प्रकाशित - 04 Aug 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मानसून की बारिश की असामान्य स्थिति के कारण देश के कई राज्यों में सामान्य से भी कम बारिश हुई है। इससे यहां के किसानों को नुकसान हो रहा है। ऐसे में कई किसान अभी तक धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुवाई तक नहीं कर पाएं है। झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि ऐसे राज्य हैं, जहां इस मानसून सीजन में औसत से भी कम बारिश दर्ज की गई है। ऐसे में प्रदेश में सूखे के हालात को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने जिले के सभी कलेक्टरों को सूखा की मार झेल रहे जिलों की सूची तैयार कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं ताकि किसानों को राहत पहुंचाई जा सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छत्तीसगढ़ के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर प्रदेश में मानसून 2022 में कम वर्षा, खंड वर्षा के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। राजस्व मंत्री ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश के कई जिलों में मानसून 2022 में कम वर्षा अथवा खंड वर्षा होने के कारण कई तहसीलों में सूखा की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना बन रही है। सभी कलेक्टरों को भेजे गए इस पत्र में मंत्री जयसिंह ने लिखा है कि जिन क्षेत्रों में आंकलन के आधार पर कम वर्षा एवं खंड वर्षा से फसल प्रभावित हो रही है उसकी सूचना तत्काल दी जाए। राजस्व मंत्री ने कलेक्टरों को यह भी निर्देशित किया है कि राहत मैनुअल के अनुसार यथोचित कार्यवाही कर प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टरों को औसत से कम बारिश वाली तहसीलों का राहत मैन्युअल 2022 के प्रावधान के अनुसार फसलों का राजस्व, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के माध्यम से नजरी आकलन कराने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि औसत से कम बारिश वाली 28 तहसीलों में राहत कार्य शुरू कराने के लिए तत्काल कार्य योजना भी तैयार की जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य के 9 जिलों की 28 तहसीलों में एक अगस्त 2022 की स्थिति में 60 प्रतिशत से कम औसत वर्षा हुई है। इनमें 8 तहसीलें ऐसी हैं जहां 40 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है। ऐसी तहसीलों में फसलों का नजरी आकलन कराकर सूखा घोषित करने हेतु नियमानुसार शासन को एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं।
इस वर्ष राज्य में मानसून के कमजोर पडऩे बारिश कम हुई। इससे राज्य सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर में कम बारिश कारण खरीफ की बुवाई एवं फसलों की स्थिति प्रभावित हुई है। सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरगुजा जिले की अम्बिकापुर, मैनपाट एवं सीतापुर, सूरजपुर जिले की लटोरी, बलरामपुर जिले की बलरामपुर, कुसमी एवं वाड्रफनगर, जशपुर जिले की दुलदुला, जशपुर, पत्थलगांव, सन्ना, कुनकुरी एवं कांसाबेल, रायपुर जिले की रायपुर एवं आरंग, कोरिया जिले की सोनहत, कोरबा जिले के दर्री, बेमेतरा जिले की बेरला तथा सुकमा जिले की गादीरास एवं कोंटा तहसील में 60 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। वहीं सरगुजा जिले की लुंड्रा, दरिमा, एवं बतौली, सूरजपुर जिले की प्रतापपुर एवं बिहारपुर तथा बलरामपुर जिले की शंकरगढ़, रामानुजगंज एवं राजपुर तहसीलों में मानसूनी दौर में एक अगस्त की स्थिति में 40 प्रतिशत से कम बारिश दर्ज की गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ सीजन में यहां के किसान प्रमख रूप से धान, तिलहन फसल मूंगफली और दलहन फसल चना की खेती करते हैं। इसके अलावा यहां खरीफ की अन्य फसलों का उत्पादन किया जाता है।
धान छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल है। प्रदेश में कुल कृषि योग्य भूमि के 67 प्रतिश हिस्से में धान की खेती की जाती है। राज्य के करीब 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर धान की खेती होती है। राज्य के दुर्ग, जांजगीर-चांपा, रायपुर, बिलासपुर, राजनान्दगांव, कोरबा, सरगुजा राज्य में धान का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 2, 160 किग्रा है।
कोदो - कुटकी मोटे अनाज की फसल है धान के बाद कोदो-कुटकी राज्य की दूसरी प्रमुख सर्वाधिक उत्पादित होने वाली फसल है। इसे गरीबों का अनाज कहा जाता है। सरगुजा मक्का का सर्वाधिक उत्पादक जिला है ।
यह एक प्रमुख दलहन फसल है। इस फसल को जुलाई-अगस्त में बोया जाता है । तथा मार्च-अप्रैल में काटा जाता है। इसे वर्षा के आरंभ में कपास एवं ज्वार के साथ बोया जाता है। इस फसल के साथ ज्वार और कपास की फसल बोई जाती है।
ज्वार खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है, लेकिन ज्वार का खरीफ क्षेत्र अधिक है। यह जून-जुलाई में बोई जाती है एवं सितंबर - अक्टूबर में काट ली जाती है।
यह फसल प्रदेश के सभी हिस्सों में बहुत छोटे पैमाने पर उगाई जाती है। अक्सर किसान अपनी बाडिय़ों में इसकी फसल बोते हैं। प्रमुख रूप से राज्य के सरगुजा, बस्तर, दन्तेवाड़ा, कोरिया , जशपुर , कोरबा , बिलासपुर आदि जिलों में इसकी खेती की जाती है।
छत्तीसगढ़ में मूंगफली की खेती मुख्य रूप से रायगढ़, महासमुन्द, सरगुजा, बिलासपुर, जांजगीर -चांपा तथा रायपुर जिलों में की जाती है। मूंगफली का उपयोग तेल एवं भोज्य पदार्थ दोनों के लिए किया जाता है।
दहलन फसलों में प्रदेश में चने का मुख्य रूप से उत्पादन किया जाता है। इसकी खेती दुर्ग, कबीरधाम, बिलासपुर, राजनान्दगांव, रायपुर आदि जिलों में की जाती है।
चने की फसल के बाद ये राज्य की दूसरी दलहनी फसल है। इसकी सबसे ज्यादा खेती राज्य के रायगढ़, कोरबा, धमतरी एवं महासमुन्द जिलों में की जाती है। हालांकि कम मात्रा में करीब-करीब इसकी खेती यहां के सभी जिलों में की जाती है।
जूट व गन्ना : इसके अलावा राज्य में जूट और गन्ना का बहुत कम मात्रा में उत्पादन होता है।
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