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जी-20 की बैठक : खेती और मोटे अनाज को मिलेगा बढ़ावा

Share Product प्रकाशित - 16 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

जी-20 की बैठक : खेती और मोटे अनाज को मिलेगा बढ़ावा

जानें, दो इंजीनियरों की प्राकृतिक चीजों को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप शुरू करने की कहानी

जी-20 की बैठक इंदौर में पिछले दिनों 13 से 15 फरवरी तक आयोजित हुई। इसमें प्राकृतिक रूप से खेती और देश में फसलोत्पादन बढ़ाने पर चर्चा की गई। इसी के साथ खेती में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया गया। जैसा कि वर्ष 2023 को पूरा भारत मोटे अनाज के वर्ष के रूप में मना रहा है। सरकार भी देश में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने और उसके प्रचार-प्रसार और खाने में मोटे अनाज के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। वहीं देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि शुद्ध कृषि प्रोडक्ट्स लोगों को मिल सकें। इसी थीम को लेकर दो इंजीनियरों सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव ने 16 राज्य के 90 शहरों की 4500 किलोमीटर की यात्रा करके शुद्ध और प्राकृतिक कृषि प्रोडक्ट्स चुने। इसमें इन्होंने रागी, समा, कंगनी, सनवा, कोडो, चेना जैसे मोटे अनाज को शामिल किया।

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बता दें कि ये दोनों इंजीनियरों ने अपने अथक प्रयास से इंदौर में रूट्स नामक स्टार्टअप शुरू किया, जो पहले से कृषि और किसानों के लिए कार्य कर रहा है। ये स्टार्टअप शहर में मोटे अनाज को बढ़ावा देने का काम कर रहा है।

ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हम दो इंजीनियरों की प्राकृतिक और शुद्ध चीजों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए स्टार्टअप और उसमें सफल होने की कहानी आपके साथ साझा कर रहे हैं।    

कैसे आया स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल

बात कारोना के समय की है, जब 81 साल की नानी ने 10 दिनों के अंदर ही कोरोना को मात दे दी और स्वस्थ हो गईं। जब नानी से पूछा गया कि आपने इतनी बड़ी उम्र में कोरोना को कैसे मात दी तो नानी ने इसका राज अपने पुराने शुद्ध खानपान को बताया। उन्होंने बताया कि अब पहले जैसी खाने की वैसी शुद्ध चीजें कहां मिलती हैं। हमारे जमाने में प्राकृतिक रूप से तैयार चीजें ही इस्तेमाल होती थी। उनमें किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं होती थी। और यही कारण है कि उस समय का खाया हुआ ही अब तक काम आ रहा है। नानी के सुने हुए इन्हीं अनुभवों से ही इन दोनों इंजीनियरों सुपात्र उपाध्याय और हरिओम यादव को प्राकृतिक और शुद्ध चीजें लोगों तक पहुंचाने का आइडिया आया। और फिर शुरू हुआ लोगों तक अधिक से अधिक शुद्ध और प्राकृतिक चीजें पहुंचाने का सिलसिला। आज ये दोनों अपने स्टार्टअप के जरिये लोगों तक प्राकृतिक और शुद्ध रूप तैयार की गई चीजें पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

अधिक से अधिक शुद्ध चीजें लाने की कोशिश

इन दो इंजीनियरों ने अधिक से अधिक शुद्ध चीजों को इंदौर में लाने की योजना बनाई। इसके लिए वे दोनों देश के कोने-कोने से शुद्ध प्राकृतिक प्रोडक्ट्स को इक्ट्‌ठा करने में जुट गए। इसके लिए दोनों ने पूरे एक साल तक देश के 16 राज्यों के 90 शहरों की 4500 किलोमीटर की यात्रा करके मोटा अनाज जिसमें मिलेट्‌स, रागी, जौ, मसाले, सूखे मेवे जैसे करीब 150 से भी ज्यादा सर्टिफाइड शुद्ध प्रोडक्ट्स खुद हाथ से चुनकर स्थानीय किसानों से करार किया ताकि प्रोडक्ट्स की शुद्धता बनी रहे। 

