सफेद मूसली की खेती : एक बीघा जमीन से कमाएं 5 लाख रुपए

Share Product प्रकाशित - 28 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सफेद मूसली की खेती : एक बीघा जमीन से कमाएं 5 लाख रुपए

जानें, सफेद मूसली की खेती कैसे करें व अन्य जानकारी 

सफ़ेद मूसली एक बहुत ही उपयोगी पौधा है। सफ़ेद मूसली औषधीय गुणों से भरपूर होता है । इसका पौधा कुदरती तौर पर बरसात के मौसम में जंगल में उगता है। सफ़ेद मूसली की खेती करने वाले किसान इसकी फसल से लाखों रुपए आराम से कमा सकते हैं। सफ़ेद मूसली की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं को बनाने में किया जाता है। दुनिया भर में दवा बनाने वाली कंपनी इसकी खरीददारी करती हैं। इसी कारण इसकी मांग काफी ज्यादा है। हालांकि मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने से दवा कंपनियों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। भारत में कई राज्य के किसान अब सफ़ेद मूसली की खेती करने लगे हैं। सफ़ेद मूसली की खेती करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार अनुदान भी देती है। इसकी खेती करने पर एक हेक्टेयर में किसान 5 लाख रुपए तक की कमाई आराम से कर सकते हैं। किसान भाईयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको सफ़ेद मूसली की खेती और उससे जुड़ी खास जानकारियां दे रहे हैं। 

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भारत में सफ़ेद मूसली की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में सफ़ेद मूसली की खेती करने वाले प्रमुख राज्य हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल हैं। सफ़ेद मूसली की खेती ज्यादा ठंडे क्षेत्रों को छोड़कर सभी जगह पर सफलता पूर्वक की जा सकती है।

सफ़ेद मूसली की उन्नत किस्में

सफ़ेद मूसली की कई किस्में पाई जाती है। लेकिन इनकी कुछ प्रजातियां ही उपयोगी होती हैं। जिसमें क्लोरोफाइटम टयूवरोजम, क्लोरोफाइटम एटेनुएटम, क्लोरोफाइटम बोरिमिलियनम और क्लोरोफाइटम वोरिविलिएनम इसकी मुख्य प्रजातियां है।

भारत की बात करें तो यहां क्लोरोफाइटम टयूवरोजम और क्लोरोफाइटम वोरिविलिएनम की कई किस्मों की खेती सफलतापूर्वक की जाती है, इन किस्मों में एमसीबी -405, एमसीबी – 412, एमसीटी -405, एमडीबी13 और 14 की प्रजातियों की खेती करके भारत के अधिकतर किसान बढ़िया उत्पादन व लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

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सफ़ेद मूसली की एमडीबी 13 और 14 किस्म

सफ़ेद मूसली की यह किस्म, खेती के लिए काफी अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें फल का छिलका आसानी से उतर जाता है। इसमें जड़ों की मोटाई भी एक समान होती है, जिससे इसकी बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। इसके एक गुच्छे में लगभग 50 कंद (ट्यूबर्स) तक होते हैं, सफ़ेद मूसली की फसल का उत्पादन एक एकड़ में लगभग 4 से 5 क्विंटल तक की होती है। इसकी फसल अवधि 135 से 150 दिनों की होती है।

सफ़ेद मूसली की एमसीबी– 405 व एमसीबी -412 किस्म

सफ़ेद मूसली की इस किस्म में जड़ों की मोटाई बाकी किस्मों की तुलना में अधिक होती है। इस किस्म के फल से छिलके भी आसानी से उतर जाते हैं। इसमें सूखी हुई सफ़ेद मूसली का उत्पादन एक एकड़ में करीब 8 क्विंटल तक से अधिक की होती है।

सफ़ेद मूसली की खेती कैसे करें

सफ़ेद मूसली को प्रमुख रूप से आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों को बनाने में उपयोग किया जाता है। सफ़ेद मूसली के फल जमीन के अंदर उपजते हैं तथा जमीन के ऊपर निकलने वाले फूलों से बीज को सुखाकर उन्हें बेचकर भी इसकी खेती करने वाले किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं, किन्तु फूलों के अधिक पक जाने के कारण फसल प्रभावित होती है।

सफ़ेद मूसली को शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल अनेक प्रकार की बीमारियों में जैसे खांसी, अस्थमा, चर्म रोग, बवासीर, पीलिया और नपुंसकता आदि के उपचार करने में किया जाता है। बाजार में सफ़ेद मूसली अपनी गुणवत्ता के अनुसार अलग–अलग भावों में बिकती है, लेकिन देखने में अच्छी गुणवत्ता वाली सफ़ेद मूसली का बाजार भाव 1000 रुपए से 1500 रुपए प्रति किलो तक होता है।

सफ़ेद मूसली की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी

सफ़ेद मूसली की खेती के लिए हल्की रेत वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है व इस मिट्टी में इसका उत्पादन भी अधिक होता है। सफ़ेद मूसली की खेती लाल और काली चिकनी मिट्टी में भी आसानी से की जा सकती है, लेकिन इसके लिए भूमि का पीएच मान 7 से 7.5 से अधिक का न हो इस बात का ध्यान रखना होता है, क्योंकि जमीन का पीएच मान 7 से अधिक होने पर जमीन में क्षारीय गुण अधिक पाया जाता है, जिस वजह से सफ़ेद मूसली की खेती को करना आसान नहीं होता है। यदि आप इस तरह की मिट्टी में सफ़ेद मूसली की खेती करते हैं तो आपका फसल उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित होगी।

