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महोगनी की खेती से बढ़ेगी किसानों की इनकम

प्रकाशित - 26 Mar 2023

जानें, कैसे की जाती है महोगनी की खेती और इसकी बाजार में कितनी है डिमांड

हमारे देश के किसान पारंपरिक खेती करने के साथ ही प्राचीन समय से ही अन्य व्यापारिक फसलों व बागवानी की खेती करते आ रहे है। ऐसे में किसानों के लिए महोगनी की खेती एक बंपर मुनाफे वाली फसल साबित हो सकती है। महोगनी पेड़ की खेती करके सिर्फ 12 सालों में ही करोड़ रुपए की कमाई की जा सकती है। इस पेड़ की लकड़ी भूरे रंग की होती है व इसके पेड़ को अधिक पानी से नुकसान भी नहीं पहुंचता है। इस पेड़ की लकड़ी की खाल, लकड़ी और पत्तियां बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकती हैं। महोगनी के पेड़ के विकास के लिए उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी और सामान्य पीएच मान वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। महोगनी के पेड़ की लकड़ियां बहुत मजबूत होती है इसकी वजह से इस पेड़ की लकड़ियों का उपयोग जहाज, गहने, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट और मूर्तियां आदि बनाने में किया जाता है, जो जल्दी खराब नहीं होती हैं और सालों तक चलती है। जिससे इसकी खेती करके किसान भाई अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते है। 

किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ महोगनी की खेती (Mahogany Farming) से जुड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।

महोगनी पेड़ की लकड़ी के उपयोग

महोगनी के पेड़ को बहुत ही कीमती पेड़ के रूप में जाना जाता है, यह ऐसा पेड़ है जिसके सभी भागो को उपयोग में लाया जाता है। महोगनी के पेड़ का खासकर व्यापारिक उद्देश्य के लिए होता है, इस पेड़ की लकड़ियां अत्यधिक मजबूत और टिकाऊ होती है। इसलिए इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल जहाज़, कीमती, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट की वस्तुएं और मूर्तियों को बनाने में होता है। यह एक प्रकार का औषधीय पौधा भी है, इसलिए इसके बीजों और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में होता है। साथ ही इसके पेड़ की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है, जिससे महोगनी के पेड़ों के पास किसी भी तरह के मच्छर और कीट नहीं आते है। इस वजह से महोगनी की पत्तियों और बीज के तेल का इस्तेमाल मच्छर मारने वाली दवाइयों और कीट नाशक बनाने में किया जाता है। महोगनी के तेल का उपयोग कर साबुन, पेंट, वार्निस और कई तरह की दवाइयों को बनाया जाता है।

महोगनी की खेती लिए कैसी होनी चाहिए मिट्‌टी

महोगनी के पेड़ों को किसी भी उपजाऊ मिट्‌टी में इसकी खेती की जा सकती है, लेकिन अधिक जल भराव वाली खेत में इसके पेड़ को न लगाए और न ही पथरीली मिट्‌टी में लगाए। महोगनी की खेती करने के लिए मिट्‌टी का पीएच मान 5 से 8 के बीच का होना चाहिए।

महोगनी की खेती के लिए जलवायु व तापमान

महोगनी की खेती करने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है, अधिक वर्षा इसके पेड़ों के विकास के लिए उपयुक्त नहीं होती है। इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी जगह की जा सकती है। सामान्य मौसम में महोगनी के पेड़ों का अच्छे से विकास होता है इसके पौधों की रोपाई करने का उपयुक्त समय जून व जुलाई है। महोगनी के पौधों को अंकुरित और विकसित होने के लिए सर्दियों के मौसम में 15 डिग्री तापमान और गर्मियों के मौसम में 35 डिग्री की आवश्यकता होती है।

महोगनी की खेती के लिए उन्नत किस्में

भारत में महोगनी के पेड़ों की अभी तक कोई खास किस्म नहीं है, अभी तक केवल 5 विदेशी किस्मों की खेती भारत में की जाती है। इसमें क्यूबन, मैक्सिकन, न्यूज़ीलैंड, अफ्रीकन और होन्डूरन आदि किस्में शामिल हैं | महोगनी की यह सभी किस्में पौधे और उपज की गुणवत्ता के आधार पर उगाई जाती है, इन किस्मों के पौधे की लम्बाई 50 से 200 फीट तक की होती है।

