प्रकाशित - 07 Dec 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
रबी सीजन की फसलों की बुवाई का काम अंतिम दौर में चल रहा है। इसमें तिलहनी फसलों की बुवाई काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। ऐसे में जिन किसानों ने सरसों, राई, तोरिया या लाही की बुवाई की है, उनके लिए कृषि विशेषज्ञों की ओर से दिसंबर माह के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की गई है ताकि आप कम लागत में सरसों सहित अन्य तिलहनी फसलों की अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। यह सलाह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर की ओर से दिसंबर के महीने में राई-सरसों और तोरिया व लाही के लिए फसल के लिए जारी की गई है।
जो किसान अभी तक सरसों की बुवाई नहीं कर पाए हैं, वे मध्य दिसंबर तक सरसों की बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए किसान सरसों की किस्म पूसा सरसों 25, पूसा सरसों 26 और पूसा सरसों 28 की बुवाई कर सकते हैं। सरसों की यह किस्में कम अवधि में तैयार हो जाती है और देरी से बुवाई करने पर भी अच्छी पैदावार देती है।
दिसंबर के महीने में कोहरा व पाला पड़ने की संभावना रहती है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में तापमान तेजी से गिरता है और इससे पाले पड़ने की आशंका रहती है। पाला सरसों सहित अन्य फसलों के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसे में पाले से फसल को बचाना चाहिए। इसके लिए किसान रासायनिक उपाय के रूप में डाइमिथाइल सल्फो ऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत या थायो यूरिया का 0.1 प्रतिशत छिड़काव करके फसल को पाले से बचा सकते हैं। इसी साथ पाला पड़ते समय फसलों की हल्की सिंचाई करने से फसल में पाले से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
सरसों की सिंचाई बुवाई के बाद 50 से 60 दिन बाद की जाती है। दो सिंचाई की उपलब्धता होने की स्थिति में इसकी पहली सिंचाई बुवाई के 40 से 50 दिनों के बाद करनी चाहिए और इसकी दूसरी सिंचाई 90 से 100 दिन बाद की जा सकती है। वहीं तीन सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो आप इसकी पहली सिंचाई 30 से 35 दिनों के बाद कर सकते हैं। वहीं इसकी दूसरी और तीसरी सिंचाई भी 30 से 35 दिन के अंतर में की जा सकती है। बुवाई के करीब 2 महीने बाद फलियों में दाना भरते समय सिंचाई करना काफी लाभकारी होता है। इससे सरसों में तेल की मात्रा अच्छी मिलती है।
सरसों को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए फसल की 20 से 25 दिनों में एक बार निराई-गुड़ाई का काम करें। इससे सरसों की फसल जल्द तैयार होगी। इसके अलावा आप सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक उपाय भी अपना सकते हैं। इसके लिए बुवाई से पूर्व फ्लुक्लोरेलिन (45 ई.सी.) की 2.2 लीटर प्रति हैक्टेयर 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए या बुवाई के बाद परंतु अंकुरण से पहले पेंडीमेथिलिन (30 ई.सी.) 3.3 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। बुवाई के 15 से 20 दिन के भीतर घने पौधों को निकालकर उनकी आपसी दूरी 15 सेमी कर देना चाहिए। इसके अलावा किसान सरसों के कीट व रोगों का प्रबंधन भी करें। इसके लिए कीटनाशक दवा का प्रयोग कृषि विभाग की सलाह व देखरेख में करें।
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