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मिर्च की वीपीबीसी-535 किस्म से किसान होंगे मालामाल - जानें, खासियत

प्रकाशित - 15 Nov 2022

जानें, मिर्च की वीपीबीसी-535 किस्म की विशेषता लाभ और कीमत

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित आईसीएआर (ICAR) भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने मिर्ची की एक विशेष किस्म तैयार की है। इस मिर्च की किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि खाने के काम तो आएगी ही साथ ही साथ इसके सुर्ख लाल रंग का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए भी किया जाएगा। मिर्ची की इस किस्म की खास बात ये है कि इस किस्म से प्राप्त लाल रंग का उपयोग सौंदर्य सामग्री जैसे की लिपस्टिक बनाने के लिए भी किया जाएगा। 

मिर्ची की इस हाइब्रिड प्रजाति का नाम वीपीबीसी 535 रखा गया है, इसे काशी सिंदूरी के नाम से भी जाना जाता है। मिर्च की इस नई किस्म को वाराणसी स्थित आईसीएआर (ICAR) भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया है। विदेशों में लाल मिर्च से रंग बनाने की विभिन्न प्रजातियों पर काम किया जा रहा है, लेकिन अपने देश में वीपीबीसी 535 मिर्च की एकमात्र प्रजाति है, जिसे उत्तर प्रदेश की जलवायु को ध्यान में रखकर वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। किसान भाइयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ मिर्च की नई किस्म वीपीबीसी-535 की विशेषता, लाभ और कीमत की जानकारी साझा कर रहे हैं।

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वीपीबीसी 535 मिर्च की विशेषताएं

  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म में 15 प्रतिशत ओलेरोसिन होता है। यह मिर्च की किस्म सामान्य मिर्चों की तुलना में अधिक उत्पादन प्रदान करती है। 
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म की खेती किसान रबी सीजन और खरीफ सीजन दोनों में कर सकते हैं।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म की खेती के लिए प्रति हैक्टेयर 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है, सभी मानकों में ध्यान में रखा जाए तो मिर्च की यह किस्त प्रति हैक्टेयर 150 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से दे सकती है।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म में ओलियोरेजिन नाम का औषधीय गुण भी पाया जाता है। इस वीपीबीसी-535 सिंदूरी काशी मिर्च रंग के पिग्मेंट को सब्जी में रंग बढ़ाने के लिए, सौंदर्य प्रसाधन जैसे कि लिपस्टिक बनाने में भी इसके रंग का उपयोग किया जाएगा, जिससे सिंथेटिक रंग के हानिकारक प्रभावों से देश के नागरिकों को बचाया जा सकेगा।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म की खेती करने के लिए जुलाई/अगस्त के महीनों में नर्सरी अवश्य तैयार कर लेनी चाहिए।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म के पककर तैयार होने के बाद सुर्ख लाल/ सिंदूरी लाल रंग की हो जाती है।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म में अधिक उर्वरकों का इस्तेमाल करके मिर्च की फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

मिर्च की बुवाई करने से पहले खेत की तैयारी कैसे करें

  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म की बुवाई से पहले खेत की तैयारी करना अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए काफी आवश्यक होता हैं। किसानों को मिर्च की वीपीबीसी-535 किस्म की बुवाई से पहले खेत की तैयारी कुछ इस प्रकार से करनी चाहिए
  • मिर्च की बुवाई से पहले खेत की तैयारी करते समय 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर कम्पोस्ट अथवा गोबर की सड़ी हुई खाद का उपयोग करना चाहिए। 
  • खेत में खाद डालने के बाद मिर्च के बीज बोये जाते हैं। मिर्च की बीज की बुवाई के 30 दिनों के बाद पौधे की रोपाई करते समय पौधों से पौधों की दूरी 45 सेंटीमीटर की होनी चाहिए, ताकि पौधों के बीच में पर्याप्त दूरी बनी रहे। प्रत्येक पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए।
  • इस वीपीबीसी-535 किस्म की मिर्च की खेती के लिए ज्यादा उर्वरकों का प्रयोग होता है। मिर्च से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश खेत में डालना चाहिए।
  • मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म के पौधे फैले हुए होते हैं, यह एन्थ्रेक्नोज रोग के प्रतिरोधी होती है। बुवाई के 95 से 105 दिन में मिर्च पकने लगती हैं और ये मिर्च 10 से 12 सेटीमीटर लंबे और 1.1 से 1.3 सेटीमीटर मोटे होते हैं।

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मिर्च की वीपीबीसी-535 किस्म का उत्पादन व कीमत

मिर्च की इस वीपीबीसी-535 किस्म की औसत उपज 130 से 140 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक की होती है। इस वीपीबीसी-535 किस्म की मिर्च से बिक्री से सामान्य मिर्ची की तुलना से ऊंचे दाम मिलते हैं। सामान्य मिर्च जहां 30 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव तक बिकती है, लेकिन वीपीबीसी-535 काशी सिंदूरी मिर्ची 90 रुपए प्रति किलो तक आसानी से बिक सकती है। इस मिर्च की 1 हेक्टेयर की खेती करने से किसान 1 लाख रुपए से 1.5 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं। 

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