2024 में गन्ने की बुवाई के लिए टॉप 5 किस्में और बिजाई की नई विधि

Share Product प्रकाशित - 28 Feb 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

2024 में गन्ने की बुवाई के लिए टॉप 5 किस्में और बिजाई की नई विधि

2024 में गन्ने की खेती के लिए टॉप 5 किस्में, जानें कौनसी किस्म देती है अधिक पैदावार

कई कारणों से किसानों के बीच गन्ने की खेती का रुझान बढ़ रहा है। गन्ना किसानों को भुगतान में नियमितता, गन्ने की कीमत में वृद्धि और इथेनॉल बनाने में गन्ने का इस्तेमाल जैसे कई कारण है जो गन्ने की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। गन्ना एक ऐसी फसल है जो तेज बारिश, सूखा सहित सभी प्रकार की मौसमी परिस्थितियों में भी बेहतर पैदावार देती है। इस समय बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का काम शुरू हो गया है। देश में हर साल फरवरी से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह से गन्ना उत्पादक राज्यों के किसान गन्ने की बिजाई करते हैं। वहीं, कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ना किसानों के लिए कई ऐसी किस्में विकसित की है जो किसानों को ज्यादा पैदावार देने में सक्षम है। यहां हम आपको गन्ने की खेती में बिजाई के लिए टॉप 5 किस्मों और बिजाई की एक नई विधि की जानकारी दे रहे हैं तो बने रहें हमारे साथ।

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2024 में गन्ने की टॉप 5 नस्ल (Top 5 varieties of sugarcane 2024)

गन्ने की खेती में किसानों को हमेशा ऐसी किस्म का चुनाव करना चाहिए जो अधिक पैदावार देती हो और उनमें रोग कम से कम लगते हो। यहां आपको ऐसी ही टॉप 5 गन्ने की किस्मों की जानकारी दी जा रही है जो इस प्रकार है

  •  COLK-15201 गन्ना किस्म
  • CO-15023 गन्ना किस्म
  • COPB-95 गन्ना किस्म
  • CO–11015 गन्ना किस्म
  • COLK–14201 गन्ना किस्म

1. COLK-15201 गन्ना किस्म

गन्ने की इस किस्म को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ (उत्तरप्रदेश) के वैज्ञानिकों ने साल 2023 में विकसित किया है। यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है और इसकी किसी भी क्षेत्र में बिजाई की जा सकती है। COLK-15201 गन्ना किस्म की बिजाई उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में नवंबर से मार्च महीने के दौरान की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म 500 क्विंटल प्रति एकड़ तक आसानी से पैदावार देने में सक्षम है। इस किस्म को इक्षु-11 के नाम से भी जाना जाता है। COLK-15201 की लंबाई काफी अधिक होती है और इसमें कल्लों का फुटाव भी अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक है। इसमें शर्करा की मात्रा 17.46 प्रतिशत है जो अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक है। जिससे यह किस्म अधिक पैदावार देती है। यह नई किस्म पोका बोईंग, रेड रॉड और टॉप बोरर जैसे रोगों के प्रति सहनशील है।

2. CO-15023 गन्ना किस्म

यह गन्ने की एक ऐसी किस्म है जो कम समय यानी 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है। गन्ने की इस किस्म की बिजाई अक्टूबर से मार्च तक की जा सकती है। गन्ने की लेट बिजाई में यह किस्म सबसे अधिक उपयुक्त है। इसकी बिजाई हल्की यानी रेतीली भूमि में भी कर सकते हैं। गन्ना किस्म CO-15023 को गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र करनाल (हरियाणा) ने तैयार किया है। इसको CO-0241 और CO-08347 किस्म को मिलाकर तैयार किया गया है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी प्रजातियों की तुलना में ज्यादा है। गन्ना की यह किस्म अच्छी पैदावार के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी औसत पैदावार 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ है।

3. COPB-95 गन्ना किस्म

गन्ने की इस किस्म को अधिक उपज देने के लिए जाना जाता है। COPB-95 गन्ना किस्म प्रति एकड़ 425 क्विंटल की औसत उपज देने में सक्षम है। गन्ने की इस किस्म को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है। यह किस्म लाल सड़न रोग व चोटी बेधेक रोग के प्रति सहनशील है। यह किस्म खेती की लागत को कम करके किसानों के लाभ में वृद्धि करती है। इसके एक गन्ने का वजन 4 किलोग्राम तक हो सकता है। इस किस्म के गन्ने का आकार मोटा होने के कारण इसका प्रति एकड़ 40 क्विंटल बीज लगता है।

