हार्वेस्टर से कटाई करने से पहले किसान करें यह काम, नहीं होगा नुकसान

Share Product प्रकाशित - 18 Nov 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

हार्वेस्टर से कटाई करने से पहले किसान करें यह काम, नहीं होगा नुकसान

जानें, कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल से पहले ध्यान रखने वाली खास बात

धान की कटाई का काम चल रहा है। ऐसे में किसानाें को राज्य सरकार की ओर से अवशेष प्रबंधन करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए कृषि यंत्रों पर भी किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। इसके बावजूद कई किसान अभी भी बचे हुए धान के अवशेषों को खेत में ही आग लगा देते हैं। हालांकि सरकार की ओर से अवशेष यानी पराली जलाने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान भी है। इसके बाद भी पराली जलाने की घटनाएं लगातार हो रही है। सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं पंजाब में हुई है। हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार सरकार भी फसल अवशेष जलाने को लेकर सख्त हो गई है। पिछले दिनों बिहार के गया जिले में डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अंतरविभागीय बैठक संपन्न हुई। इसमें डीएम ने कहा कि किसान धान आदि फसलों की कटाई के बाद शीघ्र ही अगली फसल की बुवाई के लिए फसल अवशेषों को जलाना शुरू कर देते हैं। इससे मिट्‌टी की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है और साथ ही प्रदूषण भी बढ़ता है। ऐसे में यहां किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही अवशेष जलाने की घटनाएं रोकने के लिए निरोधात्मक कार्रवाई भी की जा रही है।

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अवशेष जलाने के पीछे सबसे प्रमुख कारण है हार्वेस्टर

डीएम ने बताया कि फसल अवशेष जलाने का मुख्य कारण कंबाइन हार्वेस्टर है। किसान हार्वेस्टर से फसल की कटाई करते हैं इसमें फसल का ऊपरी हिस्सा काटा जाता है। इसके कारण बड़े पैमाने पर अवशेष यानी पराली खेतों में रह जाती है। कंबाइन हार्वेस्टर के साथ पराली प्रबंधन यंत्र (एसएमएस) को जोड़कर इसकी सहायता से फसल की कटाई कर पराली को मिट्टी में मिलाया जा सकता है। इसलिए जिला प्रशासन की अनुमति लेकर ही कंबाइन हार्वेस्टर का परिचालन सुनिश्चित कराया जा रहा है।

कंबाइन हार्वेस्टर से फसल कटाई करने से क्या होता है नुकसान

कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester) से फसलों की कटाई करने और पराली जलाने से खेत की उर्वराशक्ति कम होती है। इतना ही नहीं भूमि में कई उपयोगी मित्र कीट होते हैं उनको भी नुकसान होता है। इसके अलावा अवशेष जलाने से वातावरण में कार्बन ड्राई-आक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। बता दें कि पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने का असर दिल्ली व एनसीआर तक देखा गया है। यहां वातावरण दूषित होता जा रहा है, हवा दूषित हो रही है। ऐसे में किसानों को फसल कटाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।

हार्वेस्टर के इस्तेमाल से पहले देना होगा शपथ पत्र

कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग बिना प्रशासन की अनुमति के किसान नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। इसलिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग करने से पहले प्रशासन से अनुमति अवश्य लें। इधर प्रशासन की ओर से तय किया गया है कि जो किसान कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल कटाई के लिए करते हैं तो उन्हें सबसे पहले अवशेष या पराली नहीं जलाने का शपथ पत्र देना होगा और अवशेष प्रबंधन का कार्य करना होगा। इसके लिए किसान अवशेष प्रबंधन प्रणाली को अपनाएं ताकि वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। इतना ही नहीं बाहर से आने वाले कंबाइन हार्वेस्टरों को भी जिले में संचालित करने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। बिना प्रशासन की अनुमति के कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग करने पर इसे जब्त कर लिया जाएगा।

पराली जलाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ

राज्य सरकार ने इस साल फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं देने का फैसला किया है। इसी के साथ ही पराली जलाने के मामले में आरोपित किसान की पंजीकरण संख्या को भी रद्द कर दिया जाएगा। पंजीकरण संख्या अवरुद्ध होने के बाद किसान धान अधिप्राप्ति के लिए आवेदन भी नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं उन्हें कृषि इनपुट अनुदान, बीज अनुदान, कृषि यंत्र अनुदान आदि लाभकारी योजनाओं से भी वंचित कर दिया जाएगा।

