मानसून अलर्ट : आगे खिसकी मानसून की तारीख, जानें देरी का कारण

Share Product प्रकाशित - 31 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

मानसून अलर्ट : आगे खिसकी मानसून की तारीख, जानें देरी का कारण

जानें, मौसम विभाग की जून माह को लेकर क्या है भविष्यवाणी

मानसून को लेकर मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस साल केरल में मानसून के आने में करीब 4 दिन की देरी हो सकती है। पूर्वानुमान है कि यह देरी आगे भी जारी रह सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक कई दिनों से मानसून एक ही जगह पर अटका हुआ है, ऐसे में इसके देरी से आगमन की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार जून में एक बार तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। वहीं इस बार सामान्य से कम बारिश होने की आशंका भी जताई जा रही है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको मानसूनी बारिश और जून माह के मौसम के संबंध में जानकारी दे रहे हैं जिसमें मौसम विभाग और स्काईमेट की ओर से जारी किए गए पूर्वानुमानाें को शामिल किया गया है। 

मानसून की धीमी गति से हो रही देरी

दक्षिण-पश्चिम मानसून जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उससे लगता है कि महाराष्ट्र में इसके पहुंचने में अभी कई दिन लग जाएंगे। ऐसे में मुंबई सहित महाराष्ट्र में मानसून की बारिश के संबंध में की गई भविष्यवाणी और आगे खिसक सकती है। मौसम विशेषज्ञों और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अधिकारियों के अनुसार इस साल केरल में मानसून की शुरुआत में देरी से महाराष्ट्र में इसके पहुंचने और इसके बाद पूरे राज्य में फैलने में 4 से 5 दिन की देरी हो सकती है।

महाराष्ट्र कब पहुंचेगा मानसून

भारत मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के मौसम पूर्वानुमान विभाग के प्रमुख अनुपम कश्यपी के अनुसार नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा का पैटर्न अगले 5-7 दिनों में अधिक क्षेत्रों में पश्चिमी दिशा में मुड़ने की संभावना है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि 2-8 जून के आसपास अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों शाखाएं और मजबूत होंगी, जो मानसून के अच्छे संकेत हैं। लेकिन आठ जून तक महाराष्ट्र में अधिक बारिश नहीं होगी। मानसून 9-15 जून तक कोंकण-गोवा और दक्षिण-मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को कवर करते हुए दक्षिण महाराष्ट्र में प्रवेश करेगा। वहीं 16-22 जून के दौरान महाराष्ट्र के अधिकांश भाग को कवर करने की संभावना है। हालांकि मुंबई और पुणे में मानसून कब दस्तक देगा, इसकी तारीख का सही पता मानसून के केरल पहुंचने के बाद ही चलेगा। आमतौर पर मुंबई में मानसून 10 जून को दस्तक देता है, लेकिन इस साल देरी के साथ 15 जून के आसपास पहुंच सकता है।

जून में पड़ सकती है भीषण गर्मी

बताया जा रहा है कि साल 1998 में भी मानसून के आने में थोड़ी देरी हुई थी और इसका प्रभाव जून में देखने को मिला था। उस साल जून माह में गर्मी काफी तेज रही थी। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि हालांकि अभी आने वाले तीन दिनों तक मौसम के मिजाज में कोई विशेष बदलाव नहीं होगा और तापमान में भी ज्यादा बढ़ोतरी होने की कम ही संभावना है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जून माह में तपिश थोड़ी ज्यादा रह सकती है। इसी साथ यह भी कहा जा रहा है कि जून में बारिश कम होगी, जबकि जुलाई में अच्छी बारिश हो सकती है।

इधर स्काईमेट ने बताया कैसा रहेगा मानसून

प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट के जतिन सिंह के अनुसार मानसून 7 जून के आसपास दस्तक देगा। इसके बाद वह धीमा हो जाएगा और 22 जून तक इसके आगे बढ़ने की रफ्तार काफी कम रहेगी। जून में बारिश की कमी भी होगी। इसी तरह के हालात 2014 और 2018 में देखे गए थे। इन दोनों वर्षों में मानसून से पहले अल नीनो बन गया था। नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेयरिक साइंस के रिसर्च साइंटिस्ट अक्षय देवरस ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग सहित कई सेंटर इस तरह का पूर्वानुमान दिखा रहे हैं कि भारत में जून में सामान्य से कम बारिश होगी और तापमान भी अधिक रहेगा। ऐसे में यह साफ कहा जा सकता है कि यह मानसून सामान्य तो नहीं है। आईआईटीएम के वैज्ञानिक रॉक्सी कोल के अनुसार, सामान्य मानसून की परिभाषा को बदलने की जरूरत है। चार महीने के आधार पर मानसून को सामान्य कहना सही नहीं है। जब पहले ही महीने बारिश की कमी है, तो इसका सीधा अर्थ है कि अगले तीन महीने में सामान्य से अधिक बारिश होगी। 

जानें, कैसे की जाती है केरल में मानसून की घोषणा

मौसम विभाग के मुताबिक केरल में मानसून की घोषणा तब की जाती है जब निर्धारित मानदंड पूरे हो। इसमें बरसात, हवा का पैटर्न (दिशा, गति और गहराई) और आउटगोइंग लांग वेव रेडिएशन शामिल हैं। लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप के लिए पहला प्रवेश बिंदु, खाड़ी द्वीपों पर आगमन की घोषणा करने के लिए ऐसा कोई मानदंड निर्धारित नहीं हैं। खाड़ी द्वीपों पर मानसून की शुरुआत विशुद्ध रूप से मौसम के पैटर्न, वास्तविक वर्षा और परिसंचरण पैटर्न में व्यापक बदलाव के आधार पर होती है।

मानसून के आगमन के दौरान क्या बनती है मौसमी स्थितियां

मौसम विज्ञानियों के अनुसार जैसे-जैसे मानसून आता है, भूमध्यरेखीय भारतीय और प्रशांत महासागर के ऊपर पूर्वी हवाएं कमजोर होती है और पश्चिमी क्षेत्रीय हवाएं इस क्षेत्र में स्थापित हो जाती है। इसके अलावा पश्चिमी क्षेत्रीय प्रवाह 12 हजार फीट तक फैला हुआ होता है। मानसून की शुरुआत के दौरान सोमाली तट से दक्षिण अंडमान सागर तक, बंगाल की खाड़ी में निम्न स्तरीय क्रास इक्वेटोरियल प्रवाह स्थापित होने के बाद बारिश द्वीपों के एक विस्तृत क्षेत्र को कवर करती है। 

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