प्रकाशित - 10 Aug 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गेहूं के भावों में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है। इस साल पिछले साल की तुलना में गेहूं के भावों में दुगुनी बढ़ोतरी देखी गई है। देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गेहूं के भावों में बढ़ोतरी हुई जिससे किसानों को लाभ हो रहा है। हालांकि सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी गेहूं की खरीद शुरू की गई लेकिन इसमें नाममात्र के किसानों ने एमएसपी पर गेहूं बेचने में रूचि दिखाई। अधिकांश किसान बाजार में अपनी फसल को बेचकर बेहतर मुनाफा कमाया।
अभी भी बहुत से किसान जिन्होंने अपनी गेहूं की उपज को स्टोर करके रखा था, वे काफी अच्छा लाभ कमा रहे हैं। गेहूं के बढ़ते भावों और देश-विदेश में इसकी मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी देश में खाद्यान्न फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी करने को कहा हैं। बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण समूचे विश्व में खाद्यान्न की कमी उत्पन्न हो जाने से गेहूं की कीमतों में उछाल आया है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको देश की प्रमुख मंडियों में गेहूं के भाव और आगे बाजार का क्या रूख रहेगा। गेहूं के भाव आगे कम होंगे या इसमें अभी और उछाल आएगा आदि बातों से जानकारी दे रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की कीमतों में इजाफा होना शुरू हुआ और इसके बाद इसके भावों में तेजी का दौर जारी रहा है। इस साल गेहूं के भाव नीचे नहीं आए है। रूस और युक्रेन दोनों ही देश गेहूं के मुख्य निर्यातक देश है। यहां से दुनिया के अधिकांश देशों को गेहूं का निर्यात किया जाता है। लेकिन इन दोनों देशों के बीच युद्ध के चलते गेहूं का निर्यात रूक गया। इससे कई देशों ने भारत की तरफ रूख किया। इस साल भारत ने कई देशों को गेहूं का निर्यात किया है। इस समय भारत दुनिया को खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाले प्रमुख देशों की सूची में शामिल हो गया है। कोरोना काल में भी भारत से कई देशों को खाद्यान्न की मदद की गई थी। लेकिन इस बार गेहूं का निर्यात करके भारत कई देशों की खाद्यान्न की आवश्यकता को पूरा कर रहा है। इससे भारत को विदेशी मुद्रा भी अर्जित हुई है। देश की घरेलू और अन्य देशों की मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से गेहूं की खुली बिक्री को जीएसटी से मुक्त रखा गया है, इसके बाद भी इसकी कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। राजस्थान की कई प्रमुख मंडियों में इसका भाव 2200 रुपए से लेकर 2350 के बीच चल रहा है। ऐसे में किसानों को इसका अच्छा लाभ मिल रहा है। वे बढ़ी हुई कीमतों पर अपनी गेहूं की फसल बेच रहे हैं। देखा जाए तो सभी मंडियों में गेहूं की कीमतें सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक हैं। बता दें कि वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। हालांकि इस बार गेहूं के न्यूनतम मूल्य में 40 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद भी गेहूं का बाजार भाव अभी भी सरकारी भाव से अधिक है।
प्रदेश की सभी मंडियों में इस समय गेहूं की अच्छी आवक देखी जा रही है। इससे गेहूं के क्वालिटी के हिसाब से 2300 रुपए से लेकर 2800 रुपए तक के भाव देखने को मिल रहे हैं। इस बार नई फसल आने से पहले ही गेहूं के भाव दुगुने होने की ओर बढ़ गए। लेकिन मई 2022 के अंतिम दिनों में गेहूं के निर्यात पर रोक लगने से इसके भाव अब स्थिर बने हुए हैं। लेकिन अभी आगे इसके भावों में कोई खास गिरावट नहीं देखी जाएगी। भाव 200-300 रुपए घटत-बढ़त के साथ बने रहेंगे।
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