प्रकाशित - 27 Feb 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
प्राचीन काल से ही ग्रामीण इलाकों में खेती के साथ ही बकरी पालन छोटे किसानों की आजिविका का साधन रहा है। आज ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी बकरी पालन व्यवसाय लाभ का सौंदा साबित हो रहा है। इस व्यवसाय की खास बात ये हैं कि इसे छोटे स्तर से भी शुरू किया जा सकता है। ये कम लागत में अधिक लाभ देने वाला बिजनेस है। खेती के साथ बकरी पालन का काम करके किसान अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। बकरी पालन के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी और लोन भी दिया जाता है। इसके साथ ही कई राज्य सरकारें पशुपालन विभाग के माध्यम से इसका प्रशिक्षण शिविर लगाकर बकरी पालन की जानकारी के साथ ही उन्नत किस्म के बकरे या बकरियां भी उपलब्ध कराती हैं। इसी क्रम में राजस्थान सरकार की ओर से राज्य के मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन कर रहे किसानों को राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सिरोही नस्ल के बकरे नि:शुल्क वितरित किए जा रहे हैं। राजस्थान के पशुपालक किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सिरोही नस्ल के बकरों के नि:शुल्क वितरण की जानकारी दे रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पशुपालकों की आय व पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत सिरोही नस्ल बकरी विकास परियोजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत बकरी पालकों को सिरोही नस्ल के बकरों का वितरण किया जा रहा है। इच्छुक बकरी पालक किसान इस परियोजना का लाभ उठा सकते हैं।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रवीण सेन के अनुसार राज्य में पशुपालन राष्ट्रीय पशुधन मिशन और सिरोही नस्ल बकरी विकास परियोजना के तहत बकरी पालकों को अब तक 124 सिरोही नस्ल के बकरों का नि:शुल्क वितरण किया जा चुका है। इस योजना के तहत पिछले दिनों चाकसू के मानपुरा-माचाड़ी गांव में नि:शुल्क बकरा वितरण शिविर लगाया गया जिसमें पशुपालकों को उच्च नस्ल के बकरों का नि:शुल्क वितरण किया गया।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सिरोही नस्ल बकरी विकास परियोजना का क्रियान्वयन राजस्थान के चयनित जिलों में किया जा रहा है। इस योजना के लिए जिन जिलों का चयन किया गया है, उनमें जयपुर, सीकर, सिरोही, अजमेर, चितौड़गढ़, चूरू, नागौर, प्रतापगढ़, राजसमंद जिलों को शामिल किया गया है।
सिरोही नस्ल के बकरे उत्तम नस्ले के होते हैं जिनसे बकरी पालन (goat farming) के क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। इस नस्ल की बकरे और बकरी में रोगप्रतिरोधक क्षमता और सूखा सहने की क्षमता अन्य नस्ल के बकरें-बकरियों से अधिक होती है। इस नस्ल की बकरियां अपने दूध और मांस के लिए प्रसिद्ध हैं। इस नस्ल की बकरी का आकार मध्यम और गठीला होता है। इस नस्ल की बकरी का शरीर हल्का और गहरा भूरा होता है जिस पर काले और सफेद धब्बे होते हैं। इस नस्ल की बकरी एक साल में चार बच्चे को जन्म देती है। इसके प्रत्येक बच्चे का वजन 2 किलोग्राम होता है। इसके अलावा इस बकरी की दूध देने की क्षमता भी अच्छी होती है। ये प्रतिदिन एक से दो लीटर दूध देती है। ऐसे में पशुपालक इस नस्ल की बकरी का पालन करके काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
जैसा कि पशुपालन विभाग की ओर से सिरोही नस्ल बकरी विकास परियोजना के तहत नि:शुल्क बकरे प्रदान किए जा रहे हैं। इसका लाभ उठाने के लिए आप अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करके इस योजना के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं।
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