प्रकाशित - 26 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
कृषि यंत्रों के उपयोग ने खेती में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। कृषि यंत्रों की बदौलत ही आज भारत का किसान अपने खेतों में तीनों सीजन (रबी, खरीफ और जायद) में फसल उगा रहा है। अगर आज भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बना है तो इसके पीछे कृषि यंत्रों की भूमिका अहम रही है। केंद्र व राज्य सरकारें भी पिछले कुछ सालों के दौरान देश के किसानों को 15 लाख से ज्यादा कृषि उपकरण सब्सिडी पर उपलब्ध करा चुकी है। इन कृषि यंत्रों में ट्रैक्टर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, कंबाइन हार्वेस्टर, पैडी राइस ट्रांसप्लांटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल सहित सैकड़ों मशीनें शामिल है। केंद्र सरकार कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत किसानों की जरुरत को पूरा कर रही है। स्माम योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्रों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। आइए, इस पोस्ट के माध्यम से जानें कि कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ कैसे मिलेगा।
खेती में कृषि मशीनीकरण और फसल उत्पादकता के बीच सीधा संबंध है। खेती में कृषि उपकरणों के उपयोग से कम समय में अधिक काम करके ज्यादा उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। कृषि मशीनीकरण के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2014-15 में "कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन" (एसएमएएम) योजना शुरू की। अब योजना को शुरु हुए करीब 10 साल हो चुके हैं। इस समयावधि के दौरान के 15.75 लाख कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी गई है।
कृषि मंत्रालय ने फरवरी 2024 में संसद में पेश एक रिपोर्ट में बताया कि कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन के तहत किसानों को सब्सिडी पर 15 लाख 75 हजार 719 मशीनों की आपूर्ति की गई। वहीं देशभर में 44 हजार 598 सीएचसी/हाईटेक हब/फार्म मशीनरी बैंक खोले गए हैं। सबसे ज्यादा सीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर ) आंधप्रदेश में 10598 खोले गए हैं और वहां के किसानों को 2 लाख 51 हजार 514 मशीनों की आपूर्ति की गई। किसानों को सब्सिडी पर दी जाने वाली मशीनों में प्रमुख रूप से ट्रैक्टर, पावर टिलर, कंबाइन हार्वेस्टर, पैडी राइस ट्रांसप्लांटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल और रोटावेटर, स्व-चालित मशीनरी, ट्रैक्टर/पावर टिलर चालित उपकरण, कृषि ड्रोन और पौध संरक्षण उपकरण जैसी मशीनें शामिल होती है।
कृषि उत्पादन बढ़ाने में कृषि यंत्रीकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि यंत्रीकरण से उत्पादन और उत्पादकता दोनों में वृद्धि होती है और कम समय में अधिक कार्यकुशलता से कृषि कार्य पूरे किए जा सकते हैं। कृषि यंत्रीकरण से कृषि उत्पादकता में 12-34 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। बीज सह खाद ड्रिल से 20 प्रतिशत बीज की तथा 15-20 प्रतिशत खाद की बचत होती है। फसल सघनता को 05-12 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है और किसानों की कुल आमदनी भी 30-50 प्रतिशत तक बढ़ायी जा सकती है। इसके अलावा समय की बचत (20-30 प्रतिशत), खरपतवार में कमी (20-40 प्रतिशत), श्रम में कमी (20-30 प्रतिशत), अंकुरण दर में सुधार (7-25 प्रतिशत), फसल गहनता में वृद्धि (5-20 प्रतिशत), और फसल उपज में वृद्धि (13-23) प्रतिशत) होती है।
केंद्र सरकार पराली प्रबंधन में काम आने वाली मशीनों पर भी सब्सिडी देती है। किसान सरकार की योजना का लाभ उठाकर ऐसे कृषि उपकरणों को खरीद सकते हैं जो पराली निस्तारण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करती है। इन कृषि यंत्रों में हैप्पी सीडर (Happy Seeder), मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, रोटावेटर, सुपर सीडर (Super Seeder), सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रा बेलर आदि कृषि मशीनें शामिल है। इन कृषि मशीनों की कीमत सामान्य किसान की पहुंच से बाहर है लेकिन सरकार की सब्सिडी योजना ने इन मशीनों तक किसानों की पहुंच को आसान बना दिया है। पराली प्रबंधन में उपयोगी मशीनों पर सब्सिडी देने के लिए इस उपमिशन के तहत एक अलग योजना बनाई गई है।
इस योजना के तहत 2018-19 से अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 2 लाख 95 हजार 845 मशीनें दी गई हैं। सबसे ज्यादा मशीनें पंजाब के किसानों को दी गई है जिसकी संख्या 1 लाख 37 हजार 407 है। दूसरे नंबर पर हरियाणा है जहां पर 89 हजार 770 मशीनें किसानों को उपलब्ध कराई गई है। तीसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश है जहां पर किसानों के लिए 68 हजार 421 मशीनों पर सब्सिडी दी गई है। वहीं चौथे पर नंबर पर दिल्ली है जहां सब्सिडी पर 247 मशीनें दी गई हैं।
अगर आप भी स्माम योजना के तहत सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीदना चाहते हैं तो आपको इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। सरकार की ओर से समय-समय पर ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। किसानों को सबसे पहले SMAM योजना की ऑफिसियल वेबसाइट https://agrimachinery.nic.in/ पर जाना होगा। यहां आप अपने राज्य के अनुसार सब्सिडी योजना पर आवेदन कर सकते हैं। यहां आपको बता दें कि खेती के लिए आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने के लिए सरकार की ओर से 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
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