महोगनी की खेती के लिए कैसे करें खेत की तैयारी

महोगनी की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की कल्टीवेटर या देसी हल की मदद से अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लें, फिर खेत की दो तीन बार इसकी तिरछी जुताई कर दे। जुताई करने के बाद खेत में पटा लगा कर खेत को समतल कर दें। बता दें कि खेत के समतल हो जाने से जल भराव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। खेत समतल करने के बाद 5 से 7 फीट की दूरी पर तीन फीट चौड़े और दो फीट गहरे गड्ढ़े तैयार कर लें। इन सभी गड्ढ़ों को खेत में एक लाइन में ही तैयार करें, और तैयार की गई प्रत्येक लाइन के बीच में 3 से 4 मीटर की दूरी रखें। तैयार किए गए गड्ढ़ों में जैविक और रासायनिक खाद को मिट्‌टी में मिलाकर भराई कर दें। इसके बाद इन  गड्ढ़ों की अच्छे से सिंचाई अवश्य कर दें, इन गड्ढ़ों को महोगनी के पौधों की रोपाई से एक महीने पहले अवश्य तैयार कर लें।

महोगनी के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका

महोगनी की खेती (Mahogany Cultivation) करने के लिए इसके पौधों को किसी भी पंजीकृत सरकारी नर्सरी से खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा इसके पौधों को खेत में नर्सरी लगाकर भी तैयार किया जा सकता है। महोगनी के पौधों को नर्सरी में तैयार करने में अधिक समय व मेहनत लगती है। इसलिए महोगनी के पौधों को खरीद कर लगाना ज्यादा उचित होता है।

इसके बाद महोगनी के ख़रीदे गए पौधों को तैयार किए गए  गड्ढ़ों में लगा दें, पौधों को लगाने के लिए  गड्ढ़े के बीचों – बीच एक छोटा सा  गड्ढ़ा बना लें, फिर उसमें महोगनी के पौधों को लगा कर मिट्‌टी से अच्छी तरह ढक दें। इसके पौधों की रोपाई के लिए जून और जुलाई का महीना ज्यादा उपयुक्त माना गया है।

महोगनी की खेती में सिंचाई प्रबंधन

महोगनी के पौधों को जब खेत में लगा दिया जाता है, तब उन्हें अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में इसके पौधों की सिंचाई 5 से 7 दिन के अंतर पर करनी चाहिए। वहीं सर्दियों के सीजन में 10 से 15 दिन के अंतर पर इसके पौधों को पानी देना उचित होता है। महोगनी के पूरी तरह से विकसित हो चुके पौधों को एक साल में केवल 5 से 6 सिंचाई की ही जरूरत होती है।

महोगनी की खेती में खाद एवं उर्वरक

महोगनी के पौधों को भी अच्छे विकास के लिए सही पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसके लिए गड्ढ़ों की भराई के समय 20 किलो गोबर की खाद के साथ 80 ग्राम एन.पी.के. खाद की मात्रा को मिट्‌टी में मिला दें। महोगनी  के पौधों के पूरी तरह विकसित हो जाने पर 50 किलोग्राम जैविक खाद और एक किलो रासायनिक खाद की मात्रा को एक साल में तीन बार सिंचाई करने से पहले देनी चाहिए।

महोगनी की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें

महोगनी की खेती करते समय इसके बाग में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर पौधों की निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। खेत में पौधों की रोपाई करने के 20 दिन बाद खेत की पहली गुड़ाई कर जन्म लेने वाले खरपतवारों को निकाल देना चाहिए। इसके बाद समय-समय पर खेत में जब भी कोई खरपतवार दिखे तो उसको निकालते रहे। महोगनी के बाग में मे खाली पड़ी जमीन की जुताई बारिश के मौसम के बाद अवश्य कर देनी चाहिए।

महोगनी पेड़ से प्राप्त लकड़ी का उत्पादन व लाभ

महोगनी के पेड़ 6 से 12 वर्ष के हो जाने के बाद कटने के लिए तैयार हो जाते हैं। महोगनी के पेड़ों के पूरी तरह से तैयार हो जाने पर यदि इस पेड़ की कटाई अधिक समय तक नहीं की जाती है, तो यह और अच्छा उत्पादन देते है। इसके पेड़ की कटाई जड़ के पास से की जाती है।

महोगनी के पेड़ की एक एकड़ खेत से लगभग 12 साल की आयु पूर्ण कर लेने पर पेड़ की लकड़ियों का मूल्य बाजार में 2 हज़ार रुपए प्रति घनफिट के हिसाब से होता है जिससे 1 करोड़ रुपए तक की कमाई आसानी से हो जाती है। इतना ही नहीं किसान इसके बीज और पत्तियों को भी  बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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