इसकी खेती करने वाले खेत में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि खेत में जल भराव होने की स्थिति में फसल में रोग लगने का खतरा अधिक रहता है, जिससे फसल का उत्पादन भी प्रभावित होता है। सफ़ेद मूसली की खेती को अधिक उपजाऊ वाली जगह में ही करना चाहिए जिससे इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

सफ़ेद मूसली की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु एवं तापमान

सफ़ेद मूसली की खेती के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। भारत में इसकी खेती को राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के ऊपरी क्षेत्रों के स्थान सबसे अधिक मात्रा में तथा आसानी से उगाया जाता है।
मूसली की खेती करने का सही वक्त बारिश का मौसम होता है इसलिए इसकी खेती करने के लिए किसी विशेष तापमान की आवश्यकता नहीं होती है।

सफ़ेद मूसली की खेती करने के लिए खेत कैसे तैयार करें

सफ़ेद मूसली की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से कल्टीवेटर से 3 से 4 बार जुताई कर दें। इसके बाद कुछ दिन के लिए खेत को खुला छोड़ दें और कुछ दिनों के बाद खेत के अनुसार खेत में पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद को डाल दें। खाद डालने के बाद खेत में पानी लगा दें, पानी के सूख जाने के बाद उसमें जुताई करके खाद को अच्छे से मिला दें।

सफ़ेद मूसली के बीज की बुवाई का सही समय और बुवाई का तरीका

सफ़ेद मूसली की बीजों को खेत में लगाने के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त माना गया है। जुलाई में बारिश का मौसम होता है इसलिए इसकी फसल को बढ़ने में आसानी होती है और पौधा भी अच्छे से विकास करता है, सफ़ेद मूसली के बीजों की रोपाई में 4 से 5 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगता है, बीजों की रोपाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए  उसके बाद बीज को खेत में हाथ द्वारा या सीड ड्रिल मशीन की मदद से बुवाई कर दें।

इसके बीजों की रोपाई में दो पंक्तियों के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर की होनी चाहिए तथा बोए जा रहे बीजों के बीच में 10 सेंटीमीटर तक की दूरी होनी चाहिए। बुवाई के बाद इन गड्ढों को मिट्टी से ठीक से ढक दें।

सफ़ेद मूसली की खेती उर्वरक की मात्रा तथा सिंचाई व्यवस्था 

सफ़ेद मूसली की खेती में अधिक उर्वरक की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरक का अधिक उपयोग करने से फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। जिससे इसकी उपज को बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाती है। इसलिए इसकी फसल में गोबर की खाद तथा वर्मी कम्पोस्ट खाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इन खाद का उपयोग करने से फसल में फंगस जैसे रोगों का भी असर कम देखने को मिलता है। खेत में बीजों की बुवाई करने के बाद इसकी सिंचाई को कर देना चाहिए, बारिश के मौसम के अनुसार जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करना चाहिए।

सफ़ेद मूसली की फसल में निराई-गुड़ाई

सफ़ेद मूसली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए इसकी फसल की अधिक देख-रेख की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसकी जड़ों को किसी भी तरह के नुकसान होने से बचाना होता है। इसलिए खेत में बुवाई के लगभग 15 से 20 दिन बाद निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए और समय–समय पर खेत में खरपतवार होने पर उसे हाथ से निकालते रहना चाहिए।

सफ़ेद मूसली की खुदाई और सफाई

सफ़ेद मूसली की फसल नवंबर माह के अंत तक खुदाई के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन खुदाई करने से पहले यह जरूर देख लें कि फसल खुदाई के लिए तैयार हो गयी है या नहीं, जिसकी पहचान पौधों को देखकर ही की जा सकती है। इसकी फसल के तैयार हो जाने के बाद पौधे की पत्तिया पीली पड़ कर सुख कर गिरने लग जाती है और छिलका भी कठोर हो जाता है, इसके अलावा जड़ों का रंग भी गहरा भूरा हो जाता है।

इसके बाद खेत में पानी लगाकर जड़ों की खुदाई करके निकाल लें। यदि आप चाहे तो फसल के तैयार होने के तीन महीने के बाद भी इसकी फसल की खुदाई कर सकते हैं। इससे इसकी जड़ें बिल्कुल सूख जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि इसकी जड़ों से बीज तैयार हो जाये। इसके लिए मूसली के ऊपरी भाग को हटाकर उस पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।

जब सफ़ेद मूसली की जड़ों को खेत से खुदाई कर निकल लिया जाता है । तब मूसली को चाकू की सहायता से अंगुलीनुमा बनी जड़ों को अलग कर लेना चाहिए। इसके बाद इसकी अलग की हुई जड़ों को पानी में डाल कर साफ करके मिट्टी हटा लेना चाहिए और चाकू से इसके छिलके को भी निकाल देना चाहिए। छिलका निकालने के बाद फिर इसे पानी में डाल कर साफ कर लें। इन साफ हुई जड़ो का रंग भूरा दिखाई देने लगता है। इसके बाद इन्हें अच्छे से सुखाने के लिए 4 से 5 दिन के लिए धूप में फैला दे। जब यह जड़े सूख जाती है, तब इन्हें पैकिंग कर बाजार में बेच दिया जाता है।

सफ़ेद मूसली प्राप्त उपज और लाभ

सफ़ेद मूसली की फसल से पैदावार की बात करें तो एक एकड़ में यह करीब 12 क्विंटल तक की पैदावार देती है। सूखी हुई मूसली का उत्पादन लगभग 4 क्विंटल से अधिक होती है, सफ़ेद मूसली की कीमत की बात करें तो बाजार में इसकी कीमत 1000 रूपये से 1500 रुपये प्रति किलो तक है। इसकी खेती से किसान भाई आसानी से 4 से 5 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।

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