खुशखबर : मनरेगा श्रमिकों की बढ़ सकती है मजदूरी, समिति ने की सिफारिश

Share Product प्रकाशित - 15 Apr 2025 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

खुशखबर : मनरेगा श्रमिकों की बढ़ सकती है मजदूरी, समिति ने की सिफारिश

जानें, मनरेगा मजदूरी व दिनों की संख्या को लेकर समिति ने क्या की है सरकार से सिफारिश 

मनरेगा (MGNREGA) श्रमिकों के लिए खुशखबर है। मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी बढ़ सकती है। इसके अलावा मनरेगा योजना के तहत कार्यदिवसों की संख्या को भी बढ़ाया जा सकता है। इससे अब मनरेगा श्रमिकों को पहले से ज्यादा मजदूरी के साथ ही अधिक दिन की अवधि तक काम मिलेगा। मनरेगा श्रमिकों की कम मजदूरी व कम कार्यदिवसों की संख्या को लेकर हाल ही में संसद की स्थाई समिति ने इसे बढ़ाने की सिफारिश सरकार से की है। इसमें कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत जो 100 दिन का रोजगार दिया जाता है, उसके कार्यदिवसों की संख्या को बढ़ाकर 150 किया जाना चाहिए। इसके अलावा योजना के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों का दैनिक पारिश्रमिक या मजदूरी को भी बढ़ाकर 400 रुपए निर्धारित किया जाना चाहिए। समिति का कहना है कि बढ़ती महंगाई के हिसाब से मनरेगा में दी जाने वाली दैनिक मजदूरी बहुत कम है जो वर्तमान समय में होने वाले खर्चों को पूरा करने में अपर्याप्त है। ऐसे में इसमें बढ़ोतरी की जानी चाहिए। वहीं समिति ने मनरेगा की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण किए जाने की बात कही है। समिति ने योजना को नया रूप देने पर भी जोर दिया है। 

मनरेगा के तहत श्रमिकों को मिले 150 दिन का रोजगार

समिति ने कहा कि मनरेगा (MGNREGA) के तहत वर्तमान में 100 दिनों का रोजगार दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों से दिनों के संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है। समिति ने कहा कि बदलते समय और उभरती चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए योजना में सुधार की आवश्यकता है। समिति ने मंत्रालय से उन विकल्पों पर विचार करने का आग्रह किया है जिससे मनरेगा के तहत गारंटीकृत कार्य दिवसों की वर्तमान संख्या 100 दिनों को बढ़ाकर 150 दिन की जा सके।  वहीं समिति ने सूखा राहत प्रावधान के तहत 150 दिनों की संख्या को बढ़ाकर 200 दिन किए जाने की भी सिफारिश की है। इसके तहत वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों के लिए मनरेगा के तहत 150 दिनों की मजदूरी प्रदान करने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं कमजोर समुदायों के लोगों के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत 150 दिन के कार्यदिवस की अवधि को बढ़ाकर 200 दिन किए जाने की सिफारिश की है। 

वेतन में देरी से संबंधित अनियमितता हो दूर 

अभी कुछ दिन पहले संपन्न हुए बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के दौरान संसद में पेश की गई रिपोर्ट में स्थाई समिति ने योजना के लिए आवंटित राशि में ठहराव पर चिंता जताते हुए सोशल ऑडिट पर भी जोर दिया ताकि योजना का उचित तरीके से कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि समिति का मानना है कि प्रभावशीलता जानने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि सर्वेक्षण में श्रमिकों की संतुष्टि, वेतन में देरी, भागीदारी के रुझान व योजना में वित्तीय अनियमितताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। समिति ने मनरेगा से जुड़े कार्यक्रम की कमियों के बारे में अहम जानकारी प्राप्त करने तथा मनरेगा की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों को लागू करने के लिए देश भर में स्वतंत्र और पारदर्शी सर्वेक्षण कराने की सिफारिश की है। 

मुआवजे में भी हो बढ़ाेतरी

समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी के भुगतान में लगातार देरी हो रही है। ऐसे में देरी से मिलने वाले वेतन के लिए मुआवजे की दर में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। समिति ने योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए सोशल ऑडिट बढ़ाने पर जोर दिया है। समिति ने सोशल ऑडिट को ग्रामीण विकास मंत्रालय से कैलेंडर निर्धारित किए जाने का आग्रह किया है। 

जॉब कार्ड समाप्त करने पर चिंता जताई

समिति ने मनरेगा के (MGNREGA) तहत दिए जाने वाले जॉब कार्ड समाप्त करने की अधिक संख्या का देखते हुए कहा कि 2021–22 में करीब 50.31 लाख जॉब कार्ड मामूली वर्तनी संबंधी त्रुटियों या आधार कार्ड के विवरण से विसंगति के कारण समाप्त कर दिए गए थे। रिपोर्ट में समिति ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मैनुअल सत्यापन तथा सुधार की अनुमति देने के लिए एक प्रणाली शुरू की जानी चाहिए ताकि श्रमिकों को कार्यक्रम से अन्यायपूर्ण तरीके से बाहर नहीं किया जा सके। 

अभी किस राज्य में कितनी है मनरेगा मजदूरी

वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं जिसमें मनरेगा के तहत वहां के श्रमिकों के लिए अलग–अलग  मजदूरी निर्धारित है। मनरेगा (MGNREGA) के तहत श्रमिकों को अभी जो मजदूरी दी जा रही है,  वे प्रकार से है– 

क्र. सं.     राज्य  मजदूरी
1 राजस्थान 266 रुपए
2 हरियाणा  374 रुपए
3 पंजाब 322 रुपए
4 मध्य प्रदेश 243 रुपए
5 बिहार 245 रुपए
6 उत्तर प्रदेश 237 रुपए
7 उत्तराखंड 237 रुपए
8 महाराष्ट्र 297 रुपए
9 झारखंड 245 रुपए
10 कर्नाटक 349 रुपए
11 केरल 346 रुपए
12 आंध्र प्रदेश 300 रुपए
13 छत्तीसगढ़ 221 रुपए
14 गुजरात 280 रुपए
15 हिमाचल प्रदेश 300 रुपए
16 अरुणाचल प्रदेश 224 रुपए
17 पश्चिम बंगाल 250 रुपए
18 तमिलनाडु 319 रुपए
19 तेलंगाना 300 रुपए
20 त्रिपुरा 242 रुपए
21 असम 249 रुपए
22 गोवा 356 रुपए
23 ओडिशा 254 रुपए
24 जम्मू और कश्मीर 259 रुपए
25 लद्दाख 259 रुपए
26 मणिपुर 272 रुपए
27 मेघालय 259 रुपए
28 नागालैंड 234 रुपए
29 मिजोरम 266 रुपए
30 सिक्किम 249 रुपए
31 लक्षद्वीप 315 रुपए
32 पुदुचेरी 319 रुपए
33 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 324 रुपए
34 अंडमान 329 रुपए
35 निकोबार 347 रुपए 

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