नीली क्रांति : बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने पर होगी बंपर कमाई

Share Product प्रकाशित - 21 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

नीली क्रांति : बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करने पर होगी बंपर कमाई

जानें, क्या है बायोफ्लॉक तकनीक और इससे मछली पालन का तरीका

भारत में खेती के बाद मछली पालन व्यवसाय में तेजी आई है। जहां पहले पोखरों और तालाबों में मछली पालन किया जाता था, लेकिन आज टैंकों में भी मछली पालन कर मछली पालक किसान अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। भारत में नीली क्रांति के तहत आज मछली पालन की नई-नई तकनीकों का चलन बढ़ा है। इसी प्रकार की एक नई तकनीक बायोफ्लॉक तकनीक है। इस तकनीक के जरिये किसान अधिक मछली का उत्पादन प्राप्त करके मोटी कमाई कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको नीली क्रांति योजना अंतर्गत बायोफ्लॉक तकनीक की जानकारी दे रहे हैं। 

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क्या है ये बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology)

बायोफ्लॉक तकनीक में एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस बैक्टीरिया का नाम ही बायोफ्लॉक है। इस तकनीक के अंतर्गत करीब 10 से 15 हजार लीटर के बड़े-बड़े टैंकों में मछलियों को डाला जाता है। इन टैंकों में पानी डालने, पानी निकालने के साथ ही ऑक्सीजन की उचित व्यवस्था होती है। बता दें कि मछलियां जितना खाती हैं उसका करीब 75 प्रतिशत मल के रूप में शरीर से बाहर निकालती है। यह मल पानी में फैल जाता है। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस मल को प्रोटीन में बदल देता है, जिसे मछलियां खा जाती है। इससे एक तिहाई फीड की बचत होती है। इसके अलावा पानी भी साफ रहता है। 

बायोफ्लॉक तकनीक से क्या होगा लाभ

बायोफ्लॉक तकनीक से मछलियों की खेती से किसानों को कई प्रकार के फायदें होते हैं जिससे लागत में कमी आती है और उनका मुनाफा बढ़ सकता है। 

कम लागत पर बेहतर उत्पादन

इस तकनीक के इस्तेमाल कर मछली पालन करने पर कम लागत पर अधिक मछलियों का अधिक और बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें मछलियों के फीड का खर्च कम आता है और पानी साफ करने का खर्च भी कम होता है। 

जल का पूरा उपयोग

बायोफ्लॉक बैक्टीरियां के कारण टैंक का पानी निरंतर साफ होता रहता है, इससे रोजाना पानी नहीं बदलना पड़ता जिससे इससे जल की बचत होती है। इस तरह तकनीक में टैंक में भरे जल का पूरा उपयोग होता है।

टैंक से मछलियों को निकालना आसान

इस तकनीक में टैंकों में मछली पालन होने से टैंकों के पानी को बदलना आसान होता है। इसके लिए तालाब में मछलियों को निकलना काफी मुश्किल भरा काम होता है जबकि टैंक से मछलियों को निकालना आसान होता है। इसके लिए पहले  टैंक से पानी बाहर निकलें और बाद में मछलियां को बाहर निकाल लें। वहीं यदि मछलियों में कोई रोग हो जाता है तो जिस टैंक में दिक्कत होती है बस सिर्फ उसे ट्रीट करने की आवश्यकता होती है जबकि तालाब में पूरे तालाब में दवा डालनी पड़ती है। 

टैंक में मछली पालन पर कितना आता है खर्च (Fish Farming)

नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार यदि हम 7 टैंक से मछली पालन शुरू करें तो इसके शुरुआत में करीब 7.5 लाख रुपए का खर्च आता है। इसमें मछलियों के बीज से लेकर उनके फीड और कई प्रकार की टेस्टिंग किट की लागत भी जोड़ी गई है। यह खर्चा 15-15 हजार लीटर के टैंक में मछली पालन करने पर आता है। यह सरकारी आंकड़े हैं, जो अलग-अलग जगह के हिसाब से कुछ अलग-अलग हो सकते हैं।

पांच लाख रुपए का होगा मुनाफा

यदि मछली पालक एक साल में दो बार मछलियां पालन करके बेचते हैं तो उनको 8 लाख रुपए का मुनाफा हो सकता है। एनएफडीबी ने इसमें से भी डेप्रिसिएशन कॉस्ट, ब्याज, लागत की पहली किस्त का भुगतान आदि घटाया है। ये सब मिलाकर करीब 3 लाख होता है। यानी सारे खर्चे घटाकर और अगली फसल के लिए पैसे रखकर भी मछली पालक पहले ही साल 5 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। 

ऐसे समझे खर्च और लाभ का गणित

  • यदि कोई मछली पालक 7 टैंक में मछली पालन करता हैं तो आपको पहली फसल के अंत तक करीब 5.5 लाख की कमाई होगी। यानी 7.5 लाख लगाकर आपने करीब 5.5 लाख रुपए कमाए हैं। अब अगर अगली खेती के लिए ऑपरेशन कॉस्ट 1.5 हटा दें तो आपका मुनाफा 4 लाख होता है। 
  • पहली फसल के बाद आपको मुनाफा कम लग सकता हैं, क्योंकि आपने कैपिटल कॉस्ट के लिए 6 लाख रुपए खर्च किए हैं, जिनसे आपने पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। दूसरी फसल के बाद भी आपको 5.5 लाख रुपए के करीब मुनाफा होगा। इसमें से अगली फसल के लिए 1.5 लाख हटा दें तो 4 लाख बचता है। इस तरह आप साल में दो बार मछलीपालन करके कुल 8 लाख रुपए पाते हैं जिसमें से 3 लाख का खर्चा हटाने के बाद आपको नेट लाभ 5 लाख रुपए हो सकता है। 

बायोफ्लॉक तकनीक का कहां ले सकते हैं प्रशिक्षण

मछली पालन की बायोफ्लॉक तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त करने के इच्छुक किसान कृषि विज्ञान केंद्र, रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) से संपर्क कर सकते हैं। यहां बायक यानि बायोफ्लॉक तकनीक से मछली उत्पाद पर किसान, नवयुवक, महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 


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