बारिश में कैसे करें अंजीर की खेती : जानें, अंजीर की खेती की पूरी जानकारी

Share Product प्रकाशित - 26 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

बारिश में कैसे करें अंजीर की खेती : जानें, अंजीर की खेती की पूरी जानकारी

अंजीर से किसान होंगे मालामाल, बाजार में मिलते हैं ऊंचे भाव

भारत में अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खेती है। बाज़ार में अंजीर के फल की अच्छी कीमत मिलने के कारण इसकी खेती करने वाले किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अंजीर का फल अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए भी जाना जाता है।

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अंजीर के फल में अनेक प्रकार के पोषक तत्व विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, फाइबर और कैल्शियम पाये जाते है। इसके फल का सेवन ताजा व फल को सुखाकर कर सकते हैं। अंजीर के फल का सेवन करने से सर्दी-जुकाम, दमा, स्तन कैंसर और अपच और मधुमेह जैसी बीमारियों में काफी राहत मिलती है। अंजीर के फलों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है।

भारत में अंजीर की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में अंजीर की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र का पहला स्थान हैं। महाराष्ट्र में व्यापारिक दृष्टि से अंजीर की खेती की जाती हैं। महाराष्ट्र के अलावा अंजीर की खेती तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात के अलावा उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जाती है।

अंजीर की उन्नत किस्में

अंजीर की कई किस्में विकसित की गई है। उनमें से कुछ बेहतर किस्में इस प्रकार से हैं-

पंजाब अंजीर

पंजाब अंजीर किस्म के फल आकार में बड़े और पीले रंग के होते हैं। इसके पौधे समान्यत: 2 साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं। पौधे की लंबाई 10 से 15 फीट की होती हैं। 5 वर्ष के पौधे की औसतन पैदावार 15 से 18 किलोग्राम तक प्राप्त हो सकती है।

पुणे अंजीर

पुणे अंजीर का फल आकार में मध्यम और पीले रंग के होते हैं। इसके पौधे 35 डिग्री से 40 डिग्री तक के तापमान में अच्छी बढ़ोतरी करते हैं। पौधे की ऊंचाई 8 फीट और चौड़ाई 2.5 मीटर तक होती है। पुणे अंजीर के पौधो 1 वर्ष की आयु पूरी करते ही फल देना शुरु कर देते हैं।

मार्शलीज अंजीर

मार्शलीज अंजीर, अंजीर के पौधे की हाइब्रिड किस्म है। इसके फल का भंडारण अधिक समय तक किया जा सकता है। इसके पौधे की लंबाई 3 से 5 मीटर तक की होती है। मार्शलीज अंजीर के प्रत्येक पौधे से 1 वर्ष में 20 से 25 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो सकते हैं।

पुणेरी अंजीर

पुणेरी अंजीर किस्म के फल स्वादिष्ट और जामुनी रंग के होते हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 8 से 12 फीट तक होती है। एक पौधे से 1 वर्ष में 21 से 25 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो सकते हैं।

अंजीर की खेती : जलवायु और मिट्टी (Fig Farming)

अंजीर की खेती करने  के लिए शुष्क और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। अंजीर की खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट भूमि की जरूरत होती है। अंजीर की खेती के लिए 6 से 7 पीएच मान वाली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। अंजीर के फल की अच्छी पैदावार पाने के लिए 25 से 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है।

अंजीर की खेती : खेत की तैयारी (Anjeer ki Kheti)

अंजीर की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती हैं। सबसे पहले खेत से फसलों के अवशेष हटाने के लिए कल्टीवेटर की मदद से खेत की 2 से 3 बार तिरछी जुताई करके फसल अवशेष को हटा लें। इसके बाद खेत की मिट्टी को रोटावेटर की मदद से भुरभुरी बना लें। उसके बाद खेत को पाटा लगाकर समतल बना लें। इसके बाद 5-5 मीटर की दूरी पर गढ्ढे बना लें। इन गड्ढों में अंजीर के पौधे की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें।

बुआई और बीज की मात्रा

अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है। सबसे पहले आप अंजीर के पौधें की नर्सरी तैयार कर लें या आप अपने पास की नर्सरी से उन्नत किस्म का पौधा खरीद सकते हैं। एक हेक्टेयर में करीब 250 पोधों की जरूरत होती है। एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 5 मीटर रखें।

पौधों की सिंचाई

अंजीर की खेती में पौधे की सिंचाई मौसम के चक्र के अनुसार होती हैं। अगर आपने बारिश के मौसम समानतयः जुलाई व अगस्त में लगाया है, तो आपको सिंचाई की जरुरत कम ही पड़ेगी। सर्दियों के मौसम में 14 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में अंजीर के पौधों को अधिक सिंचाई की जरुरत होती हैं, गर्मियों में अंजीर के पौधों की सप्ताह में दो बार सिंचाई कर देनी चाहिए। जबकि बारिश के मौसम में इसके पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अगर समय पर बारिश न हो तो पौधों की आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।

पौधों की देखभाल

अंजीर के पौधों से अधिक फल का उत्पादन प्राप्त करने के लिए पौधे की देखभाल करना काफी जरूरी होता है। अंजीर के पौधे की अच्छी बढ़वार होने के लिए पौधों को खेत में लगाने के एक साल बाद उनकी छटाई कर दें। पौधों की पहली छटाई के दौरान पौधों पर 1 मीटर की ऊंचाई तक कोई भी नई शाखा ना बनने दे। इसके अलावा इसकी अधिक लंबी बढ़ने वाली शाखा की कटाई कर दें। ताकि पौधे में नई शाखा लगे और पौधा धना हो जाए, पौधे के धने होने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है। अंजीर के पौधों की छटाई फल आने शुरू होने के बाद हर साल गर्मियों के मौसम में करना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

अंजीर की खेती में खरपतवार होने की स्थिति में निराई-गुड़ाई करने की आवश्यकता होती हैं। इसीलिए आप को जब भी अंजीर के खेतों में खरपतवार दिखे उसे निराई करके निकाल दे। सामान्यत: अंजीर की खेती में दो निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है।

 फलों की तुड़ाई

अंजीर के पौधों से फलों की तुड़ाई, फलों के पूरी तरह से पकने के बाद ही करनी चाहिए। क्योंकि इसके कच्चे फल को तोड़ने से फल अच्छी तरह से पकते नहीं है। जिसके कारण फलों की गुणवत्ता में कमी हो जाती है व फल आधे पके होने के कारण किसानों को बाज़ार में अंजीर के फल का सही दाम नहीं मिल पाता, इसलिए इसके फलों को अच्छी तरह से पकने के बाद ही तोड़ना चाहिए।

उत्पादन और लाभ

अंजीर के पौधे का उत्पादन किस्मों के आधार पर अलग-अलग पैदावार प्रदान करते है। एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 250 अंजीर के पौधों को लगाया जा सकता है तथा एक पौधे से लगभग 20 किलो अंजीर का फल प्राप्त होता है| अंजीर के फल गुणवत्ता के हिसाब से 500 रुपये से 800 रुपये प्रति किलो तक बिकता हैं, इस हिसाब से किसान भाई अंजीर की 1 हेक्टेयर खेती से सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं।

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