प्रकाशित - 27 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार पशुपालन को बढ़ावा दे रही है। इसके बाद भी देश में जितनी दूध की मांग है, उस हिसाब से उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। इसे देखते हुए इन दिनों सोया दूध का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई किसान सोयाबीन से दूध बनाकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। सोयाबीन में काफी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की भी भरपूर मात्रा होती है। सोयाबीन तिलहन फसल की श्रेणी में आती है। इसलिए इससे प्राप्त दूध पूर्णरूप से प्राकृतिक होता है। दूध के अलावा इसका पनीर बनाकर भी काफी अच्छी कमाई की जा सकती है।
एक रिसर्च के मुताबिक, 1 किलो सोयबीन से करीब 7.5 लीटर सोयाबीन मिल्क तैयार किया जा सकता है। वहीं, 1 लीटर सोयाबीन मिल्क से दो लीटर फ्लेवर्ड मिल्क और 1 किलो सोया दही तैयार किया जा सकता है। यदि सोयाबीन का एवरेज बाजार भाव 45 रुपए किलो लेकर चले तो 60 रुपए के सोयाबीन से करीब 10 लीटर दूध तैयार कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सोयाबीन से दूध और पनीर बनाने का तरीका और इससे होने वाली कमाई के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
इसे सूखे सोयाबीन को भिगो कर पानी के साथ पीस कर बनाया जाता है। सोया दूध में करीब उसी अनुपात में प्रोटीन होता है जैसा कि गाय के दूध में होता है। इसमें करीब 3.5 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत वसा, 2.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 0.5 प्रतिशत राख होता है। सोया दूध को घर पर ही पारंपरिक रसोई के उपकरणों या सोया दूध मशीन से बनाया जा सकता है। सोया दूध के जमे हुए प्रोटीन से टोफू बनाया जा सकता है, जैसे डेयरी में दूध से पनीर बनाया जाता है।
सोया दूध साबुत सोयाबीन या सोया आटे से बनाया जा सकता है। यदि आप सोयाबीन की सूखी फलियों से दूध बना रहे है तो सबसे पहले सोयाबीन की सूखी फलियोंं को रात भर या कम से कम 3 घंटे या इससे अधिक समय तक पानी के तापमान के आधार पर पानी में भिगोया जाता हैं। अच्छी तरह इसे भिगोने के लिए आठ घंटे पर्याप्त हैं। इसके बाद इसकी पानी के साथ गीली पिसाई की जाती है। वजन के आधार पर पानी व फलियों का अनुपात 10:1 होना चाहिए। अब इससे प्राप्त घोल या प्यूरी को इसका पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए, स्वाद में सुधार करने के लिए और निष्कीटित करने के लिए ताप निष्क्रिय सोया ट्राईस्पिन अवरोधक के द्वारा उबाला जाता है। उबाल बिंदु पर या उसके आसपास गर्म करने की ये प्रक्रिया 15 से 20 मिनट तक चलती है, जिसके बाद एक छानने की प्रक्रिया द्वारा अघुलनशील तलछट (सोया गूदा रेशे या ओकारा) को हटाया जाता है। इस प्रकार सोया दूध तैयार हो जाता है। अब इसे पैक करके बाजार में बेचा जा सकता है।
सोयाबीन से पनीर या टोफू बनाने के लिए आपको सबसे पहले सोयाबीन से बने दूध को उबालने के लिए रखना होगा। जैसे दूध पूरी तरह उबल जाए इसमें इलायची डाल दें और गैस बंद कर दें। अब इसको दो मिनट ठंडा होने दें। गुनगुना होने पर इसमें नींबू रस को समान पानी में मिलाकर इसे थोड़ा-थोड़ा करके करछी की सहायता से डालें। इस दौरान दूध को चलाते जाएं। इस तरह सारा नींबू रस डाल कर इसे पांच मिनट के लिए छोड़ देंं। अब दूध से पनीर पूरी तरह से अलग हो जाएगा। आप नींबू की जगह टाटरी और फिटकरी का भी इस्तेमाल कर सकते है। अब आपको किसी छलनी में कपड़ा बिछा कर सारा पनीर निकाल लेना है और इसे कपड़े से लपेट कर रख देना है। इसके बाद कोई भारी चीज उसके ऊपर रख देनी है ताकि उसका सारा पानी निकल जाए। इस तरह सारा पानी निकलने के बाद पनीर बनकर तैयार हो जाएगा।
यदि आप सोया दूध या सोया पनीर बिजनेस को बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो आपको इसका प्लांट लगाना होगा। इस प्लांट को उत्पाद प्रसंस्करण प्रभाग, केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के द्वारा विकसित किया गया है। इसमें भरण और पिसाई करने वाली इकाई, भंडारण के लिए स्टोरेज टैंक, बॉयलर यूनिट, कुकर, विभाजक, न्यूमेटिक टोफू प्रेस और कंट्रोल पैनल लगा रहता है। ग्राइडिंग सिस्टम में टॉप हॉपर, फीडर कंट्रोल प्लेट, बॉटम हॉपर और ग्राइंडर शामिल है। चक्की से आने वाले सोया घोल को स्टोरेज टैंक में एकत्रित किया जाता है। यहां से इसे स्क्रू पंप असेंबली के माध्यम से कुकर में स्टोर किया जाता है। 12 किलोवाट हीटर और कुकर के बॉयलर स्वचालित दबाव वाल्व के जरिए जुड़े होते हैं। वांछित दवाब और तापमान पर कुकर को भाप जारी करते हैं। फीड दर को 20 किलो प्रति घंटे पर नियंत्रित किया जाता है। कुकर में भाप दाब 490 केपीए और तापमान 150 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है। जब कुकर का दबाव 2.5 किलो और तापमान 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए तो ठहरकर 3 मिनट तक यही स्थिति बनाए रखा जाता है। इसके बाद सोया दूध तैयार हो जाता है। वहीं इस प्राप्त दूध से पनीर बनाने के लिए दूध को सेपरेटर में डाला जाता है। इससे दूध दही जैसा गाढ़ा हो जाता है। इससे बचा हुआ पानी निकाला जाता है। करीब एक घंटे की प्रक्रिया के बाद पनीर बनकर तैयार हो जाता है। इस प्रक्रिया से करीब एक घंटे में 2.5 से 3 किलोग्राम पनीर तैयार किया जा सकता है।
अन्य बिजनेस की तरह ही सोया दूध बिजनेस के लिए भी बैंक लोन मिलता है। इसके लिए आपको प्रोजेक्ट बनाकर जिला उद्योग कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद मुनाफे और लागत का आंकलन करने के बाद आपको सब्सिडी वाला लोन मिल जाएगा। बता देें कि इसके लिए समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारों के एसएमई प्रोजेक्ट्स के लिए बिना ब्याज या कम ब्याज वाले लोन में भी शामिल किया जाता है।
सोया दूध के फायदों को देखते हुए इसकी बाजार में काफी डिमांड है। शहरों में जो लोग जो अपनी सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक हैं और जो युवक बाडी बिल्डिंग कर रहे है, वे लोग इसका इस्तेमाल अधिक करते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनी इस तरह के दूध को पैकिंग करके पैकिट में इसे बेच रही हैं। बाजार में एक लीटर सोया दूध की कीमत 40 रुपए है, जबकि एक किलो टोफू 150-200 रुपए बिक रहा है। इस तरह आप इस बिजनेस से हर साल 6 लाख रुपए से अधिक की कमाई आसानी से की जा सकती है।
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