प्रकाशित - 23 Dec 2023
इस समय रबी सीजन की बुवाई अंतिम दौर में चल रही है। रबी की फसलों में गेहूं के बाद चने का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। चने के बाजार में रेट भी अच्छे मिल जाते हैं। ऐसे में चने की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है। इसमें काले चने की खेती (Black gram cultivation) से किसानों को काफी बेहतर लाभ प्राप्त हो सकता है। काला चना स्वास्थ्यप्रद गुणों से भरपूर होता है, इसलिए इसकी डिमांड बाजार में काफी रहती है। खास बात यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने लंबे शोध के बाद काले चने की इन दो किस्मों को मंजूरी दी है। बता दें कि काले चने का भाव, सादा चने के अपेक्षा बाजार में अधिक मिलते हैं। ऐसे में काले चने की खेती से किसान अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको काले चने की दो टॉप किस्मों के बारे में जानकारी देने के साथ ही काले चने की अधिक पैदावार देने वाली अन्य किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं काले चने की बेहतर किस्मों के बारे में।
कोटा देसी चना 2 की किस्म मध्यम लंबे आकार की किस्म है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 18.77 प्रतिशत पाई गई है। इसके बीज भूरे रंग के होते हैं। इसकी उपज क्षमता की बात करें तो कोटा देसी चना 2 की पैदावार पूसा चना 4005 की औसत उपज 16-17 प्रतिशत अधिक है। इस किस्म को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की जलवायु के लिए तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि यह किस्म मौजूदा चने की किस्मों की तुलना में उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली है।
काले चने की दूसरी किस्म कोटा देसी चना 3 में प्रोटीन की मात्रा 20.25 प्रतिशत पाई गई है। यह किस्म यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त बताई जा रही है। इसकी पैदावार की बात करें तो इससे औसत उपज 15.57 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म असम, झारखंड और बिहार जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए उपयुक्त है।
बता दें कि आईसीएआर की मंजूरी के बाद, इन किस्मों का जल्द प्रारंभिक प्रदर्शन शुरू होगा। किसानों के बीच वितरण करने के लिए बीज तैयार किए जाएंगे। अभी इस दिशा में काम किया जा रहा है।
उपरोक्त किस्मों के अलावा चने की कई बेहतर किस्में हैं जो अच्छा उत्पादन देती हैं। काले चने की कुछ बेहतर किस्में इस प्रकार से हैं
काले चने की टी-9 किस्म जल्दी पकने वाली किस्म है। यह किस्म करीब 65 से 70 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म झाड़ीदार होने के साथ ही मध्यम आकार के बीज देने वाली किस्म है। यह उच्च उपज क्षमता देने वाली किस्म है। खास बात यह है कि यह किस्म विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है।
काले चने की एडीटी 3 किस्म के दाने मोटे और चमकदार होते हैं। इसे तैयार होने में करीब 70 से 75 दिन का समय लगता है। यह किस्म उच्च उपज क्षमता के साथ ही जलभराव की स्थिति के प्रति सहनशील किस्म मानी जाती है। इस किस्म के चने की खेती दक्षिण राज्यों में काफी होती है।
काले चने की यह किस्म मध्यम आकार के मोटे बीज वाली किस्म है। यह किस्म शुष्क और बारिश आधारित परिस्थितियों में भी उच्च उपज देती है। यह किस्म फफूंदी और पीला मोजेक रोग के प्रति प्रतिरोधी है। इस किस्म को तैयार होने में करीब 80 से 85 दिन का समय लगता है।
काले चने की यह लोकप्रिय किस्म है जिसे बरसात और बरसात के बाद दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। इस किस्म को तैयार होने में 75 से 80 दिन का समय लगता है। इस किस्म की खास बात यह है कि इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इस किस्म के दाने मध्यम आकार के होते हैं। यह कीटों और रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म है।
यह काले चने (उड़द) की उच्च उपज देने वाली किस्म है। इसे विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। यह झाड़ीदार किस्म है जिसे पकने में करीब 70-75 दिन का समय लगता है। इसके बीज काले रंग के होते हैं और यह किस्म उड़द दाल के लिए काफी अच्छी है।
काले चने की यह किस्म महाराष्ट्र के राहुरी स्थित महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की है। यह किस्म मध्यप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा छत्तीसगढ़ की जलवायु के लिए अनुकूल मानी गई है। चने की इस किस्म को जलवायु व मिट़्टी की किस्म के अनुसार एक या दो सिंचाई की आवश्यकता होती है। यह किस्म 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी एक एकड़ में करीब 10 से 12 क्विंटल पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
वर्तमान बाजार दरों के अनुसार काला चना का औसत भाव 8731.19 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम बाजार कीमत 4242 रुपए प्रति क्विंटल है और सबसे उच्च बाजार की भाव 14,000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
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