गन्ने की फसल में इस माह करें यह 5 काम, पैदावार बढ़ाने में मिलेगी मदद

Share Product प्रकाशित - 25 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गन्ने की फसल में इस माह करें यह 5 काम, पैदावार बढ़ाने में मिलेगी मदद

जानें, गन्ने की फसल में जून माह में किए जाने वाले कृषि कार्य

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गन्ने की अच्छी पैदावार पर ही किसानों का मुनाफा टिका होता है। गन्ने की बेहतर पैदावार होने पर किसानों को लाभ होता है, वहीं चीनी मिलों का भी उत्पादन बढ़ता है। यूपी में सबसे ज्यादा चीनी मिले हैं और गन्ने की खेती (Sugarcane Farming)करने वाले किसानों की संख्या भी यहीं पर सबसे अधिक है। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, हरियाणा व पंजाब में गन्ने की खेती की जाती है। ऐसे में गन्ना उत्पादक किसानों की संख्या भी काफी है। 

गन्ना किसानों को गन्ने का बेहतर उत्पादन मिले, इसके लिए समय-समय पर गन्ने की फसल में प्रबंधन कार्य करना भी जरूरी हो जाता है। इसके लिए चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग उत्तर प्रदेश सरकार की ओर अपनी विभागीय वेबसाइट गन्ने की फसल में जून माह में किए जाने वाले कार्य बताए गए हैं। इन कार्यों को करने से किसानों को लाभ होगा।

ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम किसानों को गन्ने की फसल में जून के अंतिम सप्ताह किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी दे रहे हैं जो गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता करेंगे।

गन्ने की फसल में जून माह में किसान करें ये 5 काम

  • गन्ने की फसल में 100 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से जून माह में मिट्‌टी में उचित नमी सुनिश्चित करके डाल देनी चाहिए। यूरिया को गन्ना पौधों के समीप पंक्तियों में डालें तथा इसके बाद गुड़ाई करें।
  • किसान भाई गन्ने की फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं गुड़ाई करते रहे।
  • पके हुए अन्त: फसल की फलियों को तोड़कर फसल अवशेष को गन्ने की पंक्तियों के मध्य हल चलाकर मिट्‌टी में पलटकर खेत की सिंचाई कर दें।
  • बारिश नहीं होने या सूखे की स्थिति में इथरेल 12 मिलीलीटर को 100 लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर छिड़काव करें।
  • यदि हरी-खाद फसल की बुवाई करनी हो तो जून के अंत में बुवाई कर दें।

गन्ने में चोटी बेधक कीट का प्रकोप होने पर अपनाएं ये तरीका

गन्ने की फसल (Sugarcane Crop) में चोटी बेधक कीट का प्रकोप से काफी नुकसान होता है। यह कीट बहुत हानिकारक होता है। इसकी छह पीढ़ियां पनपती हैं। इसमें प्रथम पीढ़ी पुराने गन्ने की फसल में सर्दी के सीजन में आती है। फरवरी के पहले सप्ताह में नर-मादा नई फसलों पर आकर अंडे देती है। इस दौरान कीट का प्रसार शुरुआती अवस्था में ही हो जाता है। इसमें मादा कीट 100 से लेकर 250 की संख्या में अंडे देती है। कीट गन्ने की पत्तियों की मध्य नाड़ी में सुरंग बनाकर पौधों के कंठ तक प्रवेश कर जाते हैं। 

वहीं पौधों की इस कीट से कलिका मर जाती है। इससे पत्ती के किनारे पर छेद दिखाई देने लगते हैं। वहीं मार्च माह के आखिरी सप्ताह में इस कीट की दूसरी पीढ़ी का आगमन होता है। मई से कीट की तीसरी पीढ़ी की शुरुआत हो जाती है। इसके बाद चोटी बेधक कीट की पीढ़ियों से फसल क्षति की संभावना अधिक रहती है। इस कीट के नियंत्रण के लिए जून माह में किसान क्लोरेंट्रोनीलीप्रोल रसान 18.5 प्रतिशत और एसएसी 150 एमएल दवा 400 लीटर पानी में घोलकर तैयार कर लें। इसके बाद इस तैयार दवा के घोल को स्प्रे मशीन की सहायता से पौधे की जड़ के भाग में छिड़काव करें।

ट्रैप्स् के इस्तेमाल से कीटों पर नियंत्रण

  • चोटी बेधक कीट की तीसरी पीढ़ी की निगरानी के लिए चार ट्रैप्स प्रति हैक्टेयर के हिसाब से लगाएं।
  • यदि सफेद तितलियां ट्रैप्स में आने लगे तो खेत में कार्बोफयूराडान (3जी) 33 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से या फोरेट (10जी) 30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर का प्रयोग उचित नमी की दशा में करें।
  • इसका बुरकाव सुबह 10 बजे से पहले करें। इस दौरान मुंह व नाक ढक कर रखें ताकि दवाई से निकलने वाली गैस आपके शरीर के अंदर पहुंचकर आपको बेहोश न कर दे। दवा बुरकाव के दौरान बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू आदि का प्रयोग नहीं करें।
  • कार्बोफयूरान को यूरिया के साथ मिलाकर कभी भी प्रयोग नहीं करें।
  • रोग कीट ग्रसित पौधों को निकालकर खेत के बाहर नष्ट कर दें।
  • जिन क्षेत्रों में सफेद गिडार के आने की आशंका है वहां प्रोढ कीट (बीटल) के नियंत्रण के लिए सामुदायिक स्तर पर जगह-जगह भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित लाइट-फेरोमोन ट्रैप्स लगाएं।
  • ट्रैप्स में एकत्रित हुए कीटों को नष्ट कर दें। इसी के साथ ही पेड़ों पर बैठे कीटों को भी झाड़कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि इनके प्रसार पर रोक लग सके।

विशेष : किसान भाईयों से अनुरोध है कि किसी भी उपाय को अपनाने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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