प्रकाशित - 08 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश सरकार की ओर से ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की खरीद की जा रही है। इस बार मध्यप्रदेश के किसानों ने पिछले साल की तुलना में अधिक मूंग का उत्पादन किया है। इस ग्रीष्मकालीन सीजन में राज्य के 32 जिलों में मूंग फसल की बंपर पैदावार हुई है। इस बार राज्य के किसानों ने करीब 12 लाख हैक्टेयर में मूंग की खेती की है। इससे 15 लाख टन तक उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। जबकि केंद्र सरकार ने राज्य से सिर्फ 2 लाख 40 हजार टन मूंग खरीद करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बता दें कि पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग की एमएसपी पर खरीद इस वर्ष की तुलना में अधिक की गई थी। पिछले वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 में केंद्र ने 1 लाख 39 हजार टन मूंग खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 2 लाख 47 हजार टन कर दिया गया था। जबकि सरकारी खरीद इससे अधिक 4 लाख टन की हुई थी। राज्य कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों को आश्वास्त किया है कि उनकी मूंग की फसल की अधिक से अधिक खरीद सरकार करेगी।
राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि पूर्व में भारत सरकार ने 25 क्विंटल मूंग फसल खरीदी लिमिट के आदेश जारी किए थे। इसके बाद कृषि मंत्री किसानों की फसल खरीदी लिमिट 40 क्विंटल करने के लिए बीते सप्ताह दिल्ली में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मार्गदर्शन में, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि सचिव भारत सरकार से मिले थे और किसान भाइयों की मांग उनके सामने रखी थी। मोदी सरकार ने इस मांग पर सहमति देते हुए किसानों से 40 क्विंटल मूंग की खरीदी के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसानों का पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार को बताया था कि लिमिट बढ़ाने से किसानों को फायदा होगा। समय की बचत के साथ उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि किसानों से सरकार मूंग फसल की पूरी खरीदी समर्थन मूल्य पर करेगी। किसान भाइयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसी किसान के पास 120 से लेकर 200 क्विंटल मूंग फसल की पैदावार हुई है तो भी सरकार उनकी फसल का एक-एक दाना खरीदेगी। एक बार जो एसएमएस आया है वही मान्य होगा।
अब राज्य के किसानों से एमएसपी पर प्रतिदिन 40 क्विंटल मूंग की खरीद की जाएगी। यानि एक बार में किसानों से 40 क्विंटल मूंग खरीदा जाएगा। इस हिसाब से पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे, पांचवे दिन तक भी सरकार किसानों से इसी हिसाब से खरीदी करेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि एक बात जो किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। जो मैं किसान भाइयों को बताना चाहता हूं कि जिन किसानों को एस एमएस मिले और मिलने के बाद भी उनकी फसल खरीदी का नंबर नहीं आया तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उन किसान भाइयों की फसल अब पुन: एसएमएस भेज कर खरीदी की जाएगी और पहले इसकी अवधि 7 दिन होती थी। जिसको बढ़ाकर 10 दिन कर दी गई है। मतलब अब किसानों को डबल फायदा है। एसएमएस की अवधि भी बढ़ गई और उनकी प्रतिदिन खरीदी की लिमिट सरकार ने बढ़ा दी है।
जानकारों का कहना है कि इस बार ज्यादा उत्पादन के कारण बाजार में मूंग का रेट इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम है। किसान खुले बाजार में 4500 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम पर ही इसे बेचने के लिए मजबूर हैं। इसलिए वो चाहते हैं कि मूंग की ज्यादा से ज्यादा खरीद सरकार करे। क्योंकि मूंग की एमएसपी 7275 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है। जबकि बाजार में किसानों को इससे कम दाम ही मिल रहा हैं।
मूंग की खरीद के लिए राज्य में 741 केंद्र बनाए गए हैं। सूबे के 32 जिलों में मूंग की खरीद हो रही है। मूंग की फसल बेचने के लिए 234749 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने इस बार 6 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग की फसल का उत्पादन लिया है।
मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद जारी है। बीते दिन राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने देवास जिले में स्थित कन्नौद के ग्राम ननासा में ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने तुलाई के इंतजाम का अवलोकन भी किया। पटेल ने पूरे प्रदेश में मूंग उपार्जन में फ्लेट तौल-कांटे से तुलाई करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसानों को कोई परेशानी नहीं हो। इसी प्रकार कृषि मंत्री ने हरदा जिले के ग्राम कड़ोला में भी समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने उपार्जन केंद्रों पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का अवलोकन भी किया। पटेल ने कहा कि व्यवस्थाओं में किसी भी प्रकार की कमी न रहे।
केंद्र सरकार की ओर से हर खरीफ और रबी सीजन के लिए सूचीबद्ध फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। इसी मूल्य के अनुसार ही सभी राज्यों में किसानों से एमएसपी पर फसलों की खरीद होती है। इस बार मूंग का समर्थन मूल्य 7275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। किसानों से इसी भाव पर मूंग की सरकारी खरीद की जा रही है। जबकि इसके उलट खुले बाजार में मूंग के भाव एमएसपी से कम है।
जानकारी के अनुसार एमएसपी पर खरीद शुरू होने से पहले यहां के बाजारों में मूंग भाव 4500 से 5500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था। इस रेट पर किसानों को मूंग बेचने से बहुत नुकसान हो रहा था। अब चूंकि एमएसपी पर मूंग की खरीद शुरू हो चुकी है। इससे किसानों को अच्छा पैसा मिल सकेगा। यहीं कारण है कि मध्यप्रदेश के किसान एमएसपी पर अपनी मूंग की फसल बेचने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्हें यहां बाजार से ज्यादा भाव मिल रहा है। इससे किसानों के चहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही है।
मध्यप्रदेश में मूंग का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रीष्मकालीन तीसरी फसल के रूप में राज्य के अधिकांश जिलों में मूंग की फसल उगाई जाती है। इस वर्ष राज्य के किसानों ने 9 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल ली। राज्य के होशंगाबाद, हरदा, सीहोर, नरसिंहपुर और रायसेन जिलों में ही 5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में मूंग की फसल ली गई है। मध्यप्रदेश में मूंग का उत्पादन खरीदी से कहीं अधिक है। प्रदेश में मूंग का उत्पादन 13 से 16 लाख मैट्रिक टन है। ऐसे में किसान चाहते हैं कि राज्य सरकार अधिक से अधिक उनसे मूंग की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करें ताकि उन्हें बाजार में सस्ते में मूंग बेचने पर मजबूर न होना पड़े।
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