गाय-भैंस दूध देना बंद कर दे तो इस योजना में मिलेगा 50 हजार रुपए का मुआवजा!

Share Product प्रकाशित - 24 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गाय-भैंस दूध देना बंद कर दे तो इस योजना में मिलेगा 50 हजार रुपए का मुआवजा!

पशुधन बीमा योजना : दुधारू पशुओं की मौत या बीमारी से दूध का उत्पादन बंद होने पर सरकार से मिलेगी सहायता

सरकार पशुपालक किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित करती है। पशुपालक किसान इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। कई बार दुधारू पशु गाय-भैंस के पालन में पशुपालक किसानों के सामने कई तरह की समस्याएं आती है। इनमें सबसे प्रमुख दुधारू पशु द्वारा दूध का उत्पादन बंद करना या उसकी मृत्यु होना है। आज हम आपको सरकार की एक ऐसी योजना के बारे में बता रहे हैं अगर आपका पशु दूध देना बंद कर देता है या उसकी मौत सरकार द्वारा निर्धारित कारणों से हो जाती है तो उसे सरकार की एक खास योजना के तहत मुआवजा राशि मिलेगी। गाय व भैंस की स्थिति में यह राशि 40 हजार रुपए से लेकर 88 हजार रुपए तक हो सकती है। अलग-अलग राज्य सरकार अलग-अलग मुआवजा राशि पशुपालकों को देती है। इसके लिए पशुपालकों से बहुत कम प्रीमियम वसूला जाता है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में पशुधन बीमा योजना (जोखिम प्रबंधन योजना) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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गाय-भैंस से दूध नहीं मिलने पर ऐसे मिलेगा मुआवजा

गांव में रहने वाले किसानों और पशुपालकों की सबसे बड़ी संपत्ति उसका पशुधन होता है। अगर पशुधन को किसी भी तरह का नुकसान होता है तो पशुपालक सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। पशुपालक दुग्ध उत्पादन के लिए गाय व भैंस पालते हैं। गाय व भैंस समय के साथ उम्रदराज हो जाती है और उसे कई तरह की बीमारी लग जाती है। उम्र बढ़ने के साथ गाय व भैंस में थनैला रोग अधिक पनपता है। इसके कारण दुधारू पशु दूध देना बंद कर देता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि थनैला रोग सिर्फ उम्रदराज गाय-भैंस में फैलता है बल्कि यह सभी उम्र के दुधारू पशुओं में पनप सकता है। लेकिन अधिक उम्र वाले पशुओं को थनैला रोग होने की संभावना अधिक होती है। वही यह रोग ब्यात के शुरू और अंत में अधिक पाया जाता है। इस रोग के बरसात के अलावा गर्मी में भी पनपने की संभावना रहती है। अगर पशुपालक किसान पशुधन बीमा योजना के तहत अपने दुधारू पशु का बीमा कराते हैं तो उन्हें थनैला रोग के जोखिम का कवरेज मिल जाता है। थनैला रोग के कारण गाय व भैंस द्वारा दूध नहीं मिलने पर पशुपालक मुआवजे के लिए दावा कर सकता है। यह राशि बीमित पशु के बाजार मूल्य से अधिक नहीं होती है। ऐसे में यह राशि एक पशु के लिए 40 से 50 हजार रुपए या इससे अधिक हो सकती है। पशुपालक अधिकतम दो पशुओं के लिए मुआवजा की राशि प्राप्त कर सकता है। अलग-अलग राज्यों में यह राशि भिन्न-भिन्न होती है। 

पशुधन बीमा योजना में इन जोखिमों का होता है बीमा

पशुधन बीमा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना का उद्देश्य पशुपालन में पशुपालकों की जोखिम को कम करना है। बीमा के तहत पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान की भरवाई की जाती है व पशुधन को स्वस्थ रखने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।

पशुधन बीमा योजना की खास बातें (Livestock Insurance Scheme)

  • पशुधन बीमा योजना गोवा को छोड़कर देश के विभिन्न राज्यों में 300 जिलों में संचालित है। राज्यों में राज्य पशुधन विकास बोर्ड द्वारा योजना का संचालन किया जाता है।
  • यह योजना दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा, बीमारी, शल्य चिकित्सा के दौरान पशु की मृत्यु होने पर सहायता प्रदान करती है। 
  • योजना के तहत संकर व देशी दुधारू पशुओं व भैंसों का बीमा उनके अधिकतम बाजार मूल्य पर किया जाता है।
  • दुधारू पशुओं में दूध देने वाले और दूध नहीं देने वाले मवेशियों के अलावा ऐसे गर्भवती मवेशी भी शामिल होंगे जिन्होंने कम से कम एक बार बछड़े को जन्म दिया हो।
  • बीमा के लिए पशुओं की निर्धारित उम्र 10 से 12 साल रखी गई है। गाय का बीमा 2 साल से 10 साल की उम्र में व भैंस का बीमा 3 साल से 12 साल की उम्र में किया जा सकता है।
  • कम से कम एक साल या अधिकतम 3 साल के लिए बीमा कराया जा सकता है।
  • बीमा कराने के बाद पशुपालक को कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है। पशुपालक के द्वार पर ही पशु के कान में छल्ला (माइक्रो चिप) लगा दी जाती है, जिसका सारा खर्चा बीमा कंपनी वहन करती है।

पशुधन बीमा योजना में केवल स्वस्थ पशु का बीमा होगा

पशुधन बीमा योजना के तहत केवल स्वस्थ पशु का बीमा किया जाता है। इसलिए बीमा से पहले पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा दुधारू पशु का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और स्वस्थ पशु के कान में छल्ला यानी माइक्रोचिप लगाया जाता है। अगर दुधारू पशु का किसी दूसरी योजना में बीमा है या वे अन्य योजना में शामिल है तो उनका इस योजना में बीमा नहीं किया जाएगा। इसके अलावा यदि पशुपालक बीमित पशु को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच देता है तो भी पशु का बीमा बरकरार रहेगा।

सिर्फ 10 प्रतिशत प्रीमियम जमा कराकर उठा सकते हैं योजना का लाभ

पशुधन बीमा योजना में पशुपालक को 4.5 प्रतिशत प्रीमियम व जीएसटी का भुगतान करना होता है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पशुपालकों को राहत देते हुए कुल प्रीमियम पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों ने बीमा राशि के प्रीमियम में अपने-अपने स्तर पर अनुदान की घोषणा की है। उत्तरप्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति व बीपीएल श्रेणी के लोगों को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है जबकि सामान्य वर्ग के लाभार्थी को 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। हर राज्य में प्रीमियम पर सब्सिडी की दर अलग-अलग है।

पशुधन बीमा योजना में आवश्यक दस्तावेज

  • आधारकार्ड
  • बीपीएल प्रमाण पत्र
  • अनुसूचित जाति व जनजाति का प्रमाण
  • बीमित पशु का चारों तरफ से फोटो

कुल मिलाकर पशुधन बीमा योजना (जोखिम प्रबंधन योजना) के तहत देश के पशुपालक किसान नाममात्र की प्रीमियम राशि पर अपने दुधारू पशुओं का बीमा कराकर जोखिम से मुक्त हो सकता है।

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