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गेहूं की कीमतों में वृद्धि : जानें, त्यौहारी सीजन में क्यों बढ़ेंगे गेहूं के दाम!

प्रकाशित - 24 Aug 2022

गेहूं का बाजार भाव तेज, जानें, क्या रहेगा गेहूं का बाजार भविष्य

पिछले एक सप्ताह के दौरान गेहूं की कीमतों में 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि पिछले साल के मुकाबले गेहूं की कीमतें 22 फीसदी तक बढ़ गई हैं। देश की विभिन्न मंडियों में गेहूं का भाव 2300 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। दक्षिण भारत की मंडियों में गेहूं के भाव 3200-3500 रुपए प्रति क्विंटल है। गेहूं का आटा 35-36 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है। गेहूं की कीमतों में वृद्धि के बाद अब किसानों के मन में यह सवाल है कि आगामी त्यौहारी सीजन में गेहूं के दाम कितने बढ़ सकते हैं। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में गेहूं की कीमत, गेहूं का मंडी भाव, गेहूं का बाजार भविष्य आदि की पड़ताल की जाएगी, तो बने रहिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ।

गेहूं में तेजी का कारण

पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं के दाम शुरू से ही तेज बने हुए हैं। गेहूं की कीमतों में तेजी के पीछे दो प्रमुख कारण सामने आए हैं। पहला रूस और यूक्रेन युद्ध और दूसरा देश में गेहूं का कमजोर उत्पादन। यहां आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन विश्व के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं। इन दोनों देशों में युद्ध के कारण विश्व में खाद्यान्न संकट बढ़ गया है। कई देशों ने भारत से गेहूं मंगाया है जिस कारण देश में गेहूं की कीमतों में वृद्धि देखी गई है। वहीं देश में इस साल उत्पादन और गुणवत्ता के मामले में गेहूं की फसल काफी कमजोर रही है। समय से पहले तेज गर्मी के कारण फसल कटाई के समय गेहूं का दाना सिकुड़ गया और गेहूं का कम उत्पादन हुआ और क्वालिटी भी कमजोर रही। इस कारण से गेहूं का भाव अप्रैल 2022 से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचे बने रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकारी खरीद कम हुई। कुल सरकारी खरीद 189 लाख टन पर सिमट गई। यहां आपको बता दें कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल सरकार ने निर्धारित किया है। जबकि मंडियों में शुरू से ही 2200 रुपए क्विंटल का भाव रहा जो धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

कितनी बढ़ी गेहूं की कीमत

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गेहूं की अखिल भारतीय औसत रिटेल कीमत 22 अगस्त को करीब 22 फीसदी बढ़कर 31.04 रुपये प्रति किलो हो गई है जो पिछले साल की समान अवधि में 25.41 रुपये प्रति किलो थी। आंकड़ों के अनुसार देश में गेहूं आटा का औसत रिटेल मूल्य 17 फीसदी से अधिक बढ़कर 35.17 रुपये प्रति किलो हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 30.04 रुपये प्रति किलो था। वहीं उद्योग निकाय, रोलर आटा मिलर्स फेडरेशन ने पिछले कुछ दिनों के दौरान गेहूं की अनुपलब्धता और कीमत में भारी वृद्धि के बारे में चिंता जताई है।

क्या भारत को गेहूं का आयात करना होगा?

देश में गेहूं की कमी नहीं हो और पर्याप्त स्टॉक रहे इसके लिए केंद्र सरकार ने मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। क्योंकि इस दौरान रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण कई देशों ने भारत से गेहूं खरीदने की इच्छा जताई थी जो अब तक रूस और यूक्रेन से ही गेहूं खरीदते थे। सीमित मात्रा में निर्यात करने से गेहूं के दाम एकाएक बढ़ गए। पिछले दिनों कई ऐसे बयान और रिपोर्ट सामने आई जिनमें कहा गया कि भारत सरकार को गेहूं का आयात करना पड़ सकता है। लेकिन भारत सरकार ने इन रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए कहा है कि देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है और उसे गेहूं आयात करने की जरूरत नहीं है। सरकार का कहना है कि देश के पास अपनी घरेलू जरूरतों के साथ-साथ जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही पर्याप्त गेहूं है।

गेहूं का बाजार भविष्य : क्या गेहूं के दाम और तेज होंगे

देश में 10 सितंबर से त्यौहारी सीजन शुरू हो जाएगा। नवरात्र, दशहरा, दीपावली, छठ पूजा, क्रिसमस और शादी-समारोह का दौर रहेगा। इस दौरान उपभोक्ता वस्तुओं की खपत बढ़ जाएगी। ऐसे में गेहूं की मांग बढ़ना भी लाजिमी है। मंडी विशेषज्ञों का मानना है कि मांग और आपूर्ति के बीच असमानता के कारण देश में गेहूं की कीमतें बढ़ रही है। देश में नया गेहूं अप्रैल 2023 में आएगा। इसमें अभी सात माह का समय है। अभी देश में मानसून का सीजन चल रहा है। देश के कई भागों में अपर्याप्त बारिश हुई है। मानसून के फाइनल आंकड़े आने के बाद देश में बारिश की स्थिति का पता चलेगा। रबी सीजन में गेहूं की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में शुरू होगी। केंद्र सरकार की मुफ्त गेहूं योजना भी गेहूं की कीमतों का भविष्य तय करेगी। इस योजना में किसी भी तरह का बदलाव गेहूं की कीमतों में जोरदार तेजी का मौका दे सकता है। यहां आपको बता दें कि कोरोना काल के कारण पिछले दो साल से केंद्र सरकार देश के करीब 80 करोड़ जरुरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज का वितरण कर रही है। इसके चलते सरकार के पास अनाज के बफर स्टॉक में कमी आई है।

गेहूं का वैश्विक मूल्य

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार धीरे-धीरे मूल्य नियंत्रण के अन्य साधनों जैसे कि आयात शुल्क में कमी और स्वैच्छिक स्टॉक प्रकटीकरण आदि का उपयोग कर सकती है। हालांकि, घरेलू थोक गेहूं की कीमतें वैश्विक कीमतों से कम हैं, आयात शुल्क में कमी भी इसे एक व्यवहार्य विकल्प बनाने के लिए आवश्यक होगी। शिकागो, अमेरिका में गेहूं का मूल्य मार्च की शुरुआत में 14 डॉलर प्रति बुशल के करीब पहुंच गया था।

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