म के बारे में, उत्पादन, खासियत, रोग प्रतिरोधक क्षमता, चावल की क्वालिटी, बीज कैसे मिलेगा आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
कम बारिश से किसानों की फसल काफी प्रभावित होती है। अक्सर खरीफ की बाद रबी के लिए लगाई जाने वाली फसलें कम पानी की वजह से प्रभावित होती है। उत्पादन को बढ़ाने, पानी की कम खपत, लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आज से करीब 15 साल पहले मालवीय मनीला सिंचित धान किस्म पर रिसर्च शुरू किया गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और आईआरआरआई फिलीपींस के वैज्ञानिकों के संयुक्त सहयोग से आखिरकार कड़ी मशक्कत के बाद इस कार्य में सफलता मिली। बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण और उनकी टीम के सदस्य डॉ जयसुधा, डॉ धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ आकांक्षा सिंह और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRI), मनीला, फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ अरविंद कुमार और डॉ विकास कुमार सिंह द्वारा मिलकर इस किस्म को तैयार किया गया।
कम बारिश, कम सिंचाई में अच्छी पैदावार देने वाली धान की इस नई और उन्नत किस्म की कई खासियत है। जैसे ये मात्र 115 से 118 दिन में तैयार होती है। किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है। कम समय, कम सिंचाई और ज्यादा उत्पादन की वजह से किसानों को तिगुना मुनाफा होता है।
उत्पादन की बात करें तो मालवीय मनीला सिंचित धान-1 किस्म से सामान्य किस्मों की अपेक्षा अधिक उत्पादन होता है। जांच के बाद यह पता लगा है कि धान की इस सर्वश्रेष्ठ किस्म से 55 से 64 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन किया जा सकेगा। इस तरह किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर, अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
इस उन्नत किस्म के चावल की खेती करने वाले किसान, चावल की क्वालिटी के मामले में भी काफ़ी अच्छा रिजल्ट देख सकते हैं। इस किस्म से अच्छी क्वालिटी के लंबे और पतले दाने की पैदावार होती है। अब तक की कम दिनों में पकने वाली धान की किस्मों को देखें तो उनके दाने मोटे मोटे होते हैं। इन चावल की लंबाई 7 मिलीमीटर और मोटाई 2.1 मिलीमीटर है। चावल की क्वालिटी, बासमती चावल की तरह ही हुबहू देखने को मिलती है। यही वजह है कि इस चावल का मार्केट रेट भी किसानों को ज्यादा प्राप्त होगा।
धान की इस किस्म की विश्वसनीयता की जांच के लिए उत्तरप्रदेश के 11 सेंटर पर इसे ट्रायल के लिए ले जाया गया। बिना ट्रायल देश में किसी भी किस्म को खेती के लिए मंजूरी नहीं मिलती। मानवीय मनीला धान की इस किस्म का ट्रायल यूपी के 11 केंद्रों पर शानदार रिजल्ट के साथ पूरा हो गया।
धान की इस नई किस्म के विकसित होने से किसानों को काफी फायदा मिलने वाला है। कम समय में अच्छी पैदावार देने वाली ये किस्म कम पानी की खपत कर न सिर्फ किसानों का लागत कम करती है। बल्कि बासमती चावल के जैसे ही उच्च क्वालिटी का चावल पैदा करती है। बासमती चावल किस्म की अपेक्षा इस किस्म की एक और खासियत ये है जो किसानों को इसकी खेती के लिए लुभा सकती है, वो है इसमें ज्यादा साबुत दाने की पैदावार। जब बासमती चावल का उत्पादन किया जाता है तो उसमें औसतन 40% तक साबुत दाना ही मिलता है। लेकिन इस नई किस्म से खेती करने पर किसानों को 63-64% तक साबुत दाना मिलेगा। इससे किसान ज्यादा कीमत पर चावल बेच पाएंगे। साथ ही कम समय में पैदावार देने की वजह से कटाई के बाद किसान तुरंत नई फसल भी लगा सकते हैं। जैसे धान की कटाई के बाद मटर लगाई जा सकती है। मटर जब कट जाए तो उसके बाद गेहूं जैसी फसल भी लगा सकते हैं।
धान की इस सबसे उन्नत किस्म की खासियत है कि ये धान के कई रोगों के प्रति सहनशील है। साथ ही ये किस्म कीट और पतंग के लिए भी प्रतिरोधी गुण रखता है। लीफ स्पॉट, ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांट हॉपर, गाल मिज आदि रोगों के मामले में प्रतिरोधी है।
कमाई की बात करें तो किसान 4 महीने की फसल में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। उत्तम क्वालिटी के चावल के बंपर उत्पादन और कम लागत की वजह से किसानों को कई तरह से अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष लाभ होता है। 64 क्विंटल की प्रति हेक्टेयर पैदावार को अगर किसान बेचते हैं तो इससे लगभग 3 लाख रुपए की आमदनी कर सकते हैं। अगर 1 लाख रुपए को लागत एवं श्रम के रूप में कम कर दिया जाए तो लगभग 2 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा किसानों को हो सकता है। ये मुनाफा सिर्फ 4 महीनो में किसान कमा सकते हैं।
जो किसान धान की इस नई किस्म का बीज लेना चाहते हैं, उन्हें अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। कृषि वैज्ञानिक इस बीज के उत्पादन की तैयारी में लगे हुए हैं। 2024 में सबसे पहले बिहार, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा के किसानों के बीज उपलब्ध होने शुरू हो जाएंगे। अपडेट्स के लिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ जुड़े रहें, इससे जुड़ी किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी को साइट पर तुरंत अपडेट किया जाएगा।
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