प्रकाशित - 16 Jun 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ की फसल में मक्का का अपना एक अलग महत्वपूर्ण स्थान है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग में वृद्धि के कारण इसकी कीमतों में तेजी आई है। गेहूं, सरसों के बाद अब किसानों को मक्का से भी लाभ होगा। मक्का की घरेलू मांग के साथ ही इसकी वैश्विक मांग में भी इजाफा हुआ है। इसके कारण बाजार में मक्का की कीमतें 2200 से 2600 रुपए प्रति क्विंटल तक हो गईं हैं। अधिकांश मंडियों में इसकी कीमत 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल चल रही है। जबकि मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1962 रुपए प्रति क्विंटल है।
मक्का के भाव बढऩे से वे किसान खुश हैं जिन्होंने मक्का की बुवाई की है। बता दें कि वैसे तो मक्का खरीफ की फसल है, लेकिन जहां सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में इसकी खेती की जा सकती है। (यानि जायद फसल के रूप में भी मक्का की खेती की जा सकती है।)
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि चीन, यूरोपीय संघ, यूक्रेन और अमेरिका सहित दुनिया में मक्का का उत्पादन 2.9 फीसदी घटा है। इसी के साथ भारत में भी 2022-23 में इसका उत्पादन घटने का अनुमान है। इससे मक्का भावों में तेजी आई है। बता दें कि पिछले साल मक्का एमएसपी से भी कम दामों में बाजार में बिका था। इसे देखते हुए मक्का उत्पादक किसानों के लिए ये खबर बेहद खास है। किसान बाजार भाव पर मक्का की बिक्री करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
इस बार भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में मक्का उत्पादन 3.1 फीसदी कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसी के साथ अन्य देशों मेंं भी मक्का के उत्पादन में गिरावट आई है। इसे देखते हुए बाजार में इसकी मांग ने जोर पकड़ा और भावों में इजाफा देखा जा रहा है।
देश के प्रमुख मंडियों में मक्का के भावों में तेजी दिखाई दी है। इस समय मंडियों में मक्का के जो भाव चल रहे हैं, वे इस प्रकार से हैं-
बाजार एक्सपर्ट्स की मानें तो इस बार बाजार में मक्का का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से ऊंचा बना रहेगा। हालांकि मक्का के बाजार भाव में मामूली घटत-बढ़त चल सकती है लेकिन भाव एमएसपी से ऊपर ही रहेंगे। इससे किसानों को लाभ होगा। बता दें कि मक्का की मांग पोल्ट्री फीड और स्टॉच कंपनियों में अधिक मांग रहती है। आने वाले महीनों में इसकी मांग बढऩे की उम्मीद है। इसलिए भावों में गिरावट की कम ही उम्मीद नजर आती है।
मक्का की खेती करीब 165 देशों में लगभग 190 मीटर हेक्टेयर पर की जाती है। इस फसल का वैश्विक अनाज उत्पादन में 39 प्रतिशत योगदान है। इसमें करीब 36 प्रतिशत योगदान के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.एस) मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में मक्का पूरे साल उत्पादित किया जाता है। मक्का, सीजन में खेती के अंतर्गत 85 प्रतिशत क्षेत्र के साथ एक प्रमुख खरीफ फसल है। भारत में चावल और गेहूं के बाद मक्का तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है। यह देश में कुल अनाज उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है।
भारत में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश राज्यों में प्रमुखता से मक्का की खेती की जाती है। इन राज्यों में मक्का का उत्पादन देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक है। हालांकि राजस्थान और हरियाणा में भी मक्का की खेती होती है।
मक्का को मानव व पशुओं के लिए मुख्य भोजन के रूप में उपयोग लिया जाता है। इसके अलावा हजारों औद्योगिक उत्पादों के लिए यह एक मूल रूप से कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है जिसमें स्टार्च, तेल, प्रोटीन, मादक पेय पदार्थ, खाद्य स्वीटर्स, फार्मास्यूटिकल, कॉस्मेटिक, फिल्म, कपड़ा, गम, पैकेज और पेपर उद्योग आदि शामिल हैं।
अंतराष्ट्रीय बाजार में भारत के अनाज उत्पादों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है। भारत से वर्ष 2020-21 के दौरान विश्व भर में 28,79,202.93 मीट्रिक टन अनाज का निर्यात किया गया जिसकी कीमत 4,675.78 करोड़ रुपए/ 634.85 अमरीकी मिलियन अमरीकी डॉलर थी। भारत नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, वियतनाम समाजवादी गणराज्य और मलेशिया को मक्का का निर्यात करता है।
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