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बोका चावल: ठंडे पानी में पकने वाले चावल की खेती, जानें इसकी खासियत

प्रकाशित - 09 Jun 2023

इस जादुई चावल की खेती से किसान होंगे मालामाल, जानें, इसकी विशेषता, लाभ और कीमत

हमारे देश में खरीफ फसलों में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। धान से प्राप्त होने वाले चावल को लोग पकाकर खाते हैं। इसे पकाने के लिए गर्म पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे चावल के बारे में सुना है जिसे गर्म की जगह ठंडे पानी में पकाकर खाया जाता हो। बात सुनने में काफी अटपटी है लेकिन यह सच है। चावल की बोका नामक किस्म ऐसी ही एक किस्म है जिसे ठंडे पानी में पका कर खाया जाता है। इस चावल की इसी खासियत के कारण ही इसे जीआई टैग भी मिल चुका है। जीआई टैग उस वस्तु को दिया जाता है जो अपने आप में कोई विशिष्टता रखती हो। इस चावल को जादुई चावल भी कहा जाता है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको चावल की ठंडे पानी में तैयार होने वाली इस जादुई किस्म बोका चावल की विशेषता, लाभ और कीमत के साथ ही इसकी खेती की जानकारी भी दे रहे हैं।

क्या है बोका चावल

बोका चावल को जादुई चावल कहा जाता है। इसे ठंडे पानी में भी तैयार किया जा सकता है। असम में इसे बोका शाऊल नाम से जाना जाता है। गुवाहाटी विश्वविद्याल के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक इस चावल में 10.73 प्रतिशत फाइबर और 6.8 प्रतिशत प्रोटीन होता है। यह शरीर को ठंडा रखने में सहायता करता है। इसकी खेती असम में प्रमुखता से की जाती है। इसके अलावा बिहार में भी कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं।

क्या है इस बोका चावल की विशेषता/लाभ

बोका चावल की सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि इसे ठंडे पानी में भी तैयार किया जा सकता है। ऐसे में देश में युद्ध, बाढ़ आदि संकट दौरान इस चावल को इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शरीर के लिए भी लाभकारी है। इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है। इस चावल की खेती करने वाले किसान रामगोपाल चंदेल के मुताबिक यह चावल शुगर फ्री होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा सामान्य चावल से ज्यादा होती है। यह चावल वजन घटाने में भी मदद करता है। इस चावल को गर्म करके नहीं पकाने के कारण इसके पोषक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।

भोजन के लिए कैसे तैयार करें बोका चावल (बोका चावल बनाने की विधि)

यदि आप बोका चावल का भोजन में इस्तेमाल करना चाहते है तो आप इसे बहुत ही आसन तरीके से बना सकते हैं। इसके लिए आपको बोका चावल को थोड़े गर्म पानी में 30 मिनट या फिर ठंडे पानी में एक घंटे तक भिगो दें, बस आपका यह चावल तैयार हो जाता है। इसे आप दही, गुड और केले के साथ मिलाकर खाएं तो यह काफी स्वादिष्ट लगता है। 

बोका चावल की कीमत

असम में बड़े पैमाने पर बोका चावल की खेती की जाती है। इसलिए वहां इसका भाव 80 से 100 रुपए किलोग्राम तक होता है। लेकिन यदि आप इंडिया मार्ट से ऑनलाइन बोका चावल की खरीद करते हैं तो इसकी बेतरीन क्वालिटी के एक किलोग्राम चावल के पैकिट की कीमत 500 रुपए तक है। 

कैसे की जाती है बोका चावल की खेती

असम के कई जिलों में इसकी खेती की जाती है। इसे जून के महीने में बोया जाता है और अक्टूबर महीने में इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है। इसकी खेती का तरीका सामान्य चावल की तरह ही है। इसकी खेती कर रहे किसान गरमपल्ली श्रीकांत मुताबिक यह किस्म सामान्य धान की तुलना में देरी से पकती है। इसे पककर तैयार होने में करीब 185 दिन का समय लगता है। इसकी प्रति एकड़ उपज भी कम होती है। एक एकड़ जमीन में केवल चार से पांच बैग की ही पैदावार मिलती है। जबकि सामान्य धान की किस्म से 30 बैग के करीब पैदावार प्राप्त हो जाती है। किसान श्रीकांत, धान की करीब 150 विभिन्न किस्मों की खेती कर चुके हैं, उनमें से एक बोका चावल भी है।

बोका चावल का इतिहास

ऐसा नहीं है कि बोका चावल भारत में नया है। 17वीं शताब्दी के इतिहास में इस प्रकार के चावल का उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार मुगल सेना से लड़ने के लिए अहोम सैनिक युद्ध के समय इसका उपयोग अपने खाने में करते थे। युद्ध के दौरान ऐसी चीज की आवश्यकता होती है जो शीघ्र पककर तैयार हो जाए। युद्ध के मैदान में गर्म पानी आदि की व्यवस्था नहीं होने से ठंडे पानी में पकने वाली चावल की किस्म बोका चावल का इस्तेमाल किया गया। इस चावल की खास बात ये थी कि यह चावल ठंडे पानी में पककर तैयार हो जाता था, वो भी कम समय में। ऐसे में इस चावल का उपयोग युद्ध के दौरान किया जाने लगा। इसके बाद इसे कई बार संकट के समय इस्तेमाल किया जाता रहा है।

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