जानें फलों को पकाने की नई तकनीक, होगा किसानों को लाभ

Share Product प्रकाशित - 15 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

जानें फलों को पकाने की नई तकनीक, होगा किसानों को लाभ

फलों को पकाने की एक सुरक्षित विधि

पेड़ से तोडऩे के बाद फल कुछ समय तक ही ताजा रह पाते हैं, इसके बाद वे धीरे-धीरे खराब होना शुरू हो जाते हैं। यदि इसे सुरक्षित नहीं रखा जाए तो किसानों और फल विक्रेताओं को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार दूर मंडी या मार्केट में फलों को ले जाते समय रास्ते में या मंडी पहुंचने तक फल खराब होने लग जाते हैं जिस कारण से मजबूरन कम कीमत पर फलों को बेचना पड़ता है। लेकिन आज कई ऐसी तकनीक आ गईं हैं जिससे फलों को काफी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है जिससे फल जल्दी से सड़ता या गलता नहीं है।

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वैसे तो आज फलों को पकाने के लिए कई तरीके आ गए हैं लेकिन फलों को पकाने का सबसे आसान और पारंपरिक तरीका राइपनिंग तकनीक या विधि है जिससे फल को बिना किसी नुकसान पहुंचाए उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। आज हम टै्रक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में फलों को लंबे समय तक सुरक्षित और ताजा रखने की तकनीक बता रहे हैं। 

फलों को पकाने के लिए करें राइपनिंग तकनीक का इस्तेमाल

राइपनिंग तकनीक फलों को पकाने के लिए सबसे सुरक्षित और आसान तकनीक है। इसका इस्तेमाल करके आप फलों को लंबे समय तक ताजा रख सकते हैं। इस तकनीक या विधि का प्रयोग करने से फलों की क्वालिटी में अंतर नहीं आता है। यह एक आधुनिक तकनीक है जिसका प्रयोग फलों को समय से पहले पकाने में किया जाता है। बड़े-बड़े फल विक्रेता इस तकनीक का इस्तेमाल करके फलों को लंबे समय तक ताजा रखते हैं। 

क्या है राइपनिंग तकनीक

यह फल पकाने की सबसे प्रचलित और आसान तकनीक है। इस तकनीक में फल पकाने के लिए छोटे-छोटे चैंबर वाला कोल्ड स्टोरेज बनाया जाता है। इस चैंबर में एथिलीन गैस को छोड़ दिया जाता है, इससे फल जल्दी पकने लगते हैं। इस तकनीक से फलों को पकाने पर फलों को किसी तरह का खतरा नहीं होता है। इस तकनीक का इस्तेमाल आम, पपीता और केला को पकाने में किया जाता है।

राइपनिंग तकनीक से केले को पकाने का तरीका

राइपनिंग तकनीक से केले को पकाने के लिए सबसे पहले कच्चे केलो को डिब्बानुमा छोटे चैंबर वाले कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। इसके बाद इन कच्चे फलों पर एथिलीन गैस को छोड़ा जाता है। इस गैस के प्रभाव से फल धीरे-धीरे पकने लगते हैं। इसी के साथ फलों के रंग में भी परिवर्तन होने लगता है। इस प्रकार चार-पांच दिन में फल पूरी तरह पककर तैयार हो जाता है। इसी तरह अन्य फलों को भी पकाने के लिए राइपनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

राइपनिंग तकनीक के लिए सरकार से मिलती है सब्सिडी

राइपनिंग तकनीक का इस्तेमाल करने पर सरकार से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसमें कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार की ओर से सहायता दी जाती है। इसके तहत सरकार से कोल्ड स्टोरेज निर्माण के लिए किसानों को करीब 35 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी जाती है।

फलों को पकाने के अन्य पारंपरिक तरीके

  • पैरावट में फलों को दबाकर रखने से फल जल्द पक जाता है और सुरक्षित भी रहता है। ये कम खर्चीला तरीका है पर इस तकनीक से फल को पकने में समय अधिक लगता है। 
  • फल को पकाने के लिए इसे बोरे, पैरा और भूसे और अनाज के बीच में दबाकर रखने से भी फल समय से पहले पकाया जा सकता है। 
  • फल को कागज में लपेटकर रखने से भी फल अच्छे से पक जाता है।

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