गाय और भैंस के दूध में वसा की मात्रा बढ़ाने के आसान तरीके

Share Product प्रकाशित - 25 Aug 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गाय और भैंस के दूध में वसा की मात्रा बढ़ाने के आसान तरीके

गाय और भैंस के दूध में वसा की मात्रा बढ़ाने के घरेलू उपाय

भारत में डेयरी उद्योग लगातार प्रगति कर रहा है। देश के अधिकांश किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन करते हैं और दूध को बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करते हैं। डेयरी उद्योग से अच्छी आमदनी को देखकर लाखों ने किसानों ने दूध की डेयरी को अपना प्रमुख बिजनेस बना दिया है। बाजार में उस दूध की कीमत अधिक मिलती है जिसमें वसा (फैट) की मात्रा अधिक होती है। कई बार जानकारी के अभाव में दुधारू पशुओं की देखभाल में कुछ कमी रह जाती है और पशु कम फैट वाला दूध देते लग जाता है। इससे पशुपालक किसानों को नुकसान होता है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में गाय और भैंस के दूध में वसा बढ़ाने के तरीकों के बारे में बताया गया है। दूध में फैट बढ़ाने के ये छोटे-छोटे टिप्स बड़े काम के हैं, तो बने रहिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ।

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दूध में फैट को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कारक

दूध से ज्यादा कमाई के लिए पशुपालक किसान दूध की मात्रा और दूध में फैट बढ़ाने के तरीकों की तलाश करते रहते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे कारक बता रहे हैं जिनकी वजह से दूध की मात्रा और फैट का अनुपात प्रभावित होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पशु की नस्ल, प्रजाति, भार, उम्र, दुग्ध काल, दुग्ध दोहन का तरीका, स्वास्थ्य, गर्भकाल, व्यायाम, मौसम और बीमारी ऐसे कारक हैं जो पशु में दूध और फैट की मात्रा को प्रभावित करते हैं।

  • अलग-अलग जाति व प्रजाति के पशुओं में दूध की मात्रा और फैट का प्रतिशत कम और ज्यादा होता है। जैसे भैंस अधिक दूध देती है और वसा का प्रतिशत भी अधिक रहता है। वहीं गाय कम दूध देती है और वसा का प्रतिशत भैंस की तुलना में कम होता है। 
  • एक ही नस्ल के दो पशु होने पर समान मात्रा में दूध नहीं मिलता है क्योंकि पशु अपने भार के अनुसार ही दूध देते हैं। 
  • पशुओं में 8 से 9 वर्ष की उम्र तक दूध की मात्रा बढ़ती है और उसके बाद कम होती जाती है।
  • अगर एक दिन में दो बार की जगह तीन बार दूध का दोहन किय जाए तो दुग्ध उत्पादन 10 से 25 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। 
  • दुधारू पशुओं में 4 से 5 ब्यात तक दूध देने की क्षमता बढ़ती है, उसके बाद दूध देने की क्षमता कम होती है।
  • पशुओं का स्वास्थ्य भी दूध उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करता है। स्वस्थ पशु अधिक दूध देता है जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर पशु कम दूध देता है। 
  • 5 माह से अधिक का गर्भकाल होने पर दूध की मात्रा कम हो जाती है।
  • हल्का व्यायाम करने वाले पशुओं का दूध और वसा का प्रतिशत बढ़ जाता है जबकि अधिक व्यायाम करने वाले पशुओं का दूध और वसा का प्रतिशत घट जाता है।
  • पूर्ण हस्त विधि से दुग्ध का दोहन करने से दूध का उत्पादन बढ़ता है। 
  • अधिक मात्रा में दूध देने वाले पशुओं के दूध में वसा का प्रतिशत कम होता है जबकि कम दूध देने वाले पशुओं के दूध में वसा का प्रतिशत अधिक होता है। 
  • गर्मी के मौसम में पशु कम दूध देते हैं जबकि वर्षा ऋतु और सर्दी में दूध की मात्रा बढ़ जाती है। 

दूध में वसा का प्रतिशत बढ़ाने के आसान उपाय

अच्छी डाइट से दूध में फैट को बढ़ाया जा सकता है। यहां कुछ ऐसे ही उपाय दिए गए हैं।

  • दूध में फैट का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पशुओं को 60 प्रतिशत हरा चारा और 40 प्रतिशत सूखा चारा देना चाहिए। साथ ही पशु को बडेवे और सरसों की खली भी देनी चाहिए।
  • अगर पशु कम दूध दे रहा है तो उसकी डाइट में तारा मीरा शामिल करें। इससे दूध की गुणवत्ता में पहले से सुधार होगा। 
  • दूध निकालने के समय से दो घंटे पहले तक पशु को पानी नहीं पिलाना चाहिए। दूध निकालने से पहले पशु को दूध पिलाना चाहिए। इससे दूध में फैट ज्यादा आता है। 
  • पशुओं को दूध उत्पादन के अनुसार फीड देना चाहिए। आवश्यकता से अधिक मात्रा में अनाज नहीं खिलाना चाहिए। चारे एवं फीड को अच्छी तरह मिलाने के बाद ही पशुओं को देना चाहिए।
  • चारे का आकार 0.75 से 1.5 इंच तक रखना चाहिए। सर्दी के मौसम में पशुओं के आहार में भूसा की मात्रा अधिक करनी चाहिए। सर्दी का प्रभाव बढ़ने पर पशुओं को जो चारा खिलाया जाता है उसे एक दिन पहले काट लेना चाहिए।
  • पशुओं का बाड़ा या आवास आराम दायक होना चाहिए। पशु आवास में मच्छर एवं मक्खियों से बचने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 

जानें, दूध में वसा की मात्रा क्यों कम होती है?

दुधारू पशुओं के दूध में कई कारणों से वसा की मात्रा कम हो जाती है। यदि पशुओं के फीड में चारे की अधिक मात्रा होती है तो दूध में फैट घट जाता है। इसके अलावा पशुओं के फीड में अधिक अनाज, चारे और एनिमल फीड को अच्छी तरह नहीं मिलाना, पशु आहार में अचानक बदलाव करना, चारे का आकार छोटा होना आदि प्रमुख कारण है जो दूध में वसा को घटाते हैं। अगर आपका पशु का गोबर पतला होता है और पशु कम जुगाली करता है। मुंह से अधिक लार निकलती है तो आपको समझ जाना चाहिए कि पशु के दूध में वसा कम हो रहा है। 

दुधारू पशुओं के दूध में वसा की मात्रा

अलग-अलग दुधारू पशुओं के दूध में वसा का प्रतिशत अलग-अलग होता है। भैंस में 06 से 10 प्रतिशत और देशी गाय के दूध में 3.5 से 5 प्रतिशत तक फैट (वसा) होता है। होलस्टन फ्रीजियन संकर नस्ल की गाय में 3.5 प्रतिशत और जर्सी गाय में 4.2 प्रतिशत फैट होता है। दूध में वसा की मात्रा जांचने के लिए दूध का सैंपल लैबोट्री में जांच के लिए भेज सकते हैं।
 

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