4. CO–11015 गन्ना किस्म

गन्ने की यह किस्म विशेष रूप से तमिलनाडू के लिए बनी है लेकिन इसकी बुवाई अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में भी की जा सकती है। इस किस्म की बिजाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर माह है लेकिन अक्टूबर से मार्च तक भी इसकी बिजाई की जा सकती है। यह गन्ने की एक अर्ली किस्म है और इसमें किसी प्रकार का कोई रोग नहीं लगता है। इसकी एक आंख से 15 से 16 गन्ने आसानी से निकल सकते हैं। इसके एक गन्ने का वजन 2.5 से 3 किलो तक रहता है। CO–11015 गन्ना किस्म की औसम 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है। इसके गन्ने में शर्करा की मात्रा 20 प्रतिशत तक होती है। किसान इस किस्म से कम खर्च में अधिक उत्पादन ले सकता है।

5. COLK–14201 गन्ना किस्म

गन्ना किस्म COLK–14201 को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। गन्ने की यह किस्म एक रोग रहित किस्म है, इसमें किसी प्रकार का रोग नहीं लगता है। इसकी बिजाई अक्टूबर से मार्च महीने तक की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील होती है। इस किस्म में गन्ना नीचे से मोटा होता है। इसकी पोरी छोटी होती है तथा इस किस्म की लंबाई अन्य किस्मों की तुलना में कम होती है। गन्ने का वजन 2 से 2.5 किलो तक होता है। 17 प्रतिशत शर्करा देने वाली यह किस्म एक एकड़ में 400 से 420 क्विंटल तक पैदावार देती है।

गन्ना बिजाई की नई विधि : वर्टिकल विधि से बिजाई के फायदे

समय-समय पर गन्ने की बिजाई विधि में परिवर्तन देखने को मिलता है। गन्ना किसान रिंग पिट विधि, ट्रैच विधि और नर्सरी से पौधे लाकर गन्ने की बिजाई करते हैं। हर गन्ना बिजाई विधि के अलग-अलग फायदे हैं। पिछले कुछ समय से गन्ने की बिजाई के लिए वर्टिकल विधि लोकप्रिय हो रही है। यह नई विधि सबसे पहले उत्तरप्रदेश के किसानों ने अपनाई थी। गन्ने की खेती में इस विधि के उपयोग से बीज कम लगता है और उपज अधिक मिलती है। अब किसान इसि विधि का अधिक उपयोग कर रहे हैं। वर्टिकल विधि के फायदे इस प्रकार है

  • वर्टिकल विधि से बिजाई करना काफी आसान है। इसमें बराबर मात्रा और उचित दूरी पर पोरी लगाई जाती है और जमाव भी बराबर रहता है। मजदूरों की कम आवश्यकता पड़ती है।
  • इस विधि में कल्लों का फुटाव काफी अधिक होता है। 8 से 10 कल्ले आसानी से निकलते हैं। 4 से 5 क्विंटल बीज प्रति एकड़ तक लगता है। बीज पर खर्च कम होता है।
  • इसमें एक आंख की कांची को काटकर सीधा लगाना होता है। इस विधि से बिजाई करने पर गन्ने का जमाव जल्दी होता है।
  • वर्टिकल विधि में पैदावार ज्यादा मिलती है। इसमें एक समान कल्ले फूटते हैं और कल्लों में गन्ने भी बराबर मात्रा में निकलते हैं। इस विधि में 500 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

जानिए क्या है गन्ने की वर्टिकल विधि

गन्ना बिजाई की वर्टिकल विधि में लाइन से लाइन की दूरी 4 से 5 फीट तथा गन्ने से गन्ने की दूरी करीब 2 फीट रखी जाती है। इस विधि में एक एकड़ जमीन पर 5 हजार आंखे लगती है।

किसानों को सलाह : समय-समय पर बदलते रहें प्रजाति

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार किसानों को गन्ना की एक ही प्रजाति पर हमेशा निर्भर नहीं रहना चाहिए। समय-समय पर प्रजाति में बदलाव करना चाहिए। अगर किसान लंबे समय तक एक ही प्रजाति की बिजाई करते हैं तो उसमें कई प्रकार के रोग लग जाते हैं और पैदावार में नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए किसानों को अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना चाहिए। वहीं किसानों को सलाह दी जाती है कि अपने क्षेत्र की जलवायु व खेत की मिट्‌टी के अनुसार स्थानीय कृषि अधिकारियों की सलाह के अनुसार ही गन्ने की खेती करें।

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