प्रकाशित - 24 Nov 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान नवंबर माह में मटर की खेती (Pea Farming) करके इससे अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मटर की बहुत सी ऐसी बेहतरीन किस्में हैं जो कम समय में अधिक पैदावार देती हैं। मटर की बाजार मांग भी काफी अधिक है इसके बाजार में अच्छे भाव भी मिल जाते हैं। खास बात यह है कि इसका 12 महीने सब्जी में इस्तेमाल किया जाता है। इसे निर्जमीकरण की प्रक्रिया के जरिये सूखा कर रख लिया जाता है, जिसे 12 माह तक काम में लिया जा सकता है। मटर से मटर दाल भी बनाई जाती है। इस तरह मटर की खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा है। मटर हरी हो या सूखी दोनों ही तरह से इसका उपयोग किया जाता है। ऐसे में किसान मटर की जल्दी समय में पकने वाली मटर की किस्मों की बुवाई करके काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। बता दें कि मटर की इन टॉप 7 किस्मों को कृषि विभाग, नई दिल्ली और आईसीएआर के प्री-रबी इंटरफेस 2023 के दौरान प्रस्तावित किया गया है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम आपको कम समय में तैयार होने वाली मटर की टॉप 7 किस्मों (Top 7 varieties of peas) की जानकारी दे रहे हैं।
मटर की इस किस्म को 2018 में विकसित किया गया। यह किस्म बुवाई के बाद करीब 105 से 110 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। इस किस्म से 22-23 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, गुजरात और राजस्थान के दक्षिणी भाग के लिए उपयुक्त माना गया है। इस क्षेत्र के किसान इसकी बुवाई कर सकते हैं।
पंत मटर 243 किस्म को भी 2018 में विकसित किया गया। यह किस्म 105 से लेकर 110 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 19-20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, गुजरात और राजस्थान के दक्षिणी भाग के लिए उपयुक्त है।
मटर की इस किस्म को भी 2018 में विकसित किया गया। यह किस्म 85 लेकर 90 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 21-22 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। मटर की यह किस्म त्रिपुरा और उसके आसपास के एचईएच राज्य के लिए उपयुक्त है।
मटर की यह किस्म 2018 में विकसित की गई। इससे 15-16 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म 105 से 110 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। यह किस्म उत्तरप्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त मानी गई है।
मटर की इस किस्म को 2017 में विकसित किया गया। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 22 से लेकर 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म 110 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, गुजरात और राजस्थान के दक्षिणी भाग के लिए उपयुक्त पाई गई है।
मटर की इस किस्म को 2016 में विकसित किया गया। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 17-18 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह मटर की किस्म 100 से लेकर 105 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए उपयुक्त पाया गया है।
मटर की यह किस्म 2016 में विकसित की गई। इस किस्म से 19-20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म 105 से लेकर 110 दिन की अवधि में तैयार हो जाती है। इस किस्म को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, गुजरात और राजस्थान के दक्षिणी भाग में बुवाई के लिए उपयुक्त पाया गया है।
सामान्य तौर पर मटर की बुवाई के लिए प्रति हैक्टेयर 90 से 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले इसके बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए ताकि कीट-रोग का प्रकोप कम हो सके। इसके बीजोपचार के लिए 2 ग्राम थीरम या 3 ग्राम मैकोंजेब की मात्रा का घोल बनाकर उससे बीजों को उपचारित करना चाहिए। इसके बीजों को बुवाई से 24 घंटे पहले पानी में भिगोकर रखना चाहिए तथा इसके बाद इसे छाया में सुखाना चाहिए। मटर के बीजों की बुवाई देशी हल जिसमें पोरा लगा हो या सीड ड्रिल से करनी चाहिए। बीजों की बुवाई करते समय उनके मध्य दूरी 30 सेमी और बीज की गहराई 5-7 सेमी रखनी चाहिए। हालांकि बीज की गहराई मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है।
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