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घर में नीम से बनाएं जैविक कीटनाशक, होगी हजारों रुपए की बचत

प्रकाशित - 06 Jul 2022

जानें, नीम से जैविक कीटनाशक बनाने की विधि

आज खेती मेें रासायनिक उर्वरक और खाद का प्रयोग निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में रासायनिक खाद से पैदा हुए फल, सब्जी और अनाज के सेवन से कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें रासायनिक खाद और उर्वरक का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता है। इसमें केवल प्राकृतिक रूप से तैयार खाद का उपयोग किया जाता है। इसे बनाने में भी खर्चा भी आता है और ये रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में काफी प्रभावकारी होते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको प्राकृतिक कीटनाशक जो नीम से तैयार होता है उसे बनाने की विधि बता रहे हैं ताकि आप इसे घर ही कम खर्च में इसे स्वयं तैयार करके इसका लाभ उठा सकें। 

1. नीम की पत्तियों से कीटनाशक कैसे बनाएं

नीम का कीटनाशक बनाने के लिए आपको इन चीजों की जरूरत होगी जो इस प्रकार से हैं।

नीम कीटनाशक बनाने के लिए सामग्री

नीम से कीटनाशक बनाने के लिए हमेें नीम की पत्ती, खली और इसके तेेल की जरूरत होगी। 

नीम से कीटनाशक बनाने की विधि

सबसे पहले नीम की पत्तियों को एकत्रित कर उन्हें छाया में सुखाएं। पत्तियों के पूर्ण रूप से सूख जाने पर उन्हें पर्याप्त पानी में रात भर डूबा कर रखें। इसके बाद नीम की पत्ती वाले पानी का छिडक़ाव पौधों पर कर दें। इस छिडक़ाव के बाद फसल पर कीट का प्रभाव नहीं होगा। इस पानी का उपयोग आप बैंगन के पौधौ पर भी किया जा सकता है। बैंगन मेें तना छेदक कीट से पौधों को नुकसान से बचाने के लिए इस नील के घोल का छिडक़ाव किया जा सकता है। इस तरह नीम की पत्ती के पानी और नीम के तेल का छिडक़ाव से कीटों का प्रकोप को कम किया जा सकता है।

2. नीम की खली से कैसे बनाएं कीटनाशक

नीम की खली से भी कीटनाशक तैयार किया जा सकता है। इसके लिए हमें जिस सामग्री की जरूरत होगी वे इस प्रकार से है-

सामग्री- 3 किलोग्राम कुटी हुई निबोली या 5 किलोग्राम निबोली की खली।

कीटनाशक बनाने की विधि

सबसे पहले 3 किलोग्राम कुटी हुई निबोली को करीब 15 से 16 लीटर पानी में तीन दिनों तक फूलने दें। इसके बाद चौथे दिन धतूरे का रस 100 ग्राम, हरी मिर्च 250 ग्राम को कूटकर इससे करीब 3 लीटर अर्क निकाल लें।

इस्तेमाल करने का तरीका

करीब 15 लीटर शुद्ध पानी में 1.5 लीटर अर्क को मिलाकर सुबह के समय इसका छिडक़ाव पौधों पर करना चाहिए। यह दवा पौधों और पत्ते पर लगने वाले कीटों, मच्छर और माहू आदि से बचाव के लिए काफी कारगर मानी जाती है। इस कीटनाशक के छिडक़ाव करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसका छिडक़ाव एक माह पुरानी फसल पर ही करें। 

3. गोमूत्र और नीम से बना कीटनाशक

गोमूत्र और नीम से बना कीटनाशक सबसे अच्छा कीटनाशक माना गया है। इसे बनाने के लिए जो सामग्री चाहिए वे इस प्रकार से है-

  • सामग्री- देसी गाय का मूत्र करीब 20 लीटर
  • 2.5 किलो नीम की निम्बोली या पत्तियों का चूरा
  • 2.5 किलो धतूरे के पत्तेें, 2.5 किलो अर्कमदार के पत्ते
  • कद्दू या सीताफल के पौधे के 2.5 किलो पत्तें
  • 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाउडर
  • 1 किलो के करीब लाल मिर्च का पाउडर 

