प्रकाशित - 16 Apr 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने और पैदावार बढ़ाने के लिए खेती में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी ही एक तकनीक है इंटर क्रॉपिंग जिसे अंतरवर्तीय खेती भी कहते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल करके किसान एक से अधिक फसलों का उत्पादन कर सकेंगे। यह तकनीक फसल चक्र पर आधारित है। यदि आप फसल चक्र की जानकारी रखते हैं तो आप इस तकनीक को आसानी से समझ पाएंगे। यदि नहीं है तो भी कोई बात नहीं हम आपको बताएंगे कि आप एक साथ किन फसलों का उत्पादन करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। अभी जायद की फसलों की बुवाई का काम शुरू हो रहा है। इस समय किसान जायद फसलों की बुवाई करेंगे। ऐसे में इस तकनीक की जानकारी के जरिये किसान दो या दो से अधिक फसलों का उत्पादन एक ही जमीन पर ले पाएंगे। ऐसे में उन्हें एक साथ दो फसलों से पैदावार मिलेगी जिसे बेचकर किसानों को अधिक मुनाफा होगा।
दलहनी फसलों के साथ बोएं ये फसलें
जायद सीजन में कई किसान ग्रीष्मकालीन मूंग सहित अन्य दलहनी फसलों की खेती करेंगे। यदि कतारों में दलहनी फसल की बुवाई की है तो आप इसके बीच में बची हुई जगह पर हल्दी और अदरख जैसी फसल की खेती करके अच्छा लाभ उठा सकते हैं। इससे आपको डबल मुनाफा होगा। एक तो दलहन फसल को बेचने से और दूसरा इनके बीच लगाई गई हल्दी और अदरख की फसल को बेचकर। तरह किसान एक ही जमीन पर दो या उससे अधिक फसल का लाभ ले सकते हैं।
यदि किसान जायद में इंटर क्रॉपिंग तकनीक को अपनाते हैं तो उन्हें अंतरवर्ती फसल के लिए अलग से खाद व उर्वरक नहीं डालना होगा। इससे उनके खाद और उर्वरक की बचत होगी। जैसे जायद में मूंग की खेती की है और इसके बीच हल्दी व अदरक लगाई है तो आपको हल्दी और अदरक के लिए अलग से खाद व उर्वरक नहीं देना होगा। क्योंकि मूंग में दिया गया खाद और उर्वरक से ही आपका काम चल जाएगा। जबकि हल्दी या अदरक की खेती अलग से की जाए तो इसमें खर्च आता है। ये खर्च आपका बच जाएगा।
आज के समय में पानी की हर जगह किल्लत होती जा रही है। गिरते जल स्तर से सरकारें भी चिंतित है और इसलिए कई राज्य सरकारें तो किसानों को ज्यादा पानी चाहने वाली फसलों की जगह कम पानी चाहने वाली फसलों के उत्पादन पर जोर दे रही हैं। इसके लिए उन्हें सरकारी अनुदान भी दिया जा रहा है। यदि आप इंटर क्रॉपिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं तो आप सिंचाई में पानी की बचत भी कर सकते हैं। जब आप मूंग की सिंचाई करेंगे तो उनके बीच बोई गईं हल्दी और अदरख की सिंचाई हो जाएगी। मिट्टी में नमी का लाभ भी इन फसलों को मिलेगा जिससे आपको हल्दी और अदरख की अलग से सिंचाई की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पानी की बचत होगी।
इंटर क्रॉपिंग या अंतरवर्ती खेती से खेती की लागत को घटाया जा सकता है। इससे तकनीक के इस्तेमाल से किसान को हल्दी और अदरख पर बीज के अलावा अलग से कोई खर्चा नहीं करना होता है। केवल बीज डालने होते हैं बाकी सब क्रियाएं दहलनी फसल के साथ ही पूरी हो जाती हैं। तरह किसान एक फसल की लागत में दो या तीन फसलें इस सीजन में प्राप्त कर सकते हैं।
फसल चक्र के सिद्धंत के अनुसार किन फसलों के साथ कौनसी फसल की खेती की जा सकती है, इसकी जानकारी इस प्रकार से है
इस समय कुछ किसान जायद फसलों की खेती की तैयारी में लगे है तो कुछ किसान खरीफ की खेती की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में खरीफ सीजन में किसान अंतरवर्तीय तकनीक से यदि खेती करते हैं तो उन्हें इस फसल का चक्र इस तरह से रखना होगा
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