कलौंजी की खेती से बढ़ेगी किसानों की इनकम, जानें, खेती का सही तरीका

Share Product प्रकाशित - 11 Mar 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

कलौंजी की खेती से बढ़ेगी किसानों की इनकम, जानें, खेती का सही तरीका

जानें, कलौंजी की खेती से कितना मिल सकता है लाभ

किसान कई लाभकारी फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। लाभकारी फसल से तात्पर्य अधिक मुनाफा देने वाली फसल से है जिसे बाजार में बेचने पर अच्छा पैसा मिल सके। कई किसान ऐसी फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके लिए मार्केट की मांग और उसकी कीमत पर भी नजर रखना बेहद जरूरी है। लाभकारी फसलों की खेती में कलौंजी की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं। कलौंजी एक औषधीय फसल है जिसका उपयोग कई परंपरागत दवाओं के निर्माण में किया जाता है। इसके बीज में 0.5 से लेकर 1.6 प्रतिशत तक तेल पाया जाता है जिसका उपयोग अमृतधारा बनाने में किया जाता है। हमारे देश के कई राज्यों में इसकी खेती होती है जिसमें से हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार, आसाम आदि राज्यों में इसकी खेती की जाती है। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को कलौंजी की खेती की जानकारी दे रहे हैं।

कलौंजी की खेती के लिए भूमि व जलवायु

कलौंजी की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्‌टी अच्छी रहती है। लेकिन पुष्पण और बीज के विकास के समय मिट्‌टी में उचित नमी होना जरूरी है। उत्तर भारत में इसकी बुवाई रबी की फसल के रूप में की जाती है। इसकी खेती में शुरुआती दौर में ठंडा मौसम अनुकूल रहता है लेकिन परिपक्व अवस्था में गर्म और शुष्क मौसम अनकूल होता है।

कलौंजी की खेती के लिए भूमि की तैयारी

कलौंजी की खेती के लिए भूमि की तैयारी करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मिट्‌टी भुरभुरी और उचित जल निकास वाली होनी चाहिए। खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें। दो से तीन उथली जुताई के बाद खेत में पाटा लगा दें। कलौंजी के बीजों की बुवाई से पहले खेत में छोटी-छोटी क्यारियां बना लेनी चाहिए ताकि सिंचाई कार्य में आसानी रहे। यदि मिट्‌टी में दीमक का प्रकोप होता है तो उसके के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय क्विनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत अथवा मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत में से किसी एक दवा की 25 ग्राम की मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में एक समान रूप से बिखेर कर मिला देनी चाहिए।

कलौंजी की उन्नत किस्में

कलौंजी की खेती के लिए उन्नत किस्मों के बीजों की बुवाई करनी चाहिए। कलौंजी की उन्नत किस्मों में एनआरसीएसएसएन-1, आजाद कलौंजी, एनएस-44, एनएस -32, अजमेर कलौंजी, कालीजीरा, सहित राजेंद्र श्याम एवं पंत कृष्णा इसकी अन्य किस्में हैं जो काफी अच्छी पैदावार देती हैं।

कलौंजी के बीजों की बुवाई का तरीका/विधि

भारत में कलौंजी की खेती का समय मध्य सितंबर से लेकर मध्य अक्टूबर तक का सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान इसकी खेती पर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसी सीधी बुवाई के लिए एक हैक्टेयर में 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों को बोने से पहले इन्हें उपचारित कर लेना चाहिए इससे फसल में कीट रोग कम लगते हैं। कलौंजी के बीजों को बुवाई से पहले कैप्टॉन, थीरम व बाविस्टीन से 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित किया जाना चाहिए। इसकी बुवाई कतार विधि से करनी चाहिए ताकि निराई-गुड़ाई काम में आसानी रहे। कतार विधि में बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज की बुवाई 30 सेमी की दूरी पर बनी कतारों में करनी चाहिए। बीज को 2 सेमी की गहराई तक बोना चाहिए। इससे अधिक गहराई पर बीज बोने पर उसका जमाव अच्छी तरह से नहीं हो पाता है।

कलौंजी की खेती में उर्वरक प्रयोग

कलौंजी की खेती के लिए खेत की तैयारी के समय 4 से 5 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद प्रति एकड़ की दर से खेत में डाल दें। इसके अलावा बुवाई से पहले 20-25 किलो नाइट्रोजन, 8 से 10 किलोग्राम फॉस्फोरस और 6 से 8 किलो पोटाश की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से देनी चाहिए।

कलौंजी की फसल में कैसे करें सिंचाई

कलौंजी की खेती में कम से कम 5 से 6 सिंचाइयों की आवश्कता होती है। इसकी पहली सिंचाई बीज की बवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। इसके बाद खेत में बीजों के अंकुरण के समय भूमि में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए। वहीं पौधे के विकास के दौरान 15 से लेकर 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए।

कलौंजी की फसल कैसे करें खरपतवार पर नियंत्रण

कलौंजी की फसल में खरपतवार होने से उत्पादन पर असर पड़ता है, इसलिए इसकी रोकथाम करना भी जरूरी होता है। खरपतवारों की रोकथाम के लिए शुरुआत में बीज की रोपाई के करीब 20 से 25 दिन के बाद पौधों की हल्की निराई कर देनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए पौधों की दो से तीन बार गुड़ाई कर देनी चाहिए। पहली गुड़ाई के बाद शेष गुडाई 15 दिन के अंतराल में करनी चाहिए।

कलौंजी की कटाई

कलौंजी की फसल रोपाई के करीब 130 से लेकर 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। पौधे के पकने के बाद उन्हें जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। पौधे को उखाड़ने के बाद इसे कुछ दिन तेज धूप में सूखने दिया जाता है। इसके बाद जब पौधा पूरी तरह सूख जाता है तब लकड़ियों से पीटकर दानों को अलग निकाल लिया जाता है।

कलौंजी की खेती से कितना हो सकता है लाभ

कलौंजी की विभिन्न किस्मों से औसतन 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है। आमतौर पर कलौंजी का बाजार भाव 20 हजार प्रति क्विंटल के आसपास रहता है। इस हिसाब से कलौंजी की एक हैक्टेयर में खेती करके करीब दो लाख रुपए कमाई की जा सकती है। 

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