किसान कैसे करें फसल अवशेष प्रबंधन

पराली जलाने की समस्या बढ़ती ही जा रही है। यह कई राज्यों में अधिक देखने को मिल रही है। ऐसे में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन की ओर ध्यान देना चाहिए ताकि किसानों को किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हो। अवशेष प्रबंधन की समस्या को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (भाकृअनपु) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा छोटा कैप्सूल बनाया है जो फसल अवशेषों को लाभदायक कृषि अपशिष्ट यानी खाद में बदल देता है। खास बात यह है कि इस कैप्सूल की कीमत भी बहुत कम रखी गई है। यह किसानों को 4 से 5 रुपए में उपलब्ध हो जाएगा। किसानों को एक एकड़ खेत में फसल अवशेष को खाद में बदलनें के लिए केवल 1 कैप्सूल की जरूरत होगी। इस तरह किसान बहुत ही कम पैसों में अपने खेत के लिए उपयोगी खाद बनाकर उसकी उपजाऊ क्षमता में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

कैसे करें अवशेषों को खाद में बदलने के लिए कैप्सूल का उपयोग

इसके लिए सबसे पहले आपको 150 ग्राम पुराना गुड़ लेकर इसे पानी के साथ उबालना होगा। अब गुड़ उबलने के दौरान जो गंदगी बाहर आ गई हो, उसको हटाते जाना होगा। अब इस गुड़ के घोल को ठंडा होने तक रख देना है। जब यह गुड़ का घोल ठंडा हो जाए तब इसमें करीब 5 लीटर पानी मिला दें। अब इसमें करीब 50 ग्राम बेसन मिला दें। इस घोल को बनाने के लिए किसान अधिक चौड़े मुंह वाले प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन का उपयोग करें। अब इस घोल में अवशेष प्रबंधन के लिए बनाए गए 4 कैप्सूल मिला दें। इसके बाद घोल वाले बर्तन को कम से कम पांच दिन के लिए किसी गर्म जगह पर रख दें। ऐसा करने पर बर्तन में एक परत पानी के ऊपर जम जाएगी। अब इस परत को अच्छी तरह से पानी में मिला दें। इसे मिलाते समय हाथ में दस्ताने और मुंह में मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। पानी में मिलाने के बाद यह घोल जो करीब 5 लीटर बन जाएगा। अब यह घोल अवशेषों के ऊपर छिड़कना है। यह तैयार घोल करीब प्रति क्विंटल पुआल को खाद में बदलने के लिए पर्याप्त होगा। इस तरह किसान बहुत ही कम पैसा खर्च करके अवशेष प्रबंधन के साथ ही खेत के लिए उपयोगी खाद तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा किसान कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम लगाकर पराली का आसानी से प्रबंधन कर सकते हैं। यह यंत्र कंबाइन हार्वेस्टर के साथ जोड़ा जाता है, जो कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा काटी गई फसल के अवशेषों के छोटे-छोटे टुकड़े करके खेत में फैला देता है। इससे फसल अवशेष को आसानी से मिट्‌टी में मिलाया जा सकता है जोखेत के लिए खाद का काम करता है।

हार्वेस्टर से कटाई पहले ध्यान रखने वाली बातें

  • कंबाइन हार्वेस्टर का कटाई के लिए उपयोग करने से पहले प्रशासन की अनुमति अवश्य लें।
  • कंबाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अवश्य लगवाएं ताकि अवशेष प्रबंधन का काम आसान हो जाए।
  • कंबाइन हार्वेस्टर से फसल काटने के बाद फसल अवशेषों को जलाने से बचें। इससे प्रदूषण बढ़ता है।
  • कंबाइन हार्वेस्टर के इस्तेमाल से पहले प्रशासन द्वारा पराली नहीं जलाने का शपथ पत्र लिया जाएगा। इसलिए कंबाइन हार्वेस्टर उपयोग करने से पहले शपथ पत्र अवश्य दें और पराली का जलाने के जगह उसका बेहतर तरीक से प्रबंधन करें। 

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