यूजर प्रोफाइल

नया उपयोगकर्ता

ट्रैक्टर जंक्शन से जुड़ें

किसान ने अपनाई जैविक खेती, अब हो रही लाखों की कमाई

प्रकाशित - 16 Apr 2023

जानें, जैविक खेती से कैसे कम हो सकती है फसल की लागत 

जैविक उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ने लगी है। आज सभी लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेते रहने लगे हैं और प्राकृतिक रूप से तैयार फल, सब्जियों और अनाज के उपयोग पर जाेर दे रहे हैं। जैविक रूप से तैयार की गई चीजों का मार्केट में भाव भी अच्छा मिलता है। इन्हीं सब बातों के कारण आज किसान भी जैविक खेती की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। बहुत से किसान जैविक खेती को अपनाकर काफी बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। इन्हीं किसानों में से एक किसान हरियाणा के अशोक भी है जो जैविक खेती को अपनाकर खुद की इनकम बढ़ा रहे हैं। अच्छी बात ये हैं जैविक खेती के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। जैविक खेती के लिए सरकार की और से विशेष योजना चलाई जा रही है जिसके तहत किसानों को जैविक खेती के लिए सहायता भी प्रदान की जाती है। 

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में प्रगतिशील किसान अशोक कुमार की सक्सेस स्टोरी लेकर आए हैं जिन्होंने जैविक खेती में अच्छे उत्पादन प्राप्त किया और अब लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। आइये जानते हैं इस किसान की सफलता की कहानी। 

कृषि विभाग सलाह पर जैविक खेती को अपनाया

हरियाणा की कृषि विभाग के सलाह पर अशोक कुमार ने जैविक खेती को अपनाया। जैविक खेती में अच्छा उत्पादन और मिट्टी की उर्वरता में बढ़ोतरी, और उत्पादों के अच्छे रेट मिलने की उम्मीद से अशोक ने ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। आज अशोक इस खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा पा रहे हैं। बता दें कि आजकल जैविक उत्पादों को ऑनलाइन बेचने और ऑनलाइन खरीदने का भी प्रचलन बढ़ा है, आने वाले भविष्य में भी जैविक खेती का एक सुनहरा दौर देखने को मिल सकता है, जिसका बड़ा कारण है कि रासायनिक खेती से पैदा हुए उत्पादों के प्रति उपभोक्ताओं का कम रुझान। कृषि विभाग की सलाह पर अशोक ने ऑर्गेनिक फार्मिंग करते हुए काफी अच्छा मुनाफा कमाया। 

जैविक खेती में ऐसे बढ़ता है उत्पादन

अशोक कुमार के लिए पूरे 20 एकड़ में जैविक खेती करने का निर्णय बेहद मुश्किल रहा था। बातचीत में उन्होंने बताया कि जैविक खेती में अचानक शिफ्ट होने पर पहले किसानों को थोडा धैर्य रखना होता है। धीरे-धीरे जब मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होने लगती है तो उत्पादन स्वयं बढ़ना शुरू हो जाता है। अशोक बताते हैं, कि शुरुआती दो साल उनके लिए बहुत कठिन रहे। काफी धैर्य के साथ खेती की, शुरुआती दौर में नुकसान भी झेला। बाजार में उत्पाद के सही रेट नहीं मिल रहे थे लेकिन जैसे-जैसे लोगों का रुझान जैविक उत्पादों की ओर बढ़ा, अशोक कुमार अच्छी रेट पर फसल बेचने लगे। अशोक बताते हैं कि आज उनके उत्पाद की डिमांड इतनी है कि वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बिना यूरिया और डीएपी की खेती से इतना अच्छा उत्पादन कर पाना लंबे संघर्ष का ही परिणाम है। शुरुआत में खेती करना घाटे का सौदा था लेकिन धीरे-धीरे अशोक की मेहनत रंग लाई और 2 साल बाद मिट्टी की उर्वरता सकारात्मक परिणाम देने लगे। आज अशोक, अपना जैविक उत्पाद बाजार में डेढ़ से दो गुनी कीमतों पर बेच पा रहे हैं।

ऑर्गेनिक फार्मिंग की क्यों पड़ी जरूरत

अशोक बताते हैं, लगातार रसायनिक खेती की वजह से खेत की मिट्टी की उर्वरता में बेहद कमी आने लगी थी। लगातार मिट्टियों के पोषक तत्वों और जीवांशों में हो रही कमी खेत के लिए चिंता का विषय था। मिट्टी की कमियों को पूरा करने के लिए बार-बार रासायनिक उर्वरकों की मदद लेनी पड़ती थी। यही वजह है कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, उपभोक्ता स्वास्थ्य और अच्छे मुनाफे के लिए सकारात्मक कदम उठाने की कोशिश की।

क्या है जैविक खेती के फायदे

बता दें कि जैविक खेती करने से जो जमीनें बंजर हो चुकी हों, या जो जमीन उपजाऊ न हो उसमें भी धीरे-धीरे सुधार आने लगता है। वहीं रासायनिक उत्पादों के अंधाधुंध उपयोग से कृषि योग्य जमीन बंजर हो रही है। जैविक खेती से भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ता है। 

गेहूं बाजरा और मूंग से मिली पहचान 

रासायनिक खेती से जैविक खेती की ओर शिफ्ट करने वाली प्रगतिशील किसान अशोक कुमार बताते हैं कि 2014 से ही वे प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और मुख्यतः वे गेहूं, बाजरा और मूंग की खेती करते हैं। रबी सीजन में गेहूं की खेती और खरीफ सीजन में बाजरे की खेती के बीच 2.5 महीने का समय मिलता है। इन 2 से ढाई महीने के समय में अशोक मूंग की खेती कर लेते हैं। मूंग की खेती में किसी तरह के रसायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ 2 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। इससे उन्हें इस बीच दो ढाई क्विंटल के करीब मूंग प्राप्त हो जाता है। इससे खेत को हरित उर्वरक भी मिल जाते हैं। अशोक कुमार के इस कदम से उन्हें सरकार द्वारा कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों सामे ड्यूज-फार ट्रैक्टरफोर्स ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

अगर आप नए ट्रैक्टरपुराने ट्रैक्टरकृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

सर्टिफाइड पुराने ट्रैक्टर्स

पॉवर ट्रैक 434 प्लस
₹1.10 लाख का कुल बचत

पॉवर ट्रैक 434 प्लस

37 एचपी | 2023 Model | चितौड़गढ़, राजस्थान

₹ 4,30,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
महिंद्रा 575 डीआई एक्सपी प्लस
₹4.40 लाख का कुल बचत

महिंद्रा 575 डीआई एक्सपी प्लस

47 एचपी | 2014 Model | हनुमानगढ़, राजस्थान

₹ 2,87,500
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
मैसी फर्ग्यूसन 1035 डीआई
₹1.28 लाख का कुल बचत

मैसी फर्ग्यूसन 1035 डीआई

36 एचपी | 2020 Model | टोंक, राजस्थान

₹ 5,00,000
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें
फार्मट्रैक 45 पॉवरमैक्स
₹0.49 लाख का कुल बचत

फार्मट्रैक 45 पॉवरमैक्स

50 एचपी | 2023 Model | देवास, मध्यप्रदेश

₹ 7,41,285
प्रमाणित
icon icon-phone-callविक्रेता से संपर्क करें

सभी देखें