खुशखबरी : सरकार ने तय किया गन्ने का नया रेट, पहले से ज्यादा होगा लाभ

Share Product प्रकाशित - 08 Nov 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

खुशखबरी : सरकार ने तय किया गन्ने का नया रेट, पहले से ज्यादा होगा लाभ

जानें, कितना बढ़ाया गया है गन्ने का मूल्य, यहां देखें नया रेट

गन्ना किसानों के लिए बहुत ही बड़ी खुशखबरी निकलकर सामने आई है। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से गन्ने के मूल्य (राज्य परामर्श मूल्य) में बढ़ोतरी की गई है। इससे किसानों को अब पहले से अधिक लाभ होगा। राज्य सरकार की ओर से गन्ने का स्टेट एडवाइजरी प्राइस (एएसपी ) 400 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री की ओर से कर दी गई है। अब किसानों को साल 2024 में गन्ने का बढ़ा हुआ मूल्य मिल सकेगा। बता दें कि बहुत समय से किसान गन्ने का मूल्य बढ़ाने की सरकार से मांग कर रहे थे जिसे राज्य सरकार की ओर से मान लिया गया है और गन्ने का मूल्य बढ़ाए जाने की घोषणा कर दी गई है। बता दें कि अलग-अलग राज्यों में गन्ने का एसएपी अलग-अलग है। यह एसएपी वहां की राज्य सरकार द्वारा तय किया जाता है। ऐसे में हरियाणा सरकार की ओर से गन्ने का नया एसएपी घोषित कर दिया गया है। इसके तहत अब यहां के किसानों से प्रति क्विंटल 400 रुपए के भाव से गन्ना खरीदा जाएगा। गन्ने का मूल्य बढ़ने से प्रदेश के किसानों में खुशी की लहर है।

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क्या है गन्ने का नया एसएपी रेट (What is the new SAP rate of sugarcane)

राज्य सरकार ने दिवाली से पहले गन्ना किसानों को तोहफा देते हुए गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी कर दी है। इस साल के लिए गन्ने का मूल्य अगेती किस्म के लिए 372 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 386 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने अगले साल के लिए गन्ने के रेट की घोषणा भी कर दी है। अगले साल गन्ने का रेट 400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। अब राज्य के किसानों से इसी रेट पर गन्ने की खरीद की जाएगी। बता दें कि अब तक हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है जो गन्ने का सर्वाधिक मूल्य दे रहा है। इससे पहले पंजाब ने गन्ने का रेट बढ़ाया था, लेकिन अब हरियाणा दुबारा रेट बढ़ाकर फिर से सबसे अधिक रेट देने वाला राज्य बन गया है।

नौ महीने में दूसरी बार की गन्ने के रेट में बढ़ोतरी

हरियाणा सरकार ने नौ महीने के अंदर दूसरी बार गन्ने का रेट बढ़ाया है। इससे पहले 25 जनवरी को हरियाणा सरकार ने गन्ने के रेट में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी जिससे राज्य में गन्ने का रेट 372 रुपए प्रति क्विंटल हो गया था। इससे पहले यहां किसानों से गन्ना 362 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा था। अब एक बार फिर राज्य सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए गन्ने के मूल्य में 14 रुपए की बढ़ोतरी कर दी है जिससे अब किसानों से गन्ना 386 रुपए रुपए की दर से खरीदा जाएगा। इसी के साथ अगले वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता को देखते हुए किसानों के लिए अगले वर्ष के लिए भी गन्ने का लाभकारी मूल्य घोषित कर दिया है। अगले साल 2024 के लिए गन्ने का मूल्य 400 रुपए निर्धारित किया गया है।

गन्ने का रेट बढ़ने से किसानों को कितना होगा लाभ

राज्य में गन्ने का एएसपी रेट बढ़ने से किसानों को बहुत लाभ होगा। किसानों को प्रति क्विंटल अब पहले से 14 रुपए ज्यादा मिलेंगे। इससे पहले किसानों से 372 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ने की खरीद की जा रही थी। गन्ने के भाव को लेकर पिछले काफी समय से किसान इसे बढ़ाने की मांग सरकार से कर रहे थे। गन्ना किसानों का कहना था कि जितनी लागत गन्ने के उत्पादन में आती है उस हिसाब से किसानों को गन्ना बेचने से लाभ नहीं हो पा रहा है। किसानों ने सरकार से गन्ने का मूल्य 450 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग की थी जिस पर राज्य सरकार ने अगले साल 400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ने खरीदने की घोषणा कर दी।

गन्ने का रेट बढ़ाने पर क्या कहा मुख्यमंत्री ने

गन्ने का रेट बढ़ाने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने कहा कि गन्ना उत्पादक मेरे किसान भाइयों के लिए मैं आज हरियाणा में गन्ने के प्रति क्विंटल रेट 372 से बढ़ाकर 386 करने की घोषणा करता हूं। हमारे किसानों के लिए यह बड़ी खुशी की बात है कि यह देश में गन्ने का सर्वाधिक रेट होगा। साथ ही ये घोषणा भी आज ही करता हूं कि अगले वर्ष ये रेट बढ़ाकर 400 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया जाएगा।

गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर क्या कहना है किसान संगठन का

गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान का कहना है कि सरकार की पहल सराहनीय है लेकिन महंगाई को देखते हुए यह मूल्य करीब 450 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए। गन्ने की खेती में खर्चा अधिक होता है। इसी साल जनवरी के महीने में किसानों ने गन्ने का दाम बढ़ाने को लेकर प्रदर्शन किया था। ट्रैक्टर रैली निकाली थी, चीनी मिलों पर ताला लगाया था। किसान गन्ने का मूल्य 450 रुपए करने की मांग कर रहे थे। इसके बाद सरकार ने गन्ने के मूल्य में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी जिससे गन्ने का मूल्य 372 कर दिया गया।

