प्रकाशित - 29 Jul 2022
कहते हैं यदि मन में कुछ नया करने की जिद हो तो सब कुछ संभव है। परंपरागत खेती तो हर कोई किसान कर सकता है लेकिन लीक से हट कर कोई व्यक्ति यदि खेती-बाड़ी का काम भी करता है तो वह आदर्श किसान बन जाता है। आज आपको ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं जो पहले सेना के जवान थे अब जागरूक किसान बन कर कृषि विशेषज्ञों को भी चौंका रहे हैं।
बता दें कि हरियाणा के झज्जर जिले के ढ़ाणा गांव निवासी अनिल ने 16 सालों तक सेना रहते हुए सीमा पर देश की रक्षा की। जब वे सेना से सेवानिवृत्त हुए तो अपने गांव आ गए। यहां उन्होंने खेती के तौर तरीके देखे, हर किसान का यही दस्तूर था कि वह अपने खेत में अधिक पैदावार के लिए फसलों में रासायनिक उर्वरकों का खूब इस्तेमाल कर रहा था। अधिकांश किसान परंपरागत तरीकों से ही खेती कर रहे थे। अनिल कुमार ने अपनी जमीन पर कुुछ नया करने की योजना बनाई। वह कृषि विशेषज्ञो से मिले। यहां से उन्हे प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी। अब अनिल कई वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे वे करीब पांच लाख रुपये सालाना कमाते हैं। वे अपने खेतों में फल, सब्जियां आदि उगाते हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने गेहूं, बाजरा, कपास, मूंग, चना, जौ आदि मुख्य फसलों की खेती की। इस खेती में जब अनिल को ज्यादा मुनाफा नजर नहीं आया तो उन्होंने फल और सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया।
यहां बता दें कि भूतपूर्व सैनिक अनिल ने खेती में जो कमाल किया उसके लिए उसने कई प्रयोग किए। सबसे पहले उसने अपने खेत के चारों तरफ फल और औषधीय पौधे उगाने शुरू किए। जब ये फलदार पेड बनकर तैयार हो गए तो इनसे फलों का उत्पादन होने लगा। अब ये आमदनी का अच्छा स्त्रौत बन गए हैं। किसान अनिल ने प्राकृतिक खेती के फायदे बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती में खाद और बीज अपना घरेलू ही होता है। इससे लागत काफी कम हो जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है।
हरियाणा के झज्जर जिला निवासी अनिल के अनुसार वह अपनी फसलों को गुरूग्राम में बेचता है। यहां कुछ लोग उनसे लगातार जुड़ गए हैं और अपनी जरूरत के अनुसार फल-सब्जियां आदि अनिल से खरीदते हैं। इससे अनिल को अपनी फसल बेचने की चिंता नहीं रहती। यही नहीं उसे अन्य किसानों की तुलना में प्राकृतिक तरीके से की गई फसलों के दोगुना से भी ज्यादा दाम मिल जाते हैं।
जागरूक किसान अनिल को औषधीय फसलों से अधिक आमदनी होती है। बता दें कि उसने जामुन, आँवला, अनार, बेर, खजूर, अमरूद, केला, चीकू, नीम और अश्वगंधा आदि की फसल भी कर रखी है। यही नहीं स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों में बथुआ, पुनर्नवा, चौलाई की खेती भी अनिल कुमार करते हैं। ये फसलें उसे अच्छा मुनाफा दे रही हैं।
प्रगतिशील किसान अनिल बताते हैं कि उन्होंने खेती के अलावा कई पशु भी पाल रखें हैं। इन पशुओं को खेतों से ताजा हरी घास, पत्तेदार सब्जियों की खरपतवार आदि चारे के रूप में मिल जाते हैं। इससे पशुओं का दूध भी बढ़ता है।
ये हैं प्राकृतिक खेती के लाभ
प्राकृतिक खेती से किसानों को अधिक आमदनी के साथ ही कई तरह के फायदे होते हैं जो इस प्रकार हैं-
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