किस राज्य से कौनसी फसल को चुना

इन दोनों ने देश में जिस राज्य की जो फसल प्रसिद्ध है और ज्यादा होती है, उसे अपने प्रोडक्ट्स में शामिल किया। लेकिन इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि ये प्रोडक्ट पूर्ण रूप से प्राकृतिक होने चाहिए। उन्होंने कश्मीर से अखरोट, मैंगलोर से काजू, नासिक से किशमिश, तमिलनाडु से इलायची और कालीमिर्च, कन्याकुमारी से लौंग और राजस्थान से अश्वगंधा और चावल के लिए छत्तीसढ़ को चुना। इसके अलावा रागी, समा, कंगनी, सनवा, कोडो, चेना जैसे मोटे अनाज को अलग-अलग राज्यों से चुना गया। इस तरह ये दोनों हर राज्य और शहर के प्रसिद्ध कृषि उत्पाद इट्‌टठा करने में कामयाब रहे। इस तरह ये इन राज्यों के प्रसिद्ध प्राकृतिक प्रोडक्ट्स इंदौर मंगवा रहे हैं।

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बिचौलियों से बचने के लिए किया किसानों से करार

उन्होंने ऐसे किसानों से इन फसलों के लिए करार किया जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) करते हैं। प्रोडक्ट की शुद्धता बनाए रखने के लिए ये जरूरी था। इसके अलावा उन्होंने फसल को खरीदने के लिए सीधा किसानों से संपर्क किया ताकि किसानों को अपनी उपज का बेहतर भाव और उन्हें शुद्ध चीजें मिल सकें। उन्होंने तेल में मिलावट की समस्या से निपटने के लिए खोपरा, मूंगफली, सरसों और बादाम से खुद लकड़ी की कच्ची घानी से तेल तैयार करना शुरू किया। वहीं पत्थर वाली चक्की से आटा तैयार करते हैं। इसके अलावा उन्होंने मसाले भी हाथ से कूटकर ही तैयार करने शुरू किए ताकि इनके पोषक तत्व बने रहे और शुद्ध चीजें लोगों को मिल सकें।

महिलाओं को मिला रोजगार

इन दोनों इंजीनियरों की इस पहल से जिले की महिलाओं को रोजगार मिलने लगा। सभी चीजें हाथ से तैयार होने लगी और इस काम में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए इन कृषि प्रोडक्ट्‌स को इन्होंने बेचना शुरू किया। इस तरह इंदौर के निपानिया में स्टार्टअप रूट्स की शुरुआत हुई। आज ये स्टार्टअप 150 से अधिक प्राकृतिक और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बेच रहा है जिसमें सूखे मेवे, गिर गाय का बिलौना घी, हाथ से तैयार किए गए मसाले, ऑर्गेनिक अनाज, मिलेट्स, दालें आदि शामिल हैं।

शुद्ध खानपान से होता है प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत

आजकल युवाओं में हार्ट-अटैक की समस्या ज्यादा होने लगी है। इसके बाद दूसरा नंबर आता है डायबिटीज का। ये दोनों ही रोग आजकल आम हो गए हैं। इसके अलावा लोग और भी कई बीमारियों के शिकार होने लगे हैं। इन सबके पीछे मुख्य कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना है। प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने की मुख्य वजह आजकल शुद्ध खानपान का नहीं होना है। इसलिए प्राकृतिक और ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी हो गया है ताकि हमारे शरीर की इम्यूनिटी बनी रहे जिससे हम हर रोग का मुकाबला आसानी से कर पाएं। इस संबंध में रूट्स के को-फाउंडर हरिओम यादव के मुताबिक प्राकृतिक प्रोडक्ट्स में रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है। इसलिए इनमें पोषक तत्व बने रहते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है। जबकि रसायनिक कीटनाशक जमीन और शरीर दोनों के लिए जहर है, इनसे हमें बचना चाहिए।

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