कीटनाशक बनाने की विधि

  • देसी बैल या देशी गाय का मूत्र लगभग 20 लीटर किसी बर्तन में डालकर उसमें 2.5 किलो नीम की निम्बोली या पत्तियों को पीसकर मूत्र में मिलाएं।
  • इस मिश्रण में करीब 2.5 किलो धतूरे के पत्तों को पीसकर उसकी चटनी बनाकर उसमें मिला दें।
  • अब इस घोल में 2.5 किलो अर्कमदार के पत्ते की चटनी बनाकर उसी बर्तन में मिलाएं।
  • अब इसमेें कद्दू या सीताफल के पौधे के 2.5 किलो पत्तों की चटनी पीसकर मिलाएं।
  • इस मिश्रण में लगभग 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाउडर मिलाएं।
  • इसके साथ ही लाल मिर्च का पाउडर करीब 1 किलो मिश्रण में मिला दें।
  • इस प्रकार इन सभी पेड़ों कि पत्तियों को पीसकर तैयार मिश्रण में मिलाने के बाद इसे अच्छी तरह से उबाल लें। इसके बाद इसे ठंडा कर छानकर इसे बोतलों में भर लें। इस तरह आपका जैविक कीटनाशक तैयार हो जाएगा। 

कीटनाशक का इस्तेमाल कैसे करें

एक लीटर कीटनाशक में आपको करीब 20 लीटर पानी मिलाना है। इसी प्रकार यदि आपने कीटनाशक करीब 10 लीटर लिया है, तो आपको उसमें 200 लीटर पानी मिलाना होगा। पानी मिलाने के बाद तैयार मिश्रण को आप अपनी फसलों पर छिडक़ाव कर सकते हैं। इसके छिडक़ाव के बाद एक-दो दिन में ही इसका असर नजर आ जाएगा। आप देखेंगे कि फसलों पर कीटों का प्रकोप नहीं हो रहा है। कीट नष्ट हो गए हैं। 

नीम से प्राकृतिक कीटनाशक बनाने की विधि

सबसे पहले 10 लीटर पानी लें। इसमें पांच किलोग्राम नीम की हरी या सूखी पत्तियां और बारीक पीसी हुई नीम की निंबोली, दस किलोग्राम छाछ और दो किलोग्राम गोमूत्र, एक किलोग्राम पीसा हुआ लहसुन इन सबको मिश्रित कर लें। एक लकडी से इनको अच्छी तरह से मिलाएं। इसके बाद पांच दिनों तक किसी बडे बर्तन में रख दें। यह भी ध्यान रखें कि हर दिन पांच दिनों तक दिन में दो से तीन बार इस घोल को अच्छी तरह लकडी से मिलाते रहें। जब इसका रंग दूधिया हो जाए तो इस घोल में 200 मिलीग्राम साबुन और 80 मिलीग्राम टीपोल मिला लें। इस तरह आपका घर पर ही प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया कीटनाशक तैयार हो जाएगा। इसे अन्य कीटनाशकों की तरह से ही फसलों पर स्प्रे कर सकते हैं। 

जैविक कीटनाशक के प्रयोग से लाभ

  • जैविक कीटनाशक को बनाने में कम खर्चा आता है और जबकि रासायनिक कीटनाशक काफी महंगे होते हैं। 
  • जैविक कीटनाशक वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद से निर्मित किए जाते हैं जो कीटनाशक महीने में ही मिट्टी में मिलकर अपघटित हो जाते हैं, जिनका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता है। जबकि रासायनिक कीटनाशक मिट्टी के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं।  
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों एवं बीमारियों को मारते है, जबकि रासायनिक कीटनाशकों से मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं।
  • रासायनिक कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल करने से कीटों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती जा रही है, जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
  • खेतों में जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करनें से कीटों के जैविक स्वभाव में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  • जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने के बाद तुरंत ही फलों और सब्जियों आदि की कटाई कर प्रयोग में ला सकता है जबकि रासायनिक कीटनाशक युक्त फल और सब्जियों को अच्छी प्रकार से धोने के बाद प्रयोग में लिया जा सकता है। 
  • जैविक कीटनाशक पर्यावरण संतुलन बनाने में सहायक है। जबकि रासायनिक कीटनाशक भविष्य में पर्यावरण के लिए भी एक खतरा बन सकते हैं।  


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