प्रकाशित - 08 Apr 2024
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
बैमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, सूखे व भीषण गर्मी सहित अन्य प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलों को हर साल नुकसान होता है। ऐसे में किसान एक सुरक्षित खेती की तकनीक का इस्तेमाल करके हर मौसम में हर तरह की सब्जी की खेती कर सकते हैं और अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। खास बात यह कि मौसम का इस तकनीक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए इस तकनीक से खेती करना काफी सुरक्षित है। किसान इस तकनीक से फल-फूल और सब्जियों की खेती करके बेहतर पैदावार के साथ ही अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
यह तकनीक पॉली हाउस तकनीक (poly house technology) पर आधारित है। पॉलीहाउस तकनीक महंगी होने के कारण किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पॉली हाउस की नई-नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं। इन्हीं तकनीकों में से एक तकनीक छत विस्थापित पॉली हाउस तकनीक है जिसका विकास बिरसा कृषि विश्वविद्याल रॉची के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। अभी जो पॉली हाउस तकनीक है उसके तहत साल भर खेती करने में किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेषकर गर्मी के मौसम में। लेकिन अब जो यह छत विस्थापित पॉली हाउस की तकनीक (Technology of roof displaced poly house) विकसित की गई है, इससे किसान साल भर बिना किसी परेशानी के फल-फूल व सब्जियों का बेहतर उत्पादन ले सकेंगे। इस तकनीक की खास बात यह है कि इसमें किसान पाली हाउस की छत को बदल सकते हैं। इससे हर मौसम में बेहतर क्वालिटी का उत्पादन लिया जा सकता है।
बीएयू द्वारा विकसित छत विस्थापित पॉली हाउस का निर्माण बांस और आवरण सामग्री से किया जा सकता है। बीएयू द्वारा विकसित छत विस्थापित पॉली हाउस में किसान मौसम के अनुसार इसकी छत पर लगी फिल्म को बदल सकते हें। इस पॉली हाउस में छत को छोड़कर पूरा स्ट्रक्चर यूवी स्टेबलाइज कीडा रोधी सामग्री से ढका रहता है। गर्मी के मौसम में यूवी स्टेबलाइज्ड फिल्म (200 माइक्रोन) से तथा सर्दी के मौसम में शेड नेट सामग्री (हरी, 35-50 प्रतिशत) से कवर रहता है। यह विकसित स्ट्रक्चर नवंबर से फरवरी तक पॉली हाउस, जून से अक्टूबर तक रेन शेल्टर और मार्च से मई तक शेड नेट के रूप में काम करता है। यह मिट्टी एवं वायु के तापमान और प्रकाश की तीव्रता को घटाकर पॉली हाउस को साल भर खेती के लिए उपयुक्त बनाता है। इससे सब्जी उत्पादों की लाभप्रदता बढ़ती है तथा कार्बन फुट प्रिंट घटता है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन प्रौद्यागिकी के प्रयोग से अब गुणवत्तायुक्त सब्जियों का साल भर लाभकारी और टिकाऊ उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। बता दें कि बीएयू में आईसीएआर के सहयोग से चल रही कृषि संरचनाओं और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. प्रमोद राय ने करीब एक दशक के अनुसंधान ओर प्रयोग के बाद इस प्रौद्योगिकी को विकसित किया है।
छत विस्थापित पॉली हाउस तकनीक (roof displacement polyhouse technology) पहले से मौजूद पाली हाउस और शेडनेट तकनीक से अधिक उपयोगी है। इसमें साल भर बिना किसी समस्या के खेती की जा सकती है। छत विस्थापित पॉली हाउस प्रौद्योगिकी का विकास करने वाले डॉ. प्रमोद राय के मुताबिक खेती वाली सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता आनुवंशिक सामग्री, फसल प्रबंधन और सूक्ष्म जलवायु प्रबंधन द्वारा प्रभावित होती है। मृदा और वायु तापक्रम, प्रकाश गहनता एवं गुणवत्ता, सापेक्षित आर्द्रता, कार्बन डाइऑक्साइड आदि सूक्ष्म जलवायु पैरामीटर का प्रबंध संरक्षित कृषि तकनीक से होता है। संरक्षित कृषि स्ट्रक्चर का चयन खेती की जाने वाली सब्जी की लाभ प्रदता, टीकाऊपन, स्थिर लागत, संचालन लागत और कार्बन फुटप्रिंट को प्रभावित करता है। मिट्टी और हवा के उच्च तापक्रम एवं प्रकाश की तीव्रता के कारण गर्मी के महीनों मार्च से मई के दौरान टमाटर और शिमला मिर्च की खेती में बहुत सी समस्याएं आती हैं। सनबर्न के कारण उत्पादित फल का 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित हो जाता है। गर्मी के महीनों में स्थाई ढांचे वाले शेड नेट में टमाटर और शिमला मिर्च की खेती करके समस्या को कम किया जा सकता है। इसलिए अस्थाई शेड नेट स्ट्रक्चर में जून से फरवरी के दौरान प्रकाश गहनता वंछित स्तर से कम रहती है। इसलिए अस्थाई शेड नेट स्ट्रक्चर मार्च से मई के दौरान इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। इसके प्रयोग से खुले खेत में खेती की तुलना में सब्जियों की विपणन योग्य गुणवत्ता कम से कम 50 प्रतिशत और उत्पादकता 30 से 40 प्रतिशत बढ़ जाती है। ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण गर्मी के मौसम में प्राकृतिक रूप से वेंटीलेटेड पॉली हाउस में मिट्टी और हवा का तापमान और प्रकाश की तीव्रता काफी उच्च होती है। प्राकृतिक वेंटिलेशन को साल भर खेती के अनुकूल बनाने के लिए इसे कम करना आवश्यक है। प्राकृतिक वेंटीलेटेड पॉली हाउस का प्रयोग साल में सामान्यत: 8 से 9 महीना ही हो पाता है जबकि इस छत विस्थापित पॉली हाउस तकनीक का इस्तेमाल किसान पूरे 12 महीने बिना किसी रूकावट के कर सकते हैं।
छत विस्तापित पॉलीहाउस में किसान सब प्रकार के फल-फूलों व सब्जियों की खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं। इस तकनीक में पॉली हाउस और शेड नेट दोनों तकनीक का समावेश किया गया है। ऐसे में किसान इस तकनीक के जरिये जो भी सब्जियां पॉली हाउस व शेड नेट तकनीक के माध्यम से उगाई जा सकती है, उसे छत विस्तापित पॉलीहाउस में आसानी से उगाया जा सकता है। ऐसे में यह तकनीक किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है।
पॉलीहाउस व नेटशेड हाउस के लिए कितनी मिलती है सब्सिडी (How much subsidy is available for polyhouse and netshed house)
पॉलीहाउस और शेड नेट तकनीक (Polyhouse and shade net technology) के लिए सरकार की ओर से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) दी जाती है। यदि बात करें बिहार की तो यहां किसानों पॉलीहाउस का निर्माण करने के लिए इसकी प्रति वर्ग मीटर की लगाने के लिए 935 रुपए और शेडनेट तकनीक के लिए 710 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से सब्सिडी (subsidy) दी जाती है।
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