प्रकाशित - 04 Dec 2023
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही उन्हें कई तरह की योजनाओं के माध्यम से गाय, भैंस खरीदने के लिए सब्सिडी (subsidy) का लाभ भी प्रदान किया जाता है ताकि वे उत्तम नस्ल की गाय या भैंस का पालन करके उससे बेहतर कमाई कर सकें।
यदि आप भी पशुपालन करके उससे लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको गाय या भैंस की ऐसी उत्तम नस्ल का चुनाव करना चाहिए जो अधिक दूध उत्पादन के साथ रखरखाव खर्च में किफायती हो। गाय, भैंस की ऐसी बहुत सी नस्लें है जो अधिक दूध देती हैं। साथ ही उनके रखरखाव पर खर्च भी कम आता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको भैंस की एक ऐसी ही नस्ल के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो 1500 लीटर दूध देती है और इसके रखरखाव पर खर्च भी बहुत कम आता है, तो आइए जानते हैं कि भैंस की इस नस्ल के बारे में पूरी जानकारी।
भैंस की बहुत सी नस्ल है जो काफी अच्छा दूध का उत्पादन देती हैं। इनमें से एक नस्ल धारवाड़ी भैंस भी है जो कम खर्च में अधिक दूध देती है। वैसे तो यह भैंस एक ब्यांत में औसतन 972 लीटर तक दूध देती है। लेकिन, यदि अच्छे से इसकी देखभाल की जाए तो इससे 1500 लीटर तक दूध प्राप्त किया जा सकता है। यह भैंस एक मध्यम आकार की भैंस होती है। इसका रंग गहरा काला होता है। इस भैंस को मुख्य रूप से दूध के लिए पाला जाता है। खास बात यह है कि इस भैंस के दूध का उपयोग प्रसिद्ध धारवाड़ पेड़ा बनाने के लिए किया जाता है जिसे जीआई टैग मिला हुआ है।
धारवाड़ी भैंस को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने भी मान्यता दी है, जो दूध उत्पादन के मामले में अच्छी है। धारवाड़ी भैंस की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं
धारवाड़ी भैंस कर्नाटक में पाई जाती है। यहां के बागलकोट, बेलगाम, दहरवाड़, बेलारी, गडग, विजयपुरा, बीदर, चित्रदुर्ग, कलबुर्गी, होवेरी, कोपल, रायचूर और यादगिट जिलों में इसे पाला जाता है।
धारवाड़ी भैंस के साथ ही भैंस की कई प्रसिद्ध नस्ल है जो अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है, जो इस प्रकार से हैं
भैंस की मुर्रा नस्ल अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। इस नस्ल का पालन अधिकांश रूप से हरियाणा व पंजाब में किया जाता है। इसके दूध में वसा की मात्रा करीब 7 प्रतिशत होती है। इसका दूध गाढ़ा होता है। यह भैंस प्रतिदिन 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। यह भैंस की एक ब्यांत में 1600-1800 लीटर दूध देती है। इस नस्ल की भैंस का औसत भार 430 किलोग्राम होता है, जबकि इस नस्ल के सांड का औसतन वजन 575 किलोग्राम होता है।
सूरती भैंस भी अधिक दूध देने वाली भैंसों में गिनी जाती है। इसके दूध का उत्पादन 900 से 1300 लीटर तक होता है। इसका पहला ब्यांत 40-56 महीने में होता है और अंत ब्यायन अवधि 400 से 535 दिनों की होती है। इसके दूध में 8 से 12 प्रतिशत तक वसा की मात्रा पाई जाती है। यह भैंस गुजरात के कैरा व बड़ौदा जिले में अधिक पाली जाती है।
जाफराबादी भैंस गिर के जंगलों में पाई जाती है। इसका प्रजनन क्षेत्र गुजरात के कच्छ और जामनगर जिले हैं। इस नस्ल की भैंस का प्रथम ब्यांत में दूध का उत्पादन 2239 किलोग्राम है। यह नस्ल आगरा, इटावा और ग्वालियर जिलों में आम तौर पर पाली जाती है। इस नस्ल की औसतन दुग्ध उत्पादन क्षमता 1294 किलोग्राम है। इसके दूध में वसा की मात्रा 6 से 12.8 प्रतिशत होती है।
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