प्रकाशित - 09 Dec 2023
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
धान की खेती (Paddy farming) करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबर आई है। धान की खरीद पर सरकार अब किसानों को 117 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देगी। इसकी घोषणा राज्य सरकार की ओर से कर दी गई है। अब किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान बेचने पर अधिक लाभ होगा। धान पर बोनस देने के राज्य सरकार के इस निर्णय पर प्रदेश के किसानों ने खुशी जताई है।
जैसा कि आप जानते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से प्रतिवर्ष धान सहित अन्य अधिसूचित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है और उसी रेट पर इसकी खरीद की जाती है। इसी के साथ ही कई राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ अलग से बोनस भी दिया जाता है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के किसानों के लिए धान खरीद पर बोनस की घोषणा की गई है। किसानों को यह बोनस खरीफ फसल विपणन सीजन 2023-24 के लिए दिया जाएगा। इस संबंध में राज्य कैबिनेट की बैठक हुई और इसमें इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया है।
इस साल केंद्र सरकार की ओर से साधारण धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2183 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। वहीं ग्रेड-ए धान के लिए 2203 रुपए प्रति क्विंटल रेट निर्धारित किया है। इस राशि के अलावा किसानों को सरकार की ओर से 117 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जाएगा। यदि बोनस को मिलाकर देखें तो इस बार राज्य के किसानों को पिछले साल की अपेक्षा एमएसपी (MSP) पर धान बेचने से अच्छा लाभ होगा। इस तरह इस साल राज्य के किसानों को सामान्य धान पर कुल 2300 रुपए और ग्रेड-ए धान पर 2320 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिलेगा। इसके अलावा सरकार राइस मिलरों को 60 रुपए प्रति क्विंटल की दर से इंसेंटिव भी देगी। इस योजना पर सरकार कुल 70.20 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
राज्य सरकार की ओर से धान पर 117 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है। बोनस को मिलाकर किसानों को अब धान बेचने से जो भाव मिलेगा वह इस प्रकार से है-
कैबिनेट सचिव वंदना दालेल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने इस साल किसानों से 6 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। उसमें से 2.30 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना और 3.70 मीट्रिक टन धान की खरीद केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लिए की जाएगी। इसी के साथ ही कैबिनेट ने झारखंड राज्य खाद्य सुरक्षा योजना की स्वीकृति से संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। कस्टम मिल्ड राइस नहीं मिलने की स्थिति में पूर्व की तरह ही चावल की प्राप्ति की जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक राज्य सरकार की ओर से चावल की प्राप्ति भारतीय खाद्य निगम या किसी अन्य राज्य के खाद्य निगम के माध्यम से की जाती थी।
झारखंड राज्य में करीब 71 प्रतिशत क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। इसके बावजूद इसकी उत्पादकता अन्य विकसित राज्यों की तुलना में कम है। राज्य में वर्ष 2007 में करीब 16 लाख हैक्टेयर में धान की खेती की गई थी जिसकी औसत उपज 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर थी। राज्य में 16 लाख हैक्टेयर में से करीब 3 लाख हैक्टेयर में उपजाऊ भूमि पर धान की सीधी बुवाई की जाती है। वहीं मध्यम जमीन में रोपाई द्वारा धान की फसल ली जाती है। इसके अलावा 6 लाख हैक्टेयर नीची भूमि में भी धान की राेपाई करके खेती की जाती है।
झारखंड में जमीन के प्रकार के अनुसार धान की उन्नत किस्मों को उगाया जाता है। इसमें ऊंची जमीन पर धान की खेती के लिए बाला, कावेरी, किरण, बिरसा, टॉड़-1 एवं 2 भूमि के लिए धान-101 एवं कलिंग-111 किस्म अधिक पैदावार देने वाली किस्में मानी जाती हैं। मध्यम जमीन के लिए धान की किरण, बाला, कावेरी, रासी और दोन-3 भूमि के लिए पूसा-2-21, साकेत-4, पूसा-33, अन्नदा एवं बिरसा धान-201 एवं दोन-2 भूमि के लिए रतना, अर्चना, सीमा, जया, आई.आर. 36, सुजाता, बिरसा धान-202, राजेंद्र धान-201, बिरसा धान-201, 202, आई.आर.-8 और राज्य श्री किस्में अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं। इसके अलावा नीची जमीन पर (दोन-1) के लिए कनक, बी.आर-10, पंत-4, महसूरी, पंकज, जगन्नाथ, राधा, जयश्री तथा पानी धान-2, बासमती-70, स्वर्ण (नाटी मंसूरी) धान की अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं।
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