प्रकाशित - 30 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
देश के कई राज्यों में ग्रीष्मकालीन उड़द की खेती (urad cultivation) की जाती है। रबी की फसल गेहूं के बाद किसान खाली खेत में मूंग व उड़द की खेती करके अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। यह दोनों ही दलहन फसलें लाभ देने वाली हैं, क्योंकि इनकी मांग बाजार में बनी रहती है और भाव भी ठीक-ठाक अच्छे मिल जाते हैं। ऐसे में किसानों के लिए मूंग और उड़द की खेती लाभ का सौदा साबित हो सकती है। यदि आपके पास सिंचाई की सुविधा है और आप उड़द की खेती करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए उड़द की उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए जिससे कि उड़द का बेहतर उत्पादन मिल सके।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको उड़द की टॉप 10 किस्मों (Top 10 varieties of urad) की जानकारी दे रहे हैं जो अलग-अलग राज्यों में उगाई जाती है।
उड़द की पीडीयू 1 (बसंत बहार) किस्म आईसीएआर-भारतीय दहलन अनुसंधान संस्थान, कानपुर ने विकसित की है। यह किस्म विकसित और एनडब्ल्यूपीजेड और सीजेड क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से करीब 9 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
उड़द की आईपीयू 94-1 (उत्तरा) किस्म आईसीएआर- भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर द्वारा विकसित की गई है। यह एनईपीजेड क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी खेती से 12 से 14 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
उड़द की टी-9 (T-9) किस्म यूपी के सभी भागों में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है। इस किस्म से करीब 8 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म 70 से 75 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
उड़द की टीपीयू- 4 (TPU-4) किस्म 74 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म एक हैक्टेयर में 7 से 13 क्विंटल तक पैदावार देती है। इस किस्म को मध्यप्रदेश व गुजरात के लिए उपयुक्त बताया गया है।
उड़द की पी.यू.-31 किस्म मध्यम आकार के दानों वाली किस्म है। यह किस्म 70 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म राजस्थान के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस किस्म से करीब 10 से 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
उड़द की पंत यू-30 किस्म 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म के दाने काले मध्यम आकार के होते हैं। यह किस्म पीला मौजेक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 10 से 12 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म मध्यप्रदेश में अधिक उगाई जाती है।
उड़द की ईपीयू 94-1 (IPU-4) किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में उगाने के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 11 से 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
उड़द की एलबीजी 623 (LBG-623) किस्म 69 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 10-12 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म को आंध्र प्रदेश में उगाने के लिए उपयुक्त बताया गया है।
उड़द की आजाद उड़द- 2 (Azad udad-2) किस्म 70 से 75 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 9 से 10 प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त पाई गई है।
उड़द की जवाहर उड़द-2 किस्म का बीज मध्यम छोटा चमकीला काला होता है। इसके तने पर ही फलियां पास-पास गुच्छों में लगती हैं। इस किस्म से 10 से 11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म मध्यप्रदेश के लिए उपयुक्त है।
नोट : उपरोक्त किस्मों के अलावा भी उड़द की कई ऐसी किस्में है जो बेहतर उत्पादन देती हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र के अनुसार अनुशंसित की गई उड़द की किस्म का ही चयन करें, अपने क्षेत्र के अनुसार अनुशंसित की गई किस्मों की जानकारी आप अपने निकट के कृषि विभाग से ले सकते हैं।