कैसे तय किया जाता है गन्ने का रेट (How is the rate of sugarcane decided)

केंद्र सरकार की ओर से कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद तथा चीनी उद्योग की एसोसिएशनों से सूचना लेकर गन्ना मूल्य निर्धारित किया जाता है और उसकी घोषणा की जाती है। गन्ना (निसंत्रण) आदेश, 1966 के संशोधित उपबंधों में जिन घटकों को उचित और लाभकारी मूल्य निर्धारित करने में शामिल किया जाता है उनमें गन्ने की उत्पादन लागत, वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों को लाभ तथा कृषि जिंसों के मूल्यों की सामान्य प्रवृत्ति, उपभोक्ताओं को उचित दर पर चीनी की उपलब्धता, उत्पादनकर्ताओं द्वारा गन्ने से उत्पादित चीनी जिस मूल्य पर बेची जाती है, गन्ने से चीनी की रिकवरी, सह उत्पादों यानि शीरा, खाई तथा प्रैस मड के विक्रय से प्राप्त राशि या उनके अभ्यारोपित मूल्य (29.12.2008 की अधिसूचना द्वारा अंत: स्थापित), जोखिम और लाभ के कारण गन्ना उत्पादकों के लिए उचित मार्जिन (29.12.2008 की अधिसूचना द्वारा अंत: स्थापित) को शामिल किया जाता है।

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इस वर्ष के लिए किस राज्य में कितना है गन्ने का रेट (What is the sugarcane rate in which state for this year)

अलग-अलग राज्य में गन्ने का अलग-अलग मूल्य वहां की राज्य सरकार की ओर से तय किया गया है। किस राज्य में कितना गन्ने का एसएपी रेट है, वह इस प्रकार से है

  • हरियाणा में गन्ने का मूल्य 386 रुपए प्रति क्विंटल है।
  • पंजाब में गन्ने का मूल्य 380 रुपए प्रति क्विंटल है।
  • उत्तराखंड में गन्ने का मूल्य 355 रुपए प्रति क्विंटल है।
  • उत्तर प्रदेश में गन्ने का मूल्य 350 रुपए प्रति क्विंटल है।
  • बिहार में गन्ने का मूल्य 335 रुपए प्रति  क्विंटल है।

गन्ने के एफआरपी और एएसपी रेट में क्या होता है अंतर (What is the difference between FRP and ASP rates of sugarcane)

हर साल केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए एफआरपी और एसएपी मूल्य की घोषणा की जाती है। ऐसे में अलग-अलग राज्य में किसानों से अलग-अलग रेट पर गन्ने की खरीद की जाती है। ऐसा इसलिए कि राज्य सरकार अपने स्तर पर गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी करती है। जबकि केंद्र द्वारा जारी किया गया एफआरपी पूरे भारत में एक समान होता है। लेकिन राज्य अपने स्तर पर गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी करके किसानों को स्थानीय भाव के अनुसार गन्ने का मूल्य दिलाने का प्रयास करती हैं ताकि किसानों को नुकसान नहीं हो। केंद्र द्वारा तय किए गए गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य को एफआरपी कहा जाता है जबकि राज्य सरकार की ओर से जो मूल्य बढ़ाकर किसानों को दिया जाता है उसे एसएपी कहा जाता है। एसएपी सदैव एफआरपी से ज्यादा होता है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से सत्र 2023-24 के लिए गन्ने का एफआरपी 315 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है जो पिछले सत्र में 305 रुपए प्रति क्विंटल था।

गन्ने के उत्पादन में कितना आता है खर्चा (How much does it cost to produce sugarcane)

गन्ने की खेती साल में दो बार की जाती है। एक बसंत कालीन खरीफ सीजन में तो दूसरी शीतकालीन मौसम में। यदि बात करें गन्ने के उत्पादन में आने वाले खर्च की तो एक अनुमान के मुताबिक प्रति एकड़ 55,000 रुपए का खर्च आता है। वहीं गन्ने से प्राप्त आय 1,20,000 रुपए तक हो जाती है। इसकी फसल से किसानों को कुल 65,000 रुपए की बचत प्रति एकड़ हो सकती है। इसकी खेती एक एकड़ में करके किसान 10 से 12 महीने बाद 65,000 रुपए की बचत कर सकते हैं। वहीं गन्ने के साथ मिश्रित खेती करके किसान अपने मुनाफे को बढ़ा सकते हैं। गन्ने के साथ किसान इसकी सह फसल के रूप में मटर, आलू, प्याज, लहसुन, मसूर, धनिया, मूली, गोभी, उड़द, भिंडी, लोबिया व मूंग की खेती कर सकते हैं।

हरियाणा में कितना होता है गन्ने का उत्पादन (How much sugarcane is produced in Haryana)

हरियाणा गन्ना उत्पादन में देश में आठवें नंबर पर आता है। यहां मुख्य रूप से गुडगांव, करनाल, फरीदाबाद, सोनीपत और रोहतक में गन्ने की खेती की जाती है। राज्य में 1.3 लाख हैक्टेयर भूमि में 9.3 मीट्रिक टन का उत्पादन होता है। वहीं पंजाब में 6.6 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन होता है। पंजाब 9वें स्थान पर है। बता दें कि देश में गन्ना उत्पादन में सबसे अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश है। यहां प्रति वर्ष 133.3 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन किया जाता है जो देश में सबसे अधिक है। यूपी में करीब 2.5 करोड़ लोग गन्ना उद्योग से जुड़े हुए हैं।

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