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जूट की एमएसपी 300 रुपए बढ़ाई, 40 लाख किसानों को होगा लाभ

प्रकाशित - 27 Mar 2023

जानें, जूट की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को कितना होगा लाभ

देश के किसानों को उनकी फसल की उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक साल रबी सीजन एवं खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती हैं। इसी कड़ी में जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र की मोदी सरकार ने जूट की कीमतों में बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश में कच्चे जूट की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। सरकार के इस निर्णय से विपणन वर्ष 2023-24 के सीजन के लिए जूट का एमएसपी 5,050 रुपये प्रति क्विंटल का हो गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले से देश में जूट की खेती करने वाले 40 लाख से अधिक किसानों को फायदा होगा। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक हुई जिसमें 2023-24 सीजन के लिए कच्चे जूट का एमएसपी बढ़ाने को लेकर समिति ने मंजूरी दी। यह मंजूरी कृषि क्षेत्र में लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price of Jute) से जुड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।

कच्चे जूट की एमएसपी में 300 रुपये की बढ़ोतरी हुई

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष रबी सीजन एवं खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती हैं। सरकार ने विपणन वर्ष 2023-24 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3, पहले के टीडी-5 ग्रेड के बराबर) का एमएसपी पिछले साल की तुलना में 300 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए 5050 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। साथ ही जूट का यह उत्पादन की ऑल इंडिया वेटेज एवरेज कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन पर 63.20 प्रतिशत की अतिरिक्त आय सुनिश्चित करेगा। विपणन वर्ष 2023-24 के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी, उत्पादन की अखिल भारतीय की औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना अधिक के स्तर पर एमएसपी तय करने के नियम के अनुरूप है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में घोषित किया गया था।

भारत में जूट की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में जूट की खेती (Jute Cultivation) मुख्य रूप से देश के पूर्वी राज्यों तक ही सीमित है। भारत में जूट की खेती मुख्य रूप से 7 राज्यों- पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा ,उड़ीसा, बिहार, असम, उत्तर प्रदेश और मेघालय के लगभग 83 से अधिक जिलों में की जाती है।

भारत में जूट का उत्पादन

भारत विश्व में सबसे अधिक जूट का उत्पादन करता है। अन्य देशों की तुलना में अकेले भारत में पूरे विश्व का 50 प्रतिशत उत्पादन करता है। भारत के पश्चिम बंगाल में कच्चे जूट उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की भागेदारी है। दुनिया के प्रमुख जूट उत्पादक देश में भारत, बांग्लादेश, चीन और थाईलैंड प्रमुख हैं। साथ ही भारत कच्चे जूट और जूट से बने सामान का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में क्रमशः 50 प्रतिशत और 40 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान देता है।

जूट के उपयोग

जूट एक लंबा, मुलायम व चमकदार पौधे का रेशा होता है इन रेशों का उपयोग करके मोटे और मजबूत धागे बनाए जाते हैं। जूट के रेशों को जूट के पौधों से प्राप्त किया जाता है। जिस स्थान पर 150 सेंटीमीटर या उससे अधिक की बारिश होती है वहां पर जूट का पौधा अच्छा विकास करता है। जूट के पौधों से प्राप्त रेशे से बोरे, झाडु, चटाई, पैंकिंग, घरों की सजावट के सामान,कालीन, दरियाँ, परदे, घरों की सजावट के सामान, अस्तर और रस्सियां भी बनती हैं। जूट के पौधे की डंठल से लुगदी भी प्राप्त होती है, जो कि कागज बनाने के काम आ सकती है।जूट का प्रयोग करके कुर्सियां बनाई जाती हैं।

जूट की खेती में लागत से न्यूनतम 50% लाभ का आश्वासन

सरकार द्वारा जूट की एमएसपी में की गई बढ़ोतरी के बाद जूट की खेती करने वाले किसानों को लाभ के रूप में न्यूनतम 50 प्रतिशत से अधिक फायदे का आश्वासन देता है। इस फैसले से जूट उत्पादक किसानों को बेहतर पारिश्रमिक सुनिश्चित करने और गुणवत्ता वाले जूट फाइबर के उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाये जा रहे विभिन्न महत्वपूर्ण और प्रगतिशील कदमों में से एक है। इसके साथ ही जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) किसानों को जूट का सही मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में काम करना जारी रखेगा और इस तरह के संचालन में होने वाली हानि, यदि कोई हो, तो केंद्र सरकार द्वारा इसकी पूर्ण भरपाई की जाएगी।

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