प्रकाशित - 27 Jan 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
देश के कई राज्यों में मौसम की मार से रबी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसमें बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, पाला पड़ने से रबी की खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से फसलों की गिरदावरी यानि सर्वे करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने किसानों को रबी फसलों में विशेषकर सरसो की खड़ी फसल में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए गिरदावरी कराने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार किसानों की रबी फसल पर मौसम की मार को देखते हुए सर्वे करवा कर उनके नुकसान की भरपाई करेगी। राज्य सरकार के इस फैसले से राज्य के लाखों किसानों को लाभ होगा।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में हरियाणा सरकार की ओेर से मौसम से हुए फसल नुकसान पर दिए जाने वाले मुआवजे के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से राज्य में रबी की फसलों में प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई किसानों को मुआवजा देकर की जाएगी। इस मौसम में सर्दी अधिक पड़ी है, जिसके कारण सरसों की फसल काफी प्रभावित हुई है। सरसों की फसल में हुए इस नुकसान का आंकलन करने के लिए राज्य में 5 फरवरी से नियमित गिरदावरी कार्य शुरू किया जाएगा और जहां-जहां नुकसान हुआ है, किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में रबी सीजन की विभिन्न फसलों को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जाएगी। इसके लिए 5 फरवरी से रबी की सभी मुख्य फसलों की गिरदावरी का काम शुरू किया जाएगा। प्रदेश सरकार की नीति के तहत किसानों को फसलों के अनुसार 12 हजार रुपए से लेकर 15 हजार रुपए प्रति एकड़ तक मुआवजा दिया जायेगा।
राज्य के जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी रबी फसलों का बीमा कराया है। वे किसान फसल नुकसान की सूचना नीचे दी गई जगहों पर दे सकते हैं-
विपरित मौसम के कारण जिन किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है, वे किसान इसकी सूचना संबंधित बीमा कंपनी या विभाग को देंगे। सूचना में आपको जिन बातों की जानकारी देनी होंगी, वे इस प्रकार से हैं-
हरियाणा में अलग-अलग जिलों में अलग-अलग बीमा कंपनियों को फसल बीमा के लिए अधिकृत किया गया है। इसलिए आपको बीमा कंपनी और उसके टोल फ्री नंबर की जानकारी होना जरूरी है ताकि आप अपने जिले की बीमा कंपनी को नुकसान की सूचना दें सकें। अलग-अलग जिलों में अलग-अलग बीमा कंपनियों ने फसल बीमा किया है जिनके नाम और टोल फ्री नंबर इस प्रकार